हरियाणा: भूपेंद्र हुड्डा नहीं बनना चाहते भजन लाल! कांग्रेस की सरकार बनी तो क्या 20 साल पुरानी कहानी होगी रिपीट?
हरियाणा (Haryana Assembly Election) में कुछ ही घंटों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। इसके लिए करीब 20 साल पुरानी कहानी न दोहराई जाए इसके लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही पूरी तरह सतर्क हैं और जीतने वाले संभावित उम्मीदवारों से लेकर कांग्रेस हाईकमान को साधने में जुटे हैं। इतना ही नहीं हुड्डा साहब ने प्रत्याशियों का चयन भी काफी सोच समझकर ही किया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस के बहुमत हासिल करने की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा से लेकर दिल्ली तक सियासी पिच पर मजबूत फील्डिंग जमाई है।
हुड्डा वर्ष 2005 के भजन लाल नहीं बनना चाहते हैं। तब कांग्रेस को बहुमत दिलाने वाले भजन की जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। करीब 20 साल पुरानी कहानी न दोहराई जाए, इसके लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही पूरी तरह सतर्क हैं और जीतने वाले संभावित उम्मीदवारों से लेकर कांग्रेस हाईकमान को साधने में जुटे हैं।
लगातार तीन बार ताऊ देवीलाल को दी मात
हुड्डा 1991 से लेकर 1998 तक लगातार तीन बार देवीलाल को मात देकर सांसद बने थे, लेकिन 1999 में हार गए थे। इसके बाद 2004 में फिर लोकसभा सदस्य बने। 2005 के चुनाव में 67 सीटाें के साथ कांग्रेस बहुमत से सत्ता में आई तो भजन लाल सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे।
कांग्रेस के ज्यादातर विधायक भजन लाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन कर रहे थे। तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम की चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी। सोनिया गांधी ने चुनाव नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री के चयन के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षकों की एक टीम दिल्ली से चंडीगढ़ भेजी।
इन पर्यवेक्षकों ने विधायकों से बात करके उनसे इस बात पर सहमति ले ली कि इस बार मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान तय करेगा। भजन लाल ने विधायकों को अपने साथ जुटा रखा था तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अहमद पटेल के साथ मिलकर सियासी तानाबाना बुन रखा था।
सोनिया गांधी ने किया हुड्डा के नाम का ऐलान
अहमद पटेल ने चौधरी वीरेंद्र सिंह, कुमारी सैलजा, उद्योगपति ओपी जिंदल को हुड्डा के समर्थन में तैयार कर लिया था। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम का ऐलान करके भजन लाल के मुख्यमंत्री बनने के सपने को तोड़ दिया था।
10 साल बाद कांग्रेस की वापसी?
शीर्ष नेतृत्व में लाबिंग कांग्रेस की 10 साल बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद दिख रही है। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद के लिए सियासी फील्डिंग सजाने में जुटे हुए हैं। उनके साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला भी लाबिंग में जुटे हुए हैं।
हुड्डा ने 65 से 70 करीबियों को दिलाई टिकट
हुड्डा ने टिकट वितरण के दौरान ही अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी थी। हुड्डा अपने 65 से 70 करीबी नेताओं को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। इसके पीछे रणनीति यह है कि अगर कांग्रेस हाईकमान बदलाव को लेकर कोई फैसला लेते हैं तो हुड्डा विधायकों की अनुशंसा का पासा फेंक सकते हैं।
कांग्रेस की सीटें 55 से 60 आती है तो उसमें 40 हुड्डा के समर्थक होंगे तो कुमारी सैलजा के पांच से छह समर्थक ही विधायक बन सकते हैं। इस तरह हुड्डा का सियासी पलड़ा काफी भारी नजर आ रहा है। इसीलिए हुड्डा ने अब हरियाणा से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा दी है।
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