एफडीडीआइ के एक्सीलेंस सेंटर में बनेगी बायो मैकेनिक लैब
फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट (एफडीडीआइ) रोहतक में बायो मैकेनिक लैब की भी सुविधा जल्द शुरू होगी। संस्थान के परिसर में हाल ही में तैयार हुए सेंटर आफ एक्सीलेंस (सीओई) में ही बायो मैकेनिक लैब स्थापित की जाएगी। विद्यार्थी यहां इंसानों के फुट मूवमेंट की स्टडी करेंगे। स्टडी में निकले निष्कर्ष के अनुसार बेहतर व आरामदायक फुटवियर तैयार किए जाएंगे।
केएस मोबिन, रोहतक
फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट (एफडीडीआइ) रोहतक में बायो मैकेनिक लैब की भी सुविधा जल्द शुरू होगी। संस्थान के परिसर में हाल ही में तैयार हुए सेंटर आफ एक्सीलेंस (सीओई) में ही बायो मैकेनिक लैब स्थापित की जाएगी। विद्यार्थी यहां इंसानों के फुट मूवमेंट की स्टडी करेंगे। स्टडी में निकले निष्कर्ष के अनुसार बेहतर व आरामदायक फुटवियर तैयार किए जाएंगे। इस तकनीक में महारत हासिल करने पर प्रदेश के खिलाड़ियों को काफी फायदा होगा। उनके बाडी स्ट्रक्चर और अन्य जरूरतों के अनुसार संस्थान फुटवियर विकसित करेगा। एफडीडीआइ रोहतक खेल संगठनों के साथ भी टाइ-अप करेगा।
बायो मैकेनिक लैब देश के 12 एफडीडीआइ में सिर्फ रोहतक सेंटर में ही स्थापित की जा रही है। यही नहीं सभी एफडीडीआइ में सीओई भी सिर्फ रोहतक सेंटर में ही तैयार किया गया है। नान लेदर शू टेक्नोलाजी का विशेषज्ञ सेंटर बनाने के उद्देश्य से सीओई बनाया गया है। भारत सरकार की मिनिस्ट्री आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से करीब 18 करोड़ की लागत से सीओई तैयार कराया गया है। दो मंजिला भवन बनकर तैयार है। एक मंजिल पर बायो मैकेनिक लैब बनाई जाएगी। मशीनों के इंस्टालेशन का कार्य बाकी है। आइआइटी दिल्ली से पाठ्यक्रम तैयार करने में ली मदद
एफडीडीआइ रोहतक में इसी सत्र से एक्सीलेंस सेंटर और इसमें बायो मैकेनिक लैब की शुरुआत कर दी जाएगी। यहां पूरी तरह नान लेदर शू टोक्नोलाजी (खासकर स्पोर्ट्स शू) पर कार्य होगा। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आइआइटी) दिल्ली के साथ मिलकर पाठ्यक्रम को रिवाइज किया गया है। बहादुरगढ़ के फुटवियर पार्क के मद्देनजर एफडीडीआइ रोहतक में नान लेदर टेक्नोलाजी पर फोकस किया जा रहा है। संस्थान को रेवेन्यू भी होगा हासिल
सीओई में बायो मैकेनिक लैब से एफडीडीआइ रोहतक को रेवेन्यू भी मिलेगा। यहां व्यक्तिगत फुट मूवमेंट की स्टडी की सुविधा भी दी जाएगी। यानि कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार फुटवियर तैयार कराने के लिए संस्थान से संपर्क कर सकता है। इसके लिए उक्त व्यक्ति को निर्धारित खर्च देना होगा। इसके अतिरिक्त एक्सीलेंस सेंटर में शू टेस्टिग की सुविधा भी रहेगी। जापान, इटली आदि से इस तरह की मशीनें मंगवाई जा रही हैं जो कि कई कंपनियों के पास भी नहीं होती हैं।
हर व्यक्ति का खुद का फुट मूवमेंट होता है। यह शारीरिक बनावट, कद, वजन, स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। फुटवियर को लेकर लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है। यदि खिलाड़ियों की बात की जाए तो उनके लिए सही फुटवियर पहनना बेहद जरूरी है। सीओई की बायो मैकेनिक लैब में हम लोगों के फुट मूवमेंट की अलग-अलग एंगल से स्टडी करेंगे।
- श्याम कटारिया, सेंटर इंचार्ज, एफडीडीआइ, रोहतक