Rohtak News: बाग प्रकरण में विवाद बढ़ने के आसार, अब HSVP कर रहा किसान से ब्याज वसूलने की तैयारी; जानिए पूरा मामला
Rohtak News हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) सख्ती के मूड में है। जिस नौ एकड़ जमीन में बाग है वहां एचएसवीपी जमीन अधिग्रहित होने के बाद करीब 80 प्लॉट काट चुका है। एचएसवीपी के नियमानुसार तीन वर्षों के अंदर प्लाट पर कब्जा न देने की स्थिति में ब्याज का बोझ बढ़ जाता है। जमीन अधिग्रहण के बाद सेक्टर-6 को बसाने के लिए प्लॉट काट दिए गए।
अरुण शर्मा, रोहतक। सेक्टर-6 स्थित बाग प्रकरण में विवाद बढ़ने के आसार हैं। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) सख्ती के मूड में है। जिस नौ एकड़ जमीन में बाग है वहां एचएसवीपी जमीन अधिग्रहित होने के बाद करीब 80 प्लॉट काट चुका है। एचएसवीपी के नियमानुसार तीन वर्षों के अंदर प्लाट पर कब्जा न देने की स्थिति में ब्याज का बोझ बढ़ जाता है।
किसानों से हो सके वसूली
एचएसवीपी ने खुद पर बढ़े ब्याज के बोझ को लेकर मुख्यालय से पत्राचार करने का निर्णय लिया है ताकि 80 प्लाट पर लगने वाले ब्याज की वसूली किसान से हो सके। एचएसवीपी के सूत्रों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के बाद सेक्टर-6 को बसाने के लिए प्लॉट काट दिए गए। योजना के तहत सेक्टर स्थित नौ एकड़ बाग में भी प्लॉट काटे गए, मगर कब्जे को लेकर एचएसवीपी व किसान राजबीर सिंह राठी का मामला कोर्ट में चलता रहा।
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प्लॉट पर नहीं दे सके कब्जा
एचएसवीपी का संपदा कार्यालय प्लॉट पर कब्जे नहीं दे सके। ऊपर से नियमित प्लाट की मिलने वाली किस्तें भी अटक गईं। दो से तीन बार एन्हांसमेंट की किश्तों और एन्हांसमेंट पर मिलने वाली ब्याज का भी नुकसान हुआ। इसलिए एचएसवीपी के अधिकारी इन सभी बिंदुओं को लेकर मुख्य प्रशासक पंचकूला को अवगत कराएंगे ताकि आगामी कार्रवाई की जा सके।
एचएसवीपी की संपदा अधिकारी श्वेता सुहाग ने बताया कि सेक्टर-6 प्रकरण में कुल तीन कोर्ट केस चल रहे हैं। इसमें किसान राजबीर प्रकरण में निर्णय आ गया है। दो अन्य मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं।
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अधिकारियों पर आरोप, रोक के बावजूद 2011 में कराया ड्रा
किसान राजबीर ने बताया कि 2010 में पूरे सेक्टर-6 को लेकर सुप्रीम कोर्ट से स्टे था। किसान के मुताबिक, जुलाई 2011 में एचएसवीपी की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई। उस दौरान एचएसवीपी ने सेक्टर-6 में ड्रा की अनुमति मांगी थी। अनुमति मिली नहीं फिर भी नवंबर 2011 में ड्रा करा दिए। इस प्रकरण में कोर्ट की अवमानना का केस हुआ था।