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'किसी से नफरत नहीं रखनी, सब अपने हैं', गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने जगमालवाली पहुंचकर बीरेंद्र सिंह को दिया हुक्म

राधा स्वामी सत्संग ब्यास (Radha Swami Satsang Beas) के संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों (Gurinder Singh Dhillon) और उनके नए उत्तराधिकारी जसदीप सिंह गिल बुधवार को वकील साहब के निधन के बाद शोक व्यक्त करने के लिए डेरा जगमालवाली पहुंचे। इस दौरान गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने डेरा जगमालवाली के महाराज बीरेंद्र सिंह ढिल्लों को पगड़ी पहनाई। साथ ही उनको हुक्म दिया कि आपकी जो ड्यूटी लगाई गई है उसको करो।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 19 Sep 2024 12:09 PM (IST)
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संत गुरिंद्र सिंह ढिल्लों से आशीर्वाद लेते जगमालवाली के संत बीरेंद्र सिंह।
संवाद सहयोगी, कालांवाली। मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम डेरा जगमालवाली में बुधवार को राधा स्वामी ब्यास के संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों व डेरा ब्यास के नए उत्तराधिकारी जसदीप सिंह गिल वकील साहब के निधन के बाद शोक व्यक्त करने के लिए आश्रम पहुंचे।

राधा स्वामी ब्यास के संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों सुबह डेरा जगमालवाली में हेलीकाप्टर से पहुंचे। राधा स्वामी ब्यास के संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने डेरा जगमालवाली के महाराज बीरेंद्र सिंह ढिल्लों को पगड़ी पहना कर हुक्म दिया कि महाराज वकील साहब ने आपकी जो ड्यूटी लगाई है उसको शुरू करो।

सबसे प्यार करना: गुरिंदर सिंह ढिल्लों

संत ने कहा कि महाराज वकील साहब की तरफ से दी गई ड्यूटी में नामदान और सत्संग भी शुरू करो। उन्होंने कहा कि सबसे प्यार करना। संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि जो लोग बिछड़े या गुमराह हुए हैं, उन्हें भी प्यार से समझा कर साथ लगाओ। सबसे प्यार करो। किसी से नफरत नहीं रखनी है। सब अपने हैं।

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उन्होंने डेरा जगमालवाली के महाराज बीरेंद्र सिंह ढिल्लों से करीब दो घंटे मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने डेरे के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि वकील साहब ने जो रास्ता दिखाया उसी पर चलते हुए भजन बंदगी व सेवा सिमरन करते रहना है। ब्यास के संत गुरिंदर सिंह ढिल्लों, संत जसदीप सिंह गिल व जगमालवाली के संत बीरेंद्र सिंह ढिल्लों ने संगत के बीच जाकर दर्शन दिए। जिससे संगत निहाल हो गई।

गद्दी को लेकर था विवाद

डेरा जगमालवाली में संत वकील साहिब के स्वर्गवास के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर विवाद पैदा हो गया। बीरेंद्र सिंह ढिल्लों ने वसीयत के आधार पर अपना दावा किया। जबकि दूसरे धड़े ने उन्हें मानने से इंकार कर दिया।

वकील साहिब को दफनाने से पहले इस विवाद ने हिंसक रुप ले लिया। इस दौरान हवाई फायरिंग भी हुई। पुलिस ने बीरेंद्र सिंह को बड़ी मुश्किल से घटनास्थल से निकाला। इसके बाद अंतिम अरदास के दिन भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

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