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Rohtak: स्कूलों में बच्चे हो रहे प्रताड़ना के शिकार चाइल्ड हेल्प लाइन पर मांग रहे मदद, 11 माह में आए 40 केस

Rohtak News सर जूते-जुराब फटे हुए हैं। इसलिए टीचर रोज पीटते हैं। मम्मी-पापा भी उन्हें कुछ नहीं कहते हमें पिटाई से बचा लो। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की प्रताड़ना के कई मामले पिछले कुछ माह में चाइल्ड हेल्पलाइन पर आ चुके हैं।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 28 Feb 2023 11:06 AM (IST)
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स्कूलों में बच्चे हो रहे प्रताड़ना के शिकार।
रोहतक, जागरण संवाददाता। सर, जूते-जुराब फटे हुए हैं। इसलिए टीचर रोज पीटते हैं। मम्मी-पापा भी उन्हें कुछ नहीं कहते, हमें पिटाई से बचा लो। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की प्रताड़ना के कई मामले पिछले कुछ माह में चाइल्ड हेल्पलाइन पर आ चुके हैं।

चाइल्ड हेल्प लाइन पर आने वाले मामलों पर नजर डालें तो 11 माह में 40 ऐसे मामले आए, जिसमें बच्चों के साथ स्कूल में शिक्षकों ने मारपीट की। जबकि 10 मामले ऐसे थे जिसमें प्राइवेट स्कूलों ने एसएलसी देने से मना कर दिया।

स्कूलों में बच्चे पढ़ाई से ज्यादा प्रताड़ना का शिकार

दो मामले ऐसे थे जिसमें स्कूलों ने ड्रेस को लेकर बच्चों पर जुर्माना तक लगा दिया। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि स्कूलों में बच्चे पढ़ाई से ज्यादा प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।

माता-पिता कर लेते हैं समझौता 

चाइल्ड हेल्प लाइन के संयोजक सुभाष ने बताया कि बच्चे हेल्प लाइन नंबर 1098 पर काल कर मदद मांगते हैं। इस बारे में जब प्रिंसिपल और संबंधित अध्यापक से बातचीत की जाती है तो वह भी पिटाई से मुकर जाते हैं। यहां तक कि माता-पिता भी संबंधित अध्यापक या स्कूल प्रबंधन के साथ समझौता कर लेते हैं। ऐसे में बच्चे को प्रताड़ना सहन करनी पड़ती है। यदि कोई बच्चा ज्यादा चंचल है तो उसके बर्ताव को लेकर भी स्कूल में पिटाई की जाती है। जो गलत है।

चाइल्ड हेल्प लाइन पर मांग रहे मदद

स्कूल नहीं जाने पर भी होती है बच्चे की पिटाई कई ऐसे भी मामले आए हैं जिसमें बच्चे की स्कूल नहीं जाने पर माता-पिता ने पिटाई की। यदि किसी दिन बच्चा स्कूल जाने से मना करता है तो प्यार से उसका कारण जाना जाए। उसकी पिटाई नहीं करनी चाहिए। इस तरह के मामले आने पर चाइल्ड लाइन की तरफ से ऐसे माता-पिता की काउंसिलिंग भी कराई गई। संयोजक सुभाष ने बताया कि उनकी टीम की तरफ से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है। बच्चों को लेकर माता-पिता और अध्यापकों के भी जागरूक होना होगा।

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