Kumari Selja Interview: 'मेरी रगों में कांग्रेस का खून', BJP के ऑफर पर सैलजा का जवाब; CM पद की दावेदारी पर भी बोलीं सांसद
Kumari Selja Interview चुनाव के बीच कुमारी सैलजा ने कांग्रेस के भीतर अतर्कलह पर विराम लगाते हुए कहा कि मैं पार्टी की मैं पार्टी की अनुशासित सिपाही हूं और अनुशासन से बंधी हूं। इसी तरह सांसद कांग्रेस-आप के गठबंधन और मुख्यमंत्री पद के दावेदारी पर भी बोलीं। पूर्व अध्यक्ष और छठी बार की सांसद कुमारी सैलजा से दैनिक जागरण के हरियाणा ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने विस्तृत बातचीत की।
अनुराग अगरवाल, सिरसा। चुनाव में टिकटों के आवंटन से नाराज कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा इन दिनों काफी चर्चा में हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बना रखी है।
सैलजा की नाराजगी का कारण टिकटों के आवंटन में समर्थकों की अनदेखी तो है ही, साथ में कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देना भी है, जो उनकी और टिकट की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। वह विधान सभा चुनाव भी लड़ना चाहती थीं, लेकिन हाईकमान ने अनुमति नहीं दी।
कांग्रेस की इस अंतरकलह को भाजपा से बसपा तक, सबने भुनाने का काम किया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तो उन्हें अपनी-अपनी पार्टियों में शामिल होने का निमंत्रण दे डाला। कांग्रेस पार्टी में सैलजा की नाराजगी इस कद्र बढ़ी हुई है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पता चला कि सैलजा उनके कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी तो हरियाणा दौरा स्थगित कर दिया।
सैलजा महासचिव होने के साथ-साथ कार्यसमिति की सदस्य और उत्तराखंड की प्रभारी भी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री, प्रदेश की पूर्व अध्यक्ष और छठी बार की सांसद कुमारी सैलजा से दैनिक जागरण के हरियाणा ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने विस्तृत बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
1. हरियाणा में चुनाव प्रचार चरम पर है, लेकिन लंबे समय से आप चुनाव प्रचार में कहीं दिखाई नहीं दे रहीं। आखिरी बार आपको अपने दो समर्थकों शमशेर सिंह गोगी (असंध) और शैली चौधरी (नारायणगढ़) के नामांकन के दौरान चुनावी समर में देखा गया था?
टिकटों के आवंटन से पहले तक हमने खूब प्रचार किया। बाद में भी किया। आरंभ में उम्मीदवार व्यस्त होते हैं। इसलिए सभी जगह जाना नहीं हो पाता, लेकिन यह बात भी सही है कि कुछ बातें हो जाती हैं, जो कि पार्टी के अंदर की होती हैं। इन्हें सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जा सकता। मैं पार्टी की अनुशासित सिपाही हूं और अनुशासन से बंधी हूं।2. तो क्या यह मान लिया जाए कि आप वास्तव में नाराज हैं, क्योंकि यह तो किसी से नहीं छिपा कि आपकी उम्मीदों और अपेक्षाओं के अनुरूप आपके समर्थकों को टिकट नहीं मिल पाए हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी नंबर गेम से जुड़ी होती है। जिसके पास जितने विधायक, उसकी उतनी मजबूत दावेदारी। आपका क्या कहना है?
यह मामला टिकटों के आवंटन में हिस्सेदारी से जुड़ा नहीं है। पार्टी में जब भी कोई लीडरशिप होती है, उसके साथ काम करने वाले समर्थक और मेहनती कार्यकर्ता जुड़े होते हैं। सभी को मान-सम्मान मिलना चाहिए। टिकटों के लिए सब सिफारिशें करते हैं। आखिर में किसका क्या होता है और किसकी किस्मत जागती है, यह अलग बात है। ऐसा हर चुनाव में होता है। अंत में सब कांग्रेस के ही उम्मीदवार कहलाते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।3. क्या यह बात सही है कि आप स्वयं भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने अनुमति नहीं दी?
