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शक्ति रूपेण संस्थिता: प्राचीन मां काली देवी मंदिर, धारूहेड़ा चुंगी रेवाड़ी

शहर के व्यस्त मार्ग में से एक धारूहेड़ा चुंगी पर स्थित मां काली देवी मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में आस्था बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 03 Apr 2022 05:12 PM (IST)
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शक्ति रूपेण संस्थिता: प्राचीन मां काली देवी मंदिर, धारूहेड़ा चुंगी रेवाड़ी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: शहर के व्यस्त मार्ग में से एक धारूहेड़ा चुंगी पर स्थित मां काली देवी मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में आस्था बढ़ती जा रही है। मंदिर में शहर और दिल्ली रोड के आसपास से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।

इतिहास:

मंदिर के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं के अनुसार इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। यहां कभी छोटा सा मंदिर था, लेकिन समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार होते रहने से इसका स्वरूप आज विस्तृत हो रहा है। मंदिर में मां काली देवी के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित होने से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

कैसे पहुंचे :

धारूहेड़ा चुंगी मार्ग पर स्थित होने के कारण यहां आने के लिए 24 घंटे यातायात की सुविधा है। बस अड्डा और रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर में दिल्ली रोड, कालाका रोड तथा इसके आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके अलावा इस ओर आवागमन करने वाले लोग यहां मत्था टेके बिना नहीं निकलते।

मंदिर की विशेषता:

प्रतिदिन यहां से गुजरने वाले लोग एक बार यहां जरूर आते हैं। नवरात्र पर पूरे नौ दिन सुबह पूजा के बाद शाम को आरती होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयंती, शिवरात्रि सहित विभिन्न पर्वों में कार्यक्रम होते हैं। मंदिर की देखरेख कमेटी करती है। इस कारण पूरे साल मंदिर में जीर्णोद्धार का कार्य चलता रहता है। नवरात्र के अवसर पर सुबह 5 बजे से ही मंदिर के द्वार खुल जाते हैं जो देर रात तक चलता रहता है।

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मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था लगातार बढ़ रही है। प्राचीन मंदिर होने के कारण मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु द्वारा मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। नवरात्र में ही नहीं अन्य त्योहार में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

- आचार्य दीपक शास्त्री, पुजारी

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कमेटी के माध्यम से मंदिर में वर्ष भर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। इसके अलावा श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने पर भी आस्था के अनुसार कार्यक्रम आयोजित करते हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य नियमित रूप से चलता है।

- भारत, प्रधान, मंदिर कमेटी