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चर्चा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का नया स्टाइल, इस बार बेहद खास रहने वाला है जन्मदिन

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का नया स्टाइल इन दिनों चर्चा में है। वह शुक्रवार को अपना जन्मदिन 72वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं।लेकिन इस बार यह खास होने वाला है। बहत्तर बसंत देख चुके राव उम्र की परवाह किए बिना नए संकल्प लेने जा रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Thu, 10 Feb 2022 09:02 PM (IST)
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केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की फाइल फोटो

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में योजना, कारपोरेट मामलों एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन व सांख्यिकी राज्यमंत्री का स्वतंत्र दायित्व संभाल रहे हरियाणा के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह 11 फरवरी को अपना जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। वैसे तो समर्थक उनका जन्मदिन हर वर्ष मनाते आए हैं, मगर इस बार की बात खास है। बहत्तर बसंत देख चुके राव उम्र की परवाह किए बिना नए संकल्प लेने जा रहे हैं। राव के खाते में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां है, मगर टीस अभी बाकी है। शिखर छूने के उनके सपने अधूरे हैं। इन्हें पूरा करने के लिए राव निर्णायक रणनीति बनाने जा रहे हैं। वह 11 फरवरी को अपने जन्मदिन से 20 फरवरी को अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राव बिरेंद्र सिंह की जयंती तक समर्थकों से गहन मंत्रणा करेंगे।

राव के दो बड़े लक्ष्य रहे हैं। हरियाणा में उनकी निगाह जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रही, वहीं केंद्र में उनके समर्थकों को कैबिनेट रैंक से कम कुछ मंजूर नहीं रहा, मगर चार बार विधानसभा और चार बार लगातार जीत सहित पांच बार लोकसभा के लिए निर्वाचित होने का अनूठा रिकार्ड बनाने वाले राव को न सीएम की कुर्सी मिली और न कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर। सबसे बड़ी टीस यही है। उन्हें अपने कद के अनुसार पद नहीं मिला। गुरुग्राम के रक्षा विश्वविद्यालय, रेवाड़ी के एम्स और आरआरटीएस (रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) जैसी परियोजना का जमीन पर न उतरना भी उनकी टीस बढ़ा रहा है। समर्थकों को लगता है कि शिखर की जिम्मेदारी मिलती तो न पानी का संकट रहता और न बड़ी परियोजनाएं लटकी रहती।

चर्चा में राव का नया स्टाइल

शिखर छूने के लिए चाय पर चर्चा राव का नया स्टाइल है। पिछले कुछ महीनों से चाय पर सीधे संवाद के जरिए राव ने कह दिया है कि कुएं का मेंढक बनना उन्हें मंजूर नहीं है। उन्होंने लक्ष्मण रेखा तय कर दी है। अपनी ओर से मजबूती से भाजपा के साथ रहेंगे, मगर गढ़ (अहीरवाल) में दूसरे को सक्रिय किया तो उनके रास्ते भी खुले रहेंगे। सूत्रों के अनुसार राव दक्षिण हरियाणा से आगे हरियाणा की जाट व राजस्थान की अहीर बेल्ट तक स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए मुद्दों की लड़ाई लड़ेंगे। अगले दस दिन में मुद्दे तय हो जाएंगे। सूत्रों के अनुसार राव की राजनीति भविष्य में किसान केंद्रित रहेगी। बेटी आरती राव, महिलाओं व युवाओं के बीच राव परिवार की स्वीकार्यता बढाने के लिए गुरुग्राम से नांगल चौधरी तक मैदान में उतरेगी।

उपलब्धियों का प्रचार, अधूरे कामों का दबाव

उपलब्धियों का घर-घर प्रचार और अधूरे कामों को पूरा करवाने का दबाव। राव की रणनीति यही रहेगी। लोगों को बताने के लिए उनके पास रेवाड़ी-पटौदी-गुरुग्राम, रेवाड़ी-नारनौल व दिल्ली-मुंबई के बीच निर्माणाधीन एक्सप्रेस हाईवे जैसी बड़ी उपलब्धियां हैं। उनके लोकसभा क्षेत्र में कई बाइपास व फ्लाईओवर बनने जा रहे हैं। डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के अलावा रेलवे की कई बड़ी उपलब्धियां भी उनके नाम है। इन उपलब्धियों के अलावा इंद्रजीत अपने पिता राव बिरेंद्र की उपलब्धियों को भी घर-घर पहुुंचाएंगे। राव आया भाव आया जैसे नारों काे धार दी जाएगी। तथ्यों के आधार पर बताया जाएगा कि पंजाब से पानी का हक लेने की चिंता भी राव परिवार ने की है, मगर ताकत की कमी से कुछ सपने अधूरे हैं। नौकरियों में मिली दक्षिण हरियाणा की हिस्सेदारी से राव खुश हैं, मगर एम्स, रक्षा विश्वविद्यालय व आरआरटीएस जैसी अहम परियोजनाओं के निर्माण में देरी राव की चिंता बढ़ा रही है।

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