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Haryana News: दीपेंद्र हुड्डा ने उठाईं अर्धसैनिक बलों की मांगें, बोले- CAPF को भी मिले ओल्ड पेंशन का लाभ

Haryana News रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अर्द्धसैनिक बलों की मांगें उठाई हैं। उन्होंने कहा कि सीएपीएफ को भी सेना की तरह ओल्ड पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। रोहतक सांसद ने कहा कि देश की सुरक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के हित व उनके भविष्य की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है। उन्हें भी सेना की तरह 100 दिनों का अवकाश मिले।

By Anurag Aggarwa Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 25 Jul 2024 05:34 PM (IST)
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Deepender Hooda ने उठाईं अर्धसैनिक बलों की मांगें, सेना की तरह इन्हें भी मिले लाभ।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। रोहतक के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा में अर्धसैनिक बलों की विभिन्न मांगों को उठाते हुए कहा कि देश की सुरक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के हित व उनके भविष्य की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है। उन्होंने मांग की है कि सीएपीएफ भारत संघ के सशस्त्र बल हैं। सेना की तर्ज पर सीएपीएफ कर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए।

सीएपीएफ कर्मियों के लिए 100 दिन का अवकाश सुनिश्चित किया जाए। हर राज्य में सैनिक बोर्ड की तर्ज पर राज्य अर्धसैनिक बोर्ड का गठन हो। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में कहा कि हरियाणा में अर्धसैनिक बोर्ड को अधूरे ढंग से गठित किया गया है। देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले सैनिकों का मान-सम्मान व उनका हित सर्वोपरि है।

CISF के जवानों को सिर्फ 60 दिन अवकाश

हुड्डा ने कहा कि अर्धसैनिक बल पिछले काफी समय से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। सेना में आज भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है। केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा सभी सीएपीएफ सैनिकों को साल में 100 दिन के अवकाश की घोषणा की गई थी। अभी उन्हें 60 दिन का अवकाश दिया जा रहा है, जिसमें सीआइएसएफ जवान को मात्र 30 दिन का अवकाश दिया जाता है।

अर्धसैनिक बोर्ड का गठन करने की मांग

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हर राज्य में सैनिक बोर्ड की तर्ज पर अर्धसैनिक बोर्ड का गठन किया जाए। हरियाणा में मौजूदा सैनिक बोर्ड को ही सैनिक एवं अर्ध-सैनिक बोर्ड बना दिया गया है, जिसमें सीएपीएफ का कोई भी सदस्य नहीं है।

केंद्रीय पुलिस बल में बीएसएफ, सीआइएसएफ, एनएसजी, एसएसबी,आईटीबीपी और सीआरपीएफ शामिल हैं। कश्मीर से लेकर नार्थ इस्ट तक, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, देश की सीमाओं और बंदरगाहों यहां तक कि संसद तक की सुरक्षा भी इनके हाथों में है।