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Haryana News: किसान ने दो महीने में बेचे डेढ़ करोड़ के टमाटर, तीन करोड़ के और बेचेंगे; MP के पूर्व CM शिवराज की कर दी तारीफ

Crorepati Tamatar Kisan किसान परंपरागत खेती छोड़कर नई सोच के साथ काम करें तो मिट्टी सोना उगलने लगती है। पसीने से सींची गई फसलें मोती बनकर किसान की किस्मत बदल देती हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी किसान माधव इसके बड़े उदाहरण हैं। मूलरूप से झज्जर के गोच्छी गांव निवासी माधव रविवार को गोच्छवाल प्रवासी सोसाइटी के परिवार मिलन समारोह में पहुंचे।

By Arun kumar sharma Edited By: Prateek Jain Updated: Mon, 11 Mar 2024 07:21 AM (IST)
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रोहतक के सेक्टर-36 सनसिटी क्लब में आयोजित कार्यक्रम में जानकारी देते हुए किसान माधव। जागरण

अरुण शर्मा, रोहतक। किसान परंपरागत खेती छोड़कर नई सोच के साथ काम करें तो मिट्टी सोना उगलने लगती है। पसीने से सींची गई फसलें मोती बनकर किसान की किस्मत बदल देती हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी किसान माधव इसके बड़े उदाहरण हैं।

मूलरूप से झज्जर के गोच्छी गांव निवासी माधव रविवार को गोच्छवाल प्रवासी सोसाइटी के परिवार मिलन समारोह में पहुंचे। दैनिक जागरण संवाददाता से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने जनवरी 2024 के पहले सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक करीब 25 हजार क्रेट टमाटर की बिक्री करके करीब डेढ़ करोड़ रुपये कमाए।

20 अप्रैल तक करीब तीन करोड़ रुपये तक की होगी बिक्री

अभी 15 से 20 अप्रैल तक टमाटर का सीजन चलेगा और करीब तीन करोड़ रुपये तक की बिक्री होगी। करीब एक करोड़ रुपये के धान की बिक्री होगी।  42 वर्षीय किसान माधव ने बीए की पढ़ाई की।

रोहतक के सेक्टर-36 सनसिटी क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में पहुंचे तो उन्होंने खेती करने के जुनून की पूरी जानकारी दी। बताया कि उनके स्व. दादा दीपचंद्र ने देश की आजादी के लिए सेना में काम किया। इसलिए आजादी के बाद 1950 में उन्हें भोपाल से 100 किमी दूर 20 एकड़ जमीन दी गई। उस दौरान वहां जंगल थे और जंगली जानवरों के कारण वहां खेती करना मुश्किल था।

1955 में सरकार ने जमीन समतल कराई तो खेती शुरू की गई। 1998 तक परंपरागत खेती जैसे चना, सोयाबीन, गेहूं की पैदावार करते रहे। मगर 1999 से उन्होंने इन परंपरागत खेती में कटौती करके धान और टमाटर की खेती की शुरुआत की तो किस्मत ही पलट गई। 

दुबई तक भेजे धान, देशभर की मंडियों में भेजते हैं टमाटर 

माधव ने बताया कि अब 40 एकड़ टमाटर खेत में हैं और 100 एकड़ जमीन में धान की खेती करते हैं। थोड़ी जमीन में मिर्च, केले, चने, गेहूं, जौ भी उगाते हैं। कुछ पट्टे की जमीन भी लेते हैं। खेत में 12 माह 125 से 140 मजदूर कार्य करते हैं। काली मिट्टी की सिंचाई के लिए नहरी पानी मिलता है।

भोपाल के 11 मिल एरिया में घर है, जबकि खेती केवला झीर में है। संबंधित गांव में केवल 40 घर हैं, लेकिन यह भी 2200 एकड़ जमीन में धान और टमाटर की खेती करते हैं। 2007-2008 में दुबई धान भेजे। उसके बाद बासमती धान केवल देश की मंडियों में भेजते हैं। जबकि टमाटर हरियाणा की झज्जर व हिसार, चंडीगढ़, दिल्ली की आजादपुर, बेंगलुरु, चेन्नई, उत्तराखंड, लखनऊ, मुंबई सहित देशभर की अधिकतर मंडियों में भेजते हैं।

20 एकड़ में मेहनत की अब 120 एकड़ और खरीदी

माधव ने अप्रैल तक 40 से 45 हजार क्रेट (एक क्रेट में 25 किग्रा) टमाटर बिक्री का आंकलन किया है। जिससे करीब तीन करोड़ रुपये तक की आमदनी होगी। टमाटर की फसल खत्म होने के बाद धान की बुवाई की शुरूआत करेंगे। माधव के दोनों बड़े भाई जसवंत और जोगेंद्र भी खेती ही करते हैं।  मेहनत के बल पर 120 एकड़ जमीन खरीद चुके हैं।

किसान आंदोलन में मध्य प्रदेश का कोई किसान नहीं

माधव ने किसान आंदोलन को लेकर भी टिप्पणी की। कहा कि मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को सुविधाएं और सब्सिडी दीं। इसलिए किसानों को खेती करने में कोई मुश्किल नहीं हुई।

यह भी दावा किया कि किसान आंदोलन में मध्य प्रदेश का कोई किसान शामिल नहीं है। यह भी कहा कि किसानों को अपनी स्थिति सुधारने के लिए खुद पसीना बहाना होगा, तभी सरकार भी मदद कर सकेगी।

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