यह मेरी कोई नई इच्छा नहीं थी। मैंने आरंभ से ही कहा था कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छुक हूं। उकलाना मेरा घर है। मैंने वहां से चुनाव लड़ने की इच्छा से पार्टी को अवगत करा दिया था। बीच में लोकसभा चुनाव आ गए। पार्टी का आदेश लोकसभा चुनाव लड़ने का हुआ। मैंने पार्टी की अनुशासित सिपाही की तरह आदेश मानते हुए सिरसा से लोकसभा का चुनाव लड़ा। लोगों ने मुझे भारी मतों से चुनाव जिताया। मैं ऐसी पहली सांसद हूं, जो दो बार अंबाला और तीन बार सिरसा से चुनाव जीती। एक बार मैं राज्यसभा सदस्य चुनी गई। मैं छह बार की सांसद हूं। यदि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताऊं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। फैसला हाईकमान को ही करना होता है। हमें कई जगह लगा कि बेहतर उम्मीदवार हैं, जिनको टिकट मिलने चाहिए।हमारी सोच और सिफारिश के विपरीत जिन लोगों को टिकट मिले, उन्होंने हमारे ऊपर किस तरह की अनर्गल टिप्पणियां की, यह किसी से छिपा नहीं है। कुछ बातें हो जाती हैं, लेकिन उनका मेरी नाराजगी से कोई संबंध नहीं है। कांग्रेस आगे बढ़ रही है। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी और उसमें बाकी सभी लोगों की तरह सैलजा का भी योगदान रहेगा।4. कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके विरोधियों का ज्यादा प्रभाव कांग्रेस हाईकमान पर हो गया हो और वह सैलजा को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देने के लिए मनाने में कामयाब हो गए हों।
मैं इस बारे में क्या कह सकती हूं। मैं तो पार्टी के फैसले से बंधी हूं। रही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की बात, तो वह कोई भी कर सकता है। हर पार्टी में ऐसा होता आया है। सब लोग इच्छाएं रखते हैं। एक वरिष्ठता का भी स्तर होता है। मैंने अपनी इच्छाओं को खुलकर व्यक्त किया। हो सकता है कि मुझे इसका खमियाजा भुगतान पड़ गया हो। यह भी संभव है कि कुछ लोगों के दिलों में डर बैठ गया हो कि यदि सैलजा विधानसभा चुनाव जीत गई तो कहीं उनके लिए खतरा पैदा ना हो जाए।5. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जब किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं होता। यह प्रयोग हरियाणा में भी संभव है। इस बारे में क्या कहेंगी?
बिल्कुल संभव है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब किसी गैर-विधायक को मुख्यमंत्री बनाया गया है। यह कांग्रेस हाईकमान तय करता है। हाईकमान से मतलब सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे। वह पार्टी के अन्य नेताओं से भी राय करते हैं। टिकट नहीं मिला तो यह मतलब नहीं कि मेरा वजूद खत्म हो गया है। सोच कभी खत्म नहीं होती। संघर्ष जारी रहेगा। वंचित और महिला के नाते मुख्यमंत्री पद पर हमारी दावेदारी बरकरार है, मगर फिर मैं कहना चाहती हूं कि अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान को ही लेना होता है।सैलजा की लड़ाई केवल अपने लिए नहीं है। मैं छत्तीस बिरादरी, कमजोर वर्ग, महिला व वंचित कल्याण की लड़ाई लड़ रही हूं। मेरा राजनीतिक जीवन खुली किताब है। यह सब जानते हैं। सीएम पद का दावा कोई बीता कल नहीं, जो लौटकर नहीं आ सकता। 6. हरियाणा के चुनावी रण में आपकी गैर-मौजूदगी पर बसपा सुप्रीमो मायावती और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने आपके प्रति काफी सहानुभूति जताई। अपनी-अपनी पार्टियों में आने के निमंत्रण तक दिए। इसे कैसे देखते हैं?भाजपा के जो नेता मुझे अपनी पार्टी में आने का निमंत्रण दे रहे हैं, उन नेताओं के राजनीतिक जीवन से लंबा मेरा राजनीतिक जीवन है। मैं इन भाजपा नेताओं को कहना चाहती हूं कि वह मुझे किसी तरह की सलाह अथवा नसीहत मत दें। मुझे पता है कि मेरा रास्ता क्या है। मैं स्वयं और मेरी पार्टी मेरा रास्ता तय करना जानते हैं। भाजपा के लोगों का काम ही हमेशा भ्रम फैलाने का होता है। उन्होंने आज तक भ्रम की ही राजनीति की है। बसपा ने ही मेरे नाम पर राजनीति करते हुए कुछ लाभ हासिल करने की सोची होगी। मैं कांग्रेस की सिपाही हूं।कांग्रेस से ही मेरा मान सम्मान है। मैं आज राजनीति व समाज के जिस भी मुकाम पर हूं, मुझे यहां कांग्रेस ने ही पहुंचाया है। राजनीति कोई सुबह नौ से शाम पांच बजे तक की जॉब नहीं है। यह संघर्ष का समुद्र है। यहां अपना रास्ता स्वयं बनाना पड़ता है।7. हरियाणा में दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व से आपकी नाराजगी के चलते राजनीतिक गलियारों में यहां तक कहा गया कि आप उस दिन भाजपा में शामिल हो जाएंगी?
