Haryana Election: भूपेंद्र हुड्डा के किले को ढहा पाएंगी मंजू हुड्डा? जानें गढ़ी-सांपला-किलोई सीट का चुनावी गणित
Haryana Assembly Election 2024 हरियाणा की गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भाजपा ने युवा महिला शक्ति को उतारा है। मंजू हुड्डा पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। मंजू हुड्डा की चुनौती यह है कि उन्हें पुराने नेताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है। पढ़ें गढ़ी-सांपला-किलोई सीट का चुनावी समीकरण।
ओपी वशिष्ठ, रोहतक। गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा सीट पर दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भाजपा ने इस बार युवा महिला शक्ति को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी हुड्डा अपनी जीत से आश्वस्त लग रहे हैं और अपने लिए प्रचार करने के बजाय पार्टी प्रत्याशियों के लिए जोर लगा रहे हैं। उधर, मंजू हुड्डा उलटफेर करने की उम्मीद के साथ चुनाव प्रचार में दिन रात एक किए हुए है।
ये प्रत्याशी भी मैदान में
प्रदेश की यह सबसे चर्चित इस सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल- बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से अधिवक्ता कृष्ण कौशिक, जननायक जनता पार्टी से सुशीला देशवाल तथा आम आदमी पार्टी से प्रवीण घुसकानी भी मैदान में हैं, लेकिन इनके भी सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी साख बचाने की है। हालांकि वे चुनावी समीकरण बिगाड़ने के लिए संघर्षरत हैं।
प्रत्याशियों की चुनौतियां
भूपेंद्र सिंह हुड्डा: प्रदेश में सरकार बनाने की जिम्मेदारी दो बार सीएम रह चुके भूपेंद्र हुड्डा को इस बार भी कांग्रेस पार्टी में सीएम का दावेदार माना जा रहा है। प्रदेश में 70 से अधिक टिकटें उन्होंने पसंद के प्रत्याशियों को दिलाई हैं। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। गढ़ी-सांपला-किलोई विस क्षेत्र में जीत के साथ पुराने रोहतक की सभी सीटों को जिताने का मानसिक बोझ भी उन पर है।
मंजू हुड्डा: नहीं मिल रहा पुराने नेताओं का सहयोग धामड़ गांव की बहू मंजू हुड्डा पहली बार विस चुनाव लड़ रही हैं। यह गांव हुड्डा खाप का गांव माना जाता है। कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र हुड्डा के सामने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना ही मंजू के लिए उपलब्धि है। उनके पास न तो चुनाव प्रबंधन है और न ही पुराने नेताओं का सहयोग मिल रहा है। ऐसे में उनके सामने बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी रहेगा।
1967 में किलोई सीट पर निर्दलीय विधायक बने थे महंत श्रेयोनाथ
वर्ष 1967 में हुए चुनाव में किलोई सीट पर निर्दलीय महंत श्रेयोनाथ विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा को हराया था। लेकिन अगले ही चुनाव में चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा ने महंत श्रेयोनाथ को हराकर बदला ले लिया।
इस सीट पर भूपेंद्र हुड्डा के पिता, भाई और वह स्वयं यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा भी 1991 में विधायक बने और भजनलाल सरकार में मंत्री भी बने, वर्तमान में वो भाजपा में हैं और टिकट के दावेदार थे।
कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा 2005 में विधायक निर्वाचित हुए, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सीएम बनने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी। उपचुनाव में भूपेंद्र हुड्डा यहां से विधायक निर्वाचित हुए। उसके बाद से इस सीट पर लगातार जीतते आ रहे हैं।
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2019 में हुड्डा ने सतीश को हराया था
साल 2019 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश नांदल ने चुनाव लड़ा था और करीब 40 हजार मत हासिल किए थे। भूपेंद्र हुड्डा 58 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल करने में सफल रहे थे। इस बार हुड्डा जीत का नया रिकॉर्ड बनाने का प्रयास करेंगे।
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