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डबवाली सीट पर आपस में ही उलझे चाचा-भतीजा और भाई, चौधरी देवीलाल के कुनबे में त्रिकोणीय मुकाबला

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 (Haryana Vidhan Sabha Election 2024) दिन-प्रतिदिन और भी ज्यादा मजेदार बनते ही जा रहा है। सिरसा के डबवाली सीट पर चौधरी देवीलाल का कुनबा आपस में ही उलझ गया है। दरअसल इस सीट पर ओपी चौटाला और उनके भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला और चचेरे भाई विधायक अमित सिहाग एक-दूसरे के खिलाफ ही मैदान में नजर आ रहे हैं।

By Nitish Kumar Kushwaha Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 19 Sep 2024 02:49 PM (IST)
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डबवाली सीट पर चौधरी देवीलाल के कुनबे के बीच त्रिकोणीय मुकाबला।
सनमीत सिंह थिंद, सिरसा: हरियाणा और पंजाब की सीमा पर बसा डबवाली में कई लोगों के घरों का एक हिस्सा पंजाब में आता हैं, तो उसी घर का एक दरवाजा हरियाणा में खुलता है। जबकि कई गांव राजस्थान की सीमा से जुड़े हुए है।

इसी वजह से यह विधानसभा क्षेत्र पंजाबी और बागड़ी भाषा का मिश्रण लिए हुए है। प्रत्याशियों को बागड़ी बेल्ट के गांवों में बागड़ी और पंजाबी बेल्ट के गांवों में पंजाबी भाषा में अपनी बात कहनी पड़ रही है। इसलिए प्रत्याशियों के लिए दोनों भाषाओं का ज्ञान जरूरी है।

इसलिए हॉट सीट बनी डबवाली

इस सीट पर अबकी बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है, क्योंकि चौधरी देवीलाल का कुनबा इस सीट पर आपस में उलझा हुआ है। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला, खुद ओपी चौटाला का पोता दिग्विजय चौटाला और विधायक अमित सिहाग त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए है। अमित सिहाग भी चौधरी देवीलाल के कुनबे से हैं। इसलिए चाचा, भतीजा और चचेरे भाई उलझ गए है।

ये हैं पिछला इतिहास

यह सीट 2009 के परिसीमन में सामान्य हुई। इस सीट पर चौटाला परिवार से अजय सिंह चौटाला 2009 का विधानसभा चुनाव जीते थे। उनके जेबीटी घोटाले में जेल जाने के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी नैना चौटाला ने पति की विरासत को आगे बढ़ाते हुए चुनाव जीता। दोनों चुनावों में ही तब इनेलो का मुकाबला कांग्रेस के डॉ. केवी सिंह के साथ था।

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दोनों चुनाव केवी सिंह हार गए। इसके बाद इनेलो से जजपा अलग हो गई। 2019 में ओपी चौटाला के दोनों बेटे अजय और अभय के परिवार से कोई सदस्य ना तो जजपा और ना ही इनेलो की टिकट पर इस सीट से चुनाव में नहीं उतरा। इसलिए भाजपा से आदित्य चौटाला और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. केवी सिंह के बेटे अमित सिहाग के बीच मुकाबला हुआ। जिसमें अमित सिहाग जीत गए।

आदित्य के इनेलो में आने से बदले समीकरण

इस विधानसभा सीट पर पिछले एक महीने की उथल-पुथल वाली राजनीति ने समीकरण बदल दिए। भाजपा की पहली सूची में नाम ना आने पर आदित्य चौटाला ने पार्टी छोड़कर इनेलो ज्वाइन कर ली। उनके ताऊ ओपी चौटाला ने उन्हें पार्टी की टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।

दूसरी ओर जजपा से ओपी चौटाला का पोता दिग्विजय चौटाला भी चुनावी मैदान में आ गया। ऐसे में चौटाला परिवार के दो वारिसों के आने से इस सीट पर समीकरण बदल गए। चाचा भतीजे और चचेरे भाई इस सीट पर उलझ गए है। ऐसे में विधायक अमित सिहाग त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए है।

आप और भाजपा प्रत्याशी बिगाड़ेंगे हार-जीत के समीकरण

इस सीट पर जाट, सिख, पंजाबी, बिश्नोई और दलित वोटर है। पांचों में से तीन प्रमुख प्रत्याशी जाट और दो प्रत्याशी जाट सिख है। कांग्रेस के अमित सिहाग, इनेलो के आदित्य चौटाला और जजपा के दिग्विजय चौटाला की हार जीत के समीकरणों को आम आदमी पार्टी के कुलदीप सिंह गदराना और भाजपा के बलदेव सिंह मांगेआना बिगाड़ेंगे। दोनों ही प्रत्याशी सिख है। साथ ही शहरी वोटर बंट गया तो भी प्रत्याशियों के समीकरण बिगड़ जाएंगे।

2005 से डबवाली चल रहा है सत्ता के उलट

डबवाली विधानसभा 2005 आरक्षित के समय से ही सत्ता के उलट चल रहा है। तब इनेलो के डॉ. सीताराम जीते थे, पंरतु सत्ता कांग्रेस की थी। 2009 में जब सामान्य सीट हुई तो इनेलो से अजय चौटाला जीते। लेकिन सरकार कांग्रेस की थी। 2014 में इनेलो से नैना चौटाला जीती, परंतु सत्ता भाजपा की थी। इसके बाद 2019 में कांग्रेस के अमित सिहाग जीते, परंतु भाजपा की सरकार बनी।

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विकास कार्य और शराफत के नाम पर मांगे जा रहे वोट

इस चुनाव में जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला कह रहे हैं कि जब वह बिना एमएलए बने ही आपके काम करवा सकता हूं तो एमएलए का तगमा मिलने पर बल्ले करवा सकता है। डबवाली से सरकार चलाऊगा।

जबकि इनेलो के प्रत्याशी आदित्य चौटाला पिछले दस साल में बिना एमएलए बने ही भाजपा की सरकार में जो विकास कार्य करवाए है, उनकी गिनती करवा रहे हैं। वे भावुक अपील कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के अमित सिहाग अपनी शराफत वाली छवि के साथ जनता के बीच उतरे हुए है। उनका कहना है कि शराफत की राजनीति मजबूत होगी। जो लोग जिन्हें अपना गढ़ मानते थे, जनता वो गढ़ तोड़ने को तैयार है। डराने, धमकाने की राजनीति खत्म होगी।

दो प्रत्याशी सरकार का हिस्सा रहे

भाजपा-जजपा गठबंधन के समय दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम रहे। ऐसे में जजपा प्रत्याशी भी चार साल इस सरकार का हिस्सा रहा। दूसरी ओर इनेलो प्रत्याशी आदित्य चौटाला 2019 का चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़े और हार गए। लेकिन भाजपा ने उन्हें हरको बैंक का चेयरमैन और हरियाणा कृषि विपणन मार्केटिंग बोर्ड का दो बार चेयरमैन नियुक्त किया।

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