स्मॉग का दुष्प्रभाव: गर्भ में नवजात का घुट रहा दम, युवाओं से लेकर बुजुर्गों को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है जिससे लोगों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। रोहतक के पीजीआइएमएस के विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉग के कारण हवा में मौजूद प्रदूषण के कण खून में मिल रहे हैं जिससे लोगों की याददाश्त कम हो रही है और महिलाओं के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु तक भी जहरीली हवा पहुंच रही है।
विनोद जोशी, रोहतक। उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो चुका है। इसे लेकर रोहतक के पीजीआइएमएस (पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज) के विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।
उनका दावा है कि स्मॉग की वजह से हवा में मौजूद प्रदूषण के कण खून में मिश्रित हो रहे हैं। युवाओं से लेकर बुजुर्गों में याददाश्त जा रही है। जहरीली हवा महिलाओं के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु तक पहुंच रही है।
रोहतक के पीजीआइएमएस के डीन एकेडेमिक अफेयर्स डॉ. ध्रुव चौधरी के मुताबिक, स्मॉग से प्रभावित सांस व मस्तिष्क संबंधित मरीजों की संख्या इनमें सर्वाधिक है।
डॉ. चौधरी के मुताबिक, अब बच्चों को जन्म के पश्चात ही दो से तीन दिन तक ऑक्सीजन पर रखना पड़ रहा है। साथ ही समय से पूर्व प्रसव के मामले भी बढ़ रहे हैं। वहीं, स्मॉग के प्रभाव में आने वाले मरीजों की ओपीडी आठ हजार तक तक पहुंच गई है।
स्मॉग में घुल रहीं खतरनाक गैस व धुआं
डॉ. ध्रुव चौधरी के मुताबिक, सर्दी के दस्तक के साथ वातावरण में नमी, कोहरे के रूप में प्रदूषण (स्मॉग ) की परत नुकसानदेह है।उच्च रक्तचाप के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) व दमा रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है। स्मॉग का जहरीला मिश्रण श्वास के साथ आंखों और फेफड़ों तक पहुंचता है। स्मॉग में सबसे जहरीली गैस सल्फर डाई ऑक्साइड के साथ-साथ कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा अधिक होती है, जो श्वास के जरिये सीधा शरीर में प्रवेश करती है।
यह खून में मिश्रित होकर ऑक्सीजन को बाहर निकालने लगती है और कार्बन डाइआक्साइड को अंदर ले लेती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और फिर इसका असर सीधा मस्तिष्क पर होता है, जिससे ब्रेन हेमरेज व हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।मस्तिष्क को कुछ पलों के लिए भी ऑक्सीजन न मिले व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। याददाशत भी जाने का खतरा बना रहता है। पीजीआइएमएस में याददाश्त (स्मृति लोप) के केस आ रहे हैं।
पीजीआइएमएस के डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉ. ध्रुव चौधरी बोले, खून में प्रदूषण के कण मिलने से बढ़ रहा खतरा l कहा- स्मॉग के कारण याददाश्त तक जाने का खतरा, घरों में प्यूरीफाई व ऑक्सीजन सिलिंडर का जरूर करें प्रबंध
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