हाईकोर्ट से डेरा प्रमुख को राहत, फरलो व पैरोल का निर्णय हरियाणा सरकार पर छोड़ा, पहले ही बता चुकी है सही आचरण
Haryana News पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बड़ी राहत दी है। उन्होंने पैरोल और फरलो का निर्णय हरियाणा सरकार पर छोड़ा। हरियाणा सरकार पहले ही डेरा प्रमुख के आचरण को सही बता चुकी है। डेरा प्रमुख ने अतीत में पैरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया है और हमेशा समय रहते आत्मसमर्पण किया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बड़ी राहत देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया है। इस याचिका में डेरा प्रमुख को पैरोल या फरलो पर रिहा नहीं करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेने में सक्षम है।
दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा सरकार पहले ही हाईकोर्ट को बता चुकी है कि डेरा प्रमुख वैधानिक प्रविधान के अनुसार पैरोल और फरलो के हकदार हैं।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने एसजीपीसी की डेरा प्रमुख को बार बार फरलो व पैरोल देने के खिलाफ याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि एसजीपीसी ने यह याचिका पिछले साल जनवरी में तब डाली थी, जब डेरा प्रमुख को 50 दिनों की पैरोल दी गई थी। अब वह पैरोल खत्म भी हो चुकी है।
जनकल्याण कार्यों को निरंतर गति प्रदान कर रहे
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार नियमों के अनुसार ही डेरा प्रमुख की फरलो व पैरोल पर निर्णय ले। इसी मामले में डेरा प्रमुख ने हाईकोर्ट से 21 दिन की फरलो देने के निर्देश देने की मांग की थी, ताकि वह इस अवधि के दौरान जेल से बाहर रहकर "कल्याणकारी गतिविधियां" कर सकें।
डेरा प्रमुख जेल से बाहर रहते हुए और जेल में रहते हुए भी अपने अनुयायिओं के माध्यम से जन कल्याण के कार्यों को निरंतर गति प्रदान कर रहे हैं।
क्या कहा गया अर्जी में
डेरा प्रमुख ने कहा कि फरलो के लिए अधिकारियों को आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन हाई कोर्ट के 29 फरवरी के स्थगन आदेश के कारण इस याचिका पर विचार नहीं किया गया है। फरलो पर रिहाई की मांग करते हुए डेरा प्रमुख की अर्जी में कहा गया है कि उनके सानिध्य में डेरे द्वारा कई कल्याणकारी गतिविधियां की जाती हैं।
जैसे बड़े पैमाने पर पौधारोपण, नशा मुक्ति अभियान और गरीब लड़कियों की शादी के काम कराए जाते हैं। इनके लिए डेरा प्रमुख द्वारा प्रेरणा अभियान चलाने की आवश्यकता है।
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70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो
यह तर्क दिया गया है कि राज्य ने पहले ही 89 ऐसे दोषियों को पैरोल और फरलो प्रदान की है, जिन्हें आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है। हाईकोर्ट ने सात अप्रैल 2022 के अपने आदेश में फैसला किया था कि डेरा प्रमुख संगीन व कट्टर अपराधी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।
हाई कोर्ट को यह भी बताया गया है कि हरियाणा गुड कंडक्ट कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है।
पैरोल के आवेदन पर विचार नहीं
याचिका में यह भी कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने अतीत में पैरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया है और हमेशा समय रहते आत्मसमर्पण किया है। यहां तक कि उन्हें किसी भी स्तर पर विशेष सुविधा भी नहीं दी गई है।
डेरा प्रमुख के अनुसार, 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा विचाराधीन है। 29 फरवरी को हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार नहीं किया जाए।
यह मामला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर हाईकोर्ट में पहुंचा था।
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