Haryana Election 2024: किलोई में भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ भाजपा को मजबूत चेहरे की तलाश, इन संभावित नामों की चर्चा
हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) में गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा सीट (Garhi-Sampla-Kiloi assembly seat) वीआईपी सीटों में से एक है। यहां से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा (Bhupendra Hooda) चुनाव लड़ रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा उनके किसी मजबूत चेहरे को कैंडिडेट बना सकती है। बता दें कि हरियाणा में एक अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होगा।
ओपी वशिष्ठ, रोहतक। गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की सबसे हॉट सीट में से एक है। चूंकि 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, तब से किसी भी चुनाव में भाजपा, इनेलो, जजपा व अन्य दलों के प्रत्याशी उनके सामने टिक नहीं सके हैं। 2019 में भाजपा ने प्रदेश में 75 पार का नारा दिया था।
भाजपा के पक्ष में लहर भी थी, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अपने क्षेत्र में हरियाणा की सबसे बड़ी जीत हुई थी। 2024 लोकसभा चुनाव में उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रिकॉर्ड मतों से किलोई की जनता ने आशीर्वाद दिया है। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को फ्री हैंड भी दे रखा है।
भाजपा के लिए प्रत्याशी उतारना बड़ी चुनौती
भाजपा के लिए इस बार गढ़ी-सांपला-किलोई में प्रत्याशी उतारने के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। हालांकि भाजपा पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है। कृष्णमूर्ति हुड्डा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं और किलोई से कांग्रेस की टिकट पर 1991 में विधायक भी बने थे। भूपेंद्र हुड्डा के विरुद्ध खुलकर बोलते हैं।इसके अलावा गैर जाट चेहरे की तलाश भी भाजपा कर रही है ताकि जातीय समीकरणों को साधकर चमत्कार किया जा सके। गढ़ी-सांपला-किलोई में दो लाख 19 हजार 585 मतदाता हैं। जजपा से डॉ. संदीप हुड्डा, इनेलो से अधिवक्ता कृष्ण कौशिक तथा आप से जगवीर हुड्डा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
बाबा मस्तनाथ मठ के महंत श्रेयोनाथ बने थे किलोई से पहले विधायक
1966 में पंजाब से हरियाणा अलग हुआ। पहले विधानसभा चुनाव 1967 में हुए तो बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर के महंत श्रेयोनाथ किलोई विधानसभा से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता स्वतंत्रता सेनानी चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा को हराया था।चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे। हालांकि एक वर्ष बाद ही हुए चुनाव में चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा ने अपने हार का बदला लेते हुए महंत श्रेयोनाथ को हरा दिया था।भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भाई प्रताप सिंह हुड्डा और वे खुद भी किलोई से 1982 में चुनाव हार चुके हैं। लेकिन 2005 के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की किलोई पर मजबूत पकड़ हो गई।
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