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Kargil Vijay Diwas 2023: पाकिस्तान ने कारगिल हार की खुन्नस दो वर्ष तक निकाली, भेद खुलते ही हथियार छोड़कर भागे

Kargil Vijay Diwas 2023 रिटायर्ड मेजर जनरल सुधीर जाखड़ ने बताया कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान छम जौड़िया में बतौर कमांडिंग आफिसर तैनात थे। बटालियन-5 राजपूत में तैनाती के दौरान एक हजार सैनिक और इतने ही बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान उनके नेतृत्व में युद्ध लड़ रहे थे। कारगिल युद्ध के दौरान छोटे-बड़े कई हमले नाकाम किए।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 26 Jul 2023 06:35 AM (IST)
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Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल हार की खुन्नस दो वर्ष तक निकाली, पाक ने 2001 तक किए थे हमले
रोहतक, अरुण शर्मा। पाकिस्तान ने कारगिल में युद्ध हारने की खुन्नस पूरे दो-ढाई वर्ष तक निकाली थी। 1999 में कारगिल युद्ध हुआ। कारगिल की चोटियों की पर तिरंगा फहरा दिया। लेकिन पाकिस्तान के हमले 2001 और 2002 की शुरुआत तक जारी रहे। जम्मू-कश्मीर में करीब आठ-दस वर्षों तक विभिन्न पदों पर तैनात रहने वाले रिटायर मेजर जनरल सुधीर जाखड़ ने युद्ध के दौरान के कई किस्से साझा किए हैं। झज्जर के गोच्छी गांव के निवासी एवं गुरुग्राम में रह रहे जाखड़ ने पाकिस्तान की कई बड़ी करतूत बताईं।

रिटायर्ड मेजर जनरल सुधीर जाखड़ ने बताया कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान छम जौड़िया में बतौर कमांडिंग आफिसर तैनात थे। बटालियन-5 राजपूत में तैनाती के दौरान एक हजार सैनिक और इतने ही बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान उनके नेतृत्व में युद्ध लड़ रहे थे। कारगिल युद्ध के दौरान छोटे-बड़े कई हमले नाकाम किए। जाखड़ ने बताया कि दिसंबर 1998 में पाकिस्तान की हरकतें सामने आने लगी थीं। कारगिल विजय दिवस के बाद यानी दिसंबर 1999 में रातों-रात पाकिस्तान ने परगवाल क्षेत्र में दो किमी तक जमीन में बारूदी सुरंग बिछा दी थी। पाकिस्तान की योजना थी कि आधी रात में अचानक हमला बोलकर सेना को बड़ा नुकसान पहुंचाया जाए। रोहतक गोच्छवाल सोसाइटी में बतौर संरक्षक जुड़े हुए हैं।

पाक का खुल गया था भेद, हथियार छोड़कर भागे

क्षेत्र में मिले खून के धब्बेसुधीर जाखड़ ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से बिछाई गई बारूदी सुरंग और रात में हमले की भनक लगी तो तुरंत बड़ी योजना बनाई गई। सेना के बड़े अधिकारियों को भी सूचना देकर अतिरिक्त सेना तैनात कराई। रात में ही पाकिस्तानी सेना पर धावा बोल दिया। उस दौरान करीब पांच किमी तक खून के धब्बे मिले। हथियार और गोला-बारूद भी भारी तादाद में जब्त किया। पांच आतंकी भी मारे गए। जम्मू-कश्मीर में विशेष आपरेशन के लिए पांच बार प्रशस्ति पत्र मिले। जाखड़ के पिता स्वर्गीय अजीत सिंह भी सेना में कर्नल थे।

मेजर पद पर तैनाती के दौरान आंखों से देखी पत्थरबाजी

रिटायर मेजर जनरल ने जाखड़ ने बताया कि गुलमर्ग सेक्टर में वह मेजर पद पर भी तैनात रह चुके हैं। कर्नल पद पर भी उनकी जम्मू-कश्मीर में तैनाती रही। 2012 में कुपवाड़ा में ब्रिगेडियर पद पर तैनात रहे। मेजर जनरल पद पर रहते हुए दो बार जम्मू-कश्मीर में रहे और कई बड़े आपरेशन को अंजाम दिया। 2016 में सेना से रिटायर हुए। अपनी तैनाती के दौरान के अनुभव बताए जब वह मेजर बनकर गुलमर्ग गए तो वहां कुछ युवा स्थानीय पुलिस, सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ की गाड़ियों पर पत्थरबाजी करते थे। बदले में उन भटके युवाओं को 500 रुपये दिए जाते थे। दो मौके ऐसे आए जब युवाओं को पकड़ा। मगर उन्हें सुधरने का मौक दिया। इनका कहना है कि धारा-370 हटने से पत्थरबाजी की घटनाएं बंद हुईं हैं।

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