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'जाको राखे साइयां...', 9 इंच का चाकू पहुंचा दिल के करीब, फेफड़े को भी दिया चीर; फिर डॉक्टरों ने ऐसे बचाई शख्स की जान

पीजीआई के हृदय शल्य चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों ने एक ऐसे मरीज की जान बचाई है जिसके सीने में 9 इंच का चाकू घुस गया था। चाकू दिल और फेफड़ों को चीरते हुए दाएं एट्रियम तक पहुंच गया था। डॉक्टरों ने करीब 3-4 घंटे तक चले जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बचाई है। यह ऑपरेशन वाकई बड़ी सफलता है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 23 Oct 2024 05:43 PM (IST)
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रोहतक पीजीआई में डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन में पाई सफलता (जागरण फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, रोहतक। जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय। यह कहावत पीजीआइ के हृदय शल्य चिकित्सा विभाग में चरितार्थ होती दिखाई दी। जहां कार्डियक सर्जरी व बेहोशी विभाग के चिकित्सकों ने मौत के मुंह में जा चुके मरीज को नया जीवन देने का कार्य किया है।

मरीज के स्वजन ने हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के डॉ. एसएस लोहचब व डॉ. संदीप की टीम का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने मौत के मुंह में जा चुके एक मरीज की जान बचाकर बहुत ही नेक कार्य किया है।

26 साल का था युवक

हुआ यूं कि सोनीपत जिले के एक गांव में रहने वाले 26 वर्षीय युवक को 16 अक्टूबर की रात साढ़े 11 बजे किसी ने हृदय में चाकू मार दिया। चाकू छाती में फंस गया और उसका हैंडल टूटकर अलग हो गया। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए उसे अल सुबह करीब दो बजे पीजीआइएमएस के ट्रामा सेंटर लाया गया।

मरीज की छाती में फंसे चाकू के ब्लेड की लंबाई करीब नौ इंच और चौड़ाई तीन इंच थी। चिकित्सकों ने मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए तुरंत कार्डियक सर्जरी विभाग में सूचना दी।

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डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि मरीज की गंभीर हालत के बारे में पता चलते ही डॉ. पनमेश्वर राथिया और डॉ. सौरंकी प्रधान को ट्रामा सेंटर में जांच के लिए भेजा गया।

चाकू दिल के पास बुरी तरह फंसा हुआ था

रात में ही ऑपरेशन थियेटर पहुंचे निदेशक दोनों चिकित्सकों ने जब मरीज की जांच की तो पता चला कि चाकू हृदय के अंदर पूरी तरह से फंसा है।

इसकी सूचना तुरंत निदेशक और हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एसएस लोहचब को दी। डॉ. लोहचब तुरंत प्रभाव से हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के ऑपरेशन थिएटर में पहुंचे और मरीज को ऑपरेशन के लिए कार्डियक सर्जरी ओटी में शिफ्ट करवाया।

डॉ. लोहचब के मार्गदर्शन में बेहोशी विभाग की डॉ. गीता, डॉ. इंदिरा, डॉ. प्रकाश व डॉ. मनसमिता के साथ मिलकर ऑपरेशन शुरू किया गया। फेफड़े को चीर कर दिल तक पहुंचा था चाकू जब मरीज को ओटी में ले जाकर छाती खोलकर जांच की गई तो पता चला कि चाकू चौथे कॉस्टोकान्ड्रल जंक्शन से होते हुए दाएं फेफड़े, पेरीकार्डियम से होते हुए दाएं एट्रीयम में घुसा था।

यदि चाकू को सीधा निकाल दिया जाता तो अत्यधिक रक्तस्राव होने के चलते मरीज की जान जा सकती थी। ऐसे में सभी चिकित्सकों ने मिलकर मरीज के बारे में आगामी रणनीति बनाकर ऑपरेशन शुरू किया ताकि मरीज की जान को बचाया जा सके।

डॉ. लोहचब ने बताया कि मरीज के हृदय की पास वाली झिल्ली को और अधिक खोला गया और चाकू को बाहर निकालकर राइट साइड चैंबर को रिपेयर किया गया।

करीब 3 से चार घंटे चला ऑपरेशन

इसके साथ ही फेफड़ों को भी रिपेयर करके चाकू पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया। डॉ. लोहचब ने बताया कि करीब 3-4 घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन के बाद उनकी टीम मरीज की जान बचाने में पूरी तरह से सफल रही और अभी मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहा है व जल्द ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

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