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Stubble Burning In Rohtak: जिले में 16 स्थानों पर जलाई गई पराली, विभाग ने लगाया 40 हजार का जुर्माना

इस साल की बात करें तो दीपावली से पहले जिला में 16 जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं और विभाग ने इसको लेकर किसानों को जागरूक करने के साथ ही 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। पराली न जलाने वाले किसानों को सरकार एक हजार रुपये प्रति एकड़ भी देगी। इसके लिए किसानों को पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।

By Ratan kanwar Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Mon, 13 Nov 2023 04:59 PM (IST)
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रोहतक में पराली जलाने के 16 मामले आए सामने
जागरण संवाददाता, रोहतक। Stubble Burning Cases In Rohtak: पराली प्रबंधन की अनेक कोशिशों के बावजूद भी जिला में पराली जलाने के मामले रुक नहीं रहे हैं। इस साल की बात करें तो दीपावली से पहले तक जिला में 16 स्थानों पर पराली जलाई गई। हालांकि विभाग की ओर से किसानों को जागरूक करने के साथ ही जुर्माना भी लगाया जा रहा है।

आंकड़ों के अनुसार दीपावली से पहले तक विभाग ने पराली जाने वालों पर 40 हजार जुर्माना लगाया है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर विभाग की ओर से किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। पराली न जलाने वाले किसानों को सरकार एक हजार रुपये प्रति एकड़ देगी। इसके लिए धान उत्पादक किसानों को पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

दीपावली पर पराली जलाने के मामले शून्य

दीपावली पर आग लगने के मामले सामने आए हों लेकिन जिला में पराली जाने का कोई मामला हुआ। अधिकारियों का दावा है कि दीपावली पर पराली जलाने का आंकड़ा शून्य रहा है। हालांकि उससे पहले तक कुल 30 सूचनाएं विभाग के पास आई लेकिन जब वैरीफिकेशन की गई तो 16 मामले पराली जलाने के पाए गए।

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जिनमें से सभी से विभाग ने जुर्माना वसूल किया है। इसके अलावा उनके किसानों को सरकार की ओर से प्रति एकड़ एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है जो पराली नहीं जलाते हैं। इसका लाभ उठाने के लिए धान उत्पादक किसानों को 30 नवंबर तक पोर्टल पर पंजीकरना करना जरूरी है।

पराली को लेकर किसानों को किया जा रहा जागरूक

जिला में पराली प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।इसके लिए जिला में तीन प्रचार वाहन भी चल रहे हैं। पिछले दिनों महम के बैंसी व आसपास के गांवों में किसान मेले भी लगाए गए हैं। गांव-गांव में विभाग के कर्मचारी भी किसानों को जागरूक कर रहे हैं। पराली प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनें भी उपलब्ध कराई गई हैं।

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