बाप को देखकर निकल जाती है बेटे की हवा, डर के मारे बार-बार छोड़ दे रहा जंगल… दो बाघों के बीच ये कैसी दुश्मनी
Sariska Tiger Reserve बाघों के लिए बेहद मशहूर है। इन दिनों यह रिजर्व एक बाप-बेटे की लड़ाई के लिए सुर्खियों में है। यहां एक बाघ पिता अपने ही बेटे का दुश्मन बना बैठा है जिसके चलते उसका बेटा बार-बार जंगल छोड़कर भाग जा रहा है। दोनों के बीच दुश्मनी की वजह बहन बन गई है और बेटे को ढूंढने का काम वन विभाग की टीम जोरों से कर रही है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। राजस्थान के अलवर स्थित सारिस्का टाइगर रिजर्व जोन से बाहर आकर रेवाड़ी से सटे झाबुवा के जंगल में चार दिनों से घूम रहे बाघ एसटी 2303 को सुबह करीब साढे़ पांच बजे तलाशी अभियान में जुटी वन विभाग की टीम को दिखाई दिया।
जंगल घना होने के चलते टीम बाघ को ट्रैंकुलाइज भी नहीं कर पाई। टाइगर रिजर्व जोन में पैदा हुए बाघ का दुश्मन उसका पिता ही बना हुआ है।पिता के हमले की वजह बाघ सात माह पहले भी रेवाड़ी के सटे जंगल में भाग आया था। कुछ दिन तक रहने के बाद वह फिर अपने पुराने ठिकाने पर चला गया था।
बचपन से ही अजीब रहा है बाघ का व्यवहार
जीव-जंतु तथा वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाघ एसटी-2303 का व्यवहार बचपन से ही असामान्य रहा है।उसे शुरू से खेतों में जाने की आदत थी, लेकिन सरिस्का की रिसर्च टीम इस बात को लगातार अनदेखा करती रही। जिसका परिणाम है कि बाघ 2303 नई टेरेटरी की तलाश में अपना पुराना ठिकाना छोड़ रहा है।
बहन बनी कॉम्पटीशन का कारण
बाघ सरिस्का के सबसे खूंखार एसटी-18 और एसटी-19 (मादा )बाघ का बेटा है। इसकी एक बहन एसटी 2302 भी है। अभी उसके पिता और एसटी- 2303 की बहन एसटी-2302 के बीच नजदीकियां बढ़ रही है।
ऐसे में एसटी-18 के लिए बेटा प्रतिद्वंद्वी हो सकता है। बाघ एसटी-2303 अभी पिता की टेरेटरी में ही घूम रहा था। उसे अपने पिता से लगातार चुनौती मिल रही थी।एक वजह यह भी है कि उसे सरिस्का छोड़ना पड़ा। इससे पहले भी वह रेवाड़ी जा चुका है और जनवरी में वहां से वह ततारपुर, प्रतापबंध, डढ़ीकर और आसपास के क्षेत्र में घूम रहा था, लेकिन वन विभाग की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज नहीं किया। वह अपने आप गया था।
टाइगर रिजर्व जोन में इस समय 33 बाघ हैं। जिसमें से सात टेरेटरी की खोज में हैं। उसी में एसटी-2303 भी शामिल हैं।
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यूं तो सरकार के नियमों के अनुसार बाघ का नामकरण नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरिस्का में तैनात वन विभाग कर्मचारी अपनी जानकारी के हिसाब से इन्हें अपने हिसाब के नामों से जानते हैं। इसका नाम हरफनमौला रख रखा है। जीव-जंतु तथा वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाघ एसटी-2303 का व्यवहार बचपन से ही असामान्य रहा है। उसे शुरू से खेतों में जाने की आदत थी, लेकिन सरिस्का की रिसर्च टीम इस बात को लगातार अनदेखा करती रही। जिसका परिणाम है कि बाघ 2303 नई टेरेटरी की तलाश में अपना पुराना ठिकाना छोड़ रहा है।शुक्रवार तलाशी अभियान के दौरान वन विभाग की टीम बाघ की एक झलक दिखाई दी थी। बाघ झाबुआ के घने जंगल में आसानी से विचरण कर रहा है। यह एसटी 18-19 का बेटा है। उसे पकड़ने के लिए सौ वन कर्मियों की टीम लगी हुई है।-शंकर सिंह शेखावत, वन अधिकारी अलवर