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Ayodhya Ram Mandir: इंदिरा के सामने लगाए थे राम मंदिर निर्माण के नारे, पढ़िए हरियाणा के इस कारसेवक की संघर्ष गाथा

Sirsa News 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ ही मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों का बरसों पुराना सपना भी पूरा हो जाएगा। जिले के अलीमोहम्मद निवासी स्व. बनवारी लाल शर्मा भी उनमें से एक थे। शर्मा ने सन् 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने भी राम मंदिर निर्माण को लेकर नारे लगाए थे और काले झंडे दिखाए थे।

By Subhash Agnihotri Edited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 18 Jan 2024 08:03 PM (IST)
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Haryana News: राम मंदिर निर्माण के लिए इंदिरा गांधी के सामने लगाए थे नारे। फाइल फोटो
अमनदीप कंबोज, सिरसा। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ ही मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों का बरसों पुराना सपना भी पूरा हो जाएगा। जिले से भी काफी संख्या में श्रद्धालु सन् 1990 में कारसेवा के लिए अयोध्या में पहुंचे थे।

 राम मंदिर को लेकर इंदिरा गांधी को दिखाए थे काले झंडे

जिसमें सिरसा के अलीमोहम्मद निवासी स्व. बनवारी लाल शर्मा भी एक थे। बनवारी लाल शर्मा ने सन् 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने भी राम मंदिर निर्माण को लेकर नारे लगाए थे और काले झंडे दिखाए।

1990 में राम जन्म भूमि आंदोलन में लिया हिस्सा

वहीं स्व. बनवारी लाल शर्मा के पोते प्रदीप पारीक ने बताया कि उसके दादा ने सन् 1990 में राम जन्म भूमि आंदोलन में हिस्सा लिया था। वहां पर मुस्लिम लोगों का बाबरी मस्जिद के लिए मतभेद चल रहा था और इसी मतभेद के कारण प्रशासन ने बाहर के लोगों को अयोध्या प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगा रखी थी।

राम मंदिर निर्माण के लिए इंदिरा गांधी के सामने भी स्व. बनवारी लाल शर्मा ने लगाए थे नारे। फाइल फोटो

पुलिस से चोरी छिपके उनके दादा बनवारी लाल, बीर सिंह चोयल, रूपराम रणुआ, सीताराम सैन व पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल अयोध्या के पास गांव में पहुंच गए और वहां पर खेत में छिप गए। पांच दिनों तक वह वहां पर रहे। इस दौरान उनके दादा प्रो. गणेशीलाल को रामायण की चौपाइयां भी सुनाते थे।

छिपने में जब पुलिस ने की थी मदद

तभी एक सिपाही को उनके छिपे होने की जानकारी मिल गई। सिपाही ने उन्हें कहा कि बाहर मत निकलना नहीं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर कारागार में भेज देगी। तभी गांव के बीर सिंह चोयल, रूपराम रणुआ व सीताराम को पुलिस ने बाराबंकी में गिरफ्तार कर लिया लेकिन वह बच गए और अयोध्या पहुंच गए।

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उनके दादा ने सरजू नदी का पानी बोतल में तथा एक थैली में कुछ मिट्टी भर ली और रामलला की जन्म भूमि पर अर्पित करने पहुंच गए। लेकिन वर्ष 2010 में उनके दादा का देहांत हो गया। करीब 34 वर्ष बाद उनके दादा का सपना अब पूरा हुआ है।

पूर्व पीएम के सामने लगाए थे राम मंदिर निर्माण के लिए नारे

वहीं भगत सिंह कालोनी निवासी प्रदीप पारीक ने बताया कि उनके दादा स्व. बनवारी लाल शर्मा उन्हें बताते थे कि 23 वर्षों में ही वह मंदिर के निर्माण को लेकर मांग कर रहे थे। वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी के गांव अबूबशहर में पहुंचने पर उन्होंने उसके सामने भी राम मंदिर के निर्माण को लेकर नारे लगाए थे।

तभी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और एक रात थाने में बंद रखा था। रात को पुलिस कर्मचारियों ने भी उनके दादा से रामायण का पाठ सुनाने की बात कही थी। उनके दादा ने थाने में ही थानेदार के सामने कुर्सी पर बैठक उन्हें श्लोक, चौपाइयां व रामायण का पाठ भी सुनाया।

उन्होंने बताया कि उनके दादा ने 23 वर्ष की आयु में ही रामायण का पाठ करना शुरू कर दिया था। वह सरसाइनाथ मंदिर में पुजारी रहे। इसके पश्चात श्याम गोशाला के साथ स्थित हनुमान मंदिर में पुजारी रहे और गोशाला में मुनीमी का काम करते थे। आज राम मंदिर निर्माण के बाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। उनके दादा का सपना अब पूरा हुआ है।

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