कुछ लोगों को कुछ दिन के लिए खुश होने का समय मिल गया। उन्हें खुश हो लेने दीजिये। सैलजा कांग्रेस के अलावा किसी दूसरे दल के बारे में सोच भी नहीं सकती। सैलजा की रगों में कांग्रेस का खून है। जिस तरह से मेरे पिताजी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दलबीर सिंह जी कांग्रेस के तिरंगे में लिपटकर इस नश्वर संसार से जीवन यात्रा पूरी कर गये थे, उसी तरह सैलजा भी कांग्रेस पार्टी के तिरंगे में लिपटकर जाएगी।पार्टी की विचारधारा व नेतृत्व के प्रति यह मेरा पक्का वादा है। रही मेरी नाराजगी की बात तो वह मेरा हक है। क्या कोई घर में नाराज नहीं होता। सब होते हैं, फिर मना लिये जाते हैं। भाजपा के पास कहने व करने के लिए कोई बात नहीं है। कांग्रेस पार्टी और मेरे नेतृत्व को पता है कि सैलजा कभी कांग्रेस नहीं छोड़ सकती। भाजपा अपना घर और रास्ता खुद देखे।8. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सोमवार को आपके संसदीय क्षेत्र अंबाला में जनसभाएं करने आने वाले थे, लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि आप नहीं पहुंच रही हैं तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपने दौरे रद कर दिये।
पार्टी अध्यक्ष हरियाणा में चुनावी कार्यक्रम करने आ रहे हैं, इस बात की मुझे कोई जानकारी न तो अब है और न ही पहले थी। न ही मुझे ऐसे किसी कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया गया था। पार्टी अध्यक्ष का कार्यक्रम कब बना और कब स्थगित हो गया, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। आपसे ही मुझे यह जानकारी मिल रही है।9. चुनाव सिर पर है और आपके समर्थक आपके इशारे और चुनाव प्रचार में आने का इंतजार कर रहे हैं। अब क्या समझा जाए? आप चुनावी रण में प्रचार के लिए उतरेंगी अथवा नहीं। चर्चा यह भी है कि आपको पार्टी नेतृत्व ने मना लिया है?
मानने और मनाने वाली कोई बात नहीं है। कांग्रेस सत्ता में आनी चाहिए। मैं जल्द ही चुनाव प्रचार करूंगी। हमारी कितनी सीटें आएंगी, यह तो नहीं कह सकती, लेकिन कांग्रेस 89 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एक सीट सीपीएम को दी गई है। राज्य में कांग्रेस पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। इस चुनाव में मैंने महसूस किया कि लोकल मुद्दे भी काफी हावी हैं। शहरों व गांवों में ढांचागत विकास नहीं हो पाया है।10. जींद जिले में आपके सम्मान में कुछ लोगों ने जो अपशब्द कहे, उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने आपको बहन बनाकर ऐसे लोगों को खरी-खोटी सुनाई।
सब समय-समय की बात होती है। यह समय ही है, जो बहन भी कहलवा देता है और सम्मान भी दिला देता है। कांग्रेस पार्टी में मेरी अपनी जगह है और दूसरों की अपनी जगह हो सकती है। मैं हीनभावना से कभी त्रस्त नहीं होती।11. हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का यदि कोई गठबंधन हो पाता तो आपको क्या लगता, किसे फायदा मिलता और किसे नहीं?
मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी का हरियाणा में कुछ नहीं है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के पास अब कुछ काम करने को नहीं रह गया है तो उन्होंने सोचा कि हरियाणा घूम आता हूं।इसलिए वह यहां चुनाव प्रचार करने आए हैं। हमने लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को एक सीट कुरुक्षेत्र देकर देखी थी, लेकिन कांग्रेस की पूरी कोशिश के बाद भी आम आदमी पार्टी वहां चुनाव नहीं जीत सकी। आतिशी को मजबूरीवश दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया है। दिल्ली में बदहाली के लिए आप जिम्मेदार है। इसलिए लोग हरियाणा में उन्हें स्वीकार नहीं कर सकते।खास बातें
- पार्टी प्लेटफार्म की बातों को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जा सकता
- सीएम पद का दावा कोई बीता कल नहीं, जो लौटकर नहीं आ सकता
- मैं कांग्रेस पार्टी की अनुशासित सिपाही हूं और पार्टी के अनुशासन से बंधी हूं।
- मैं विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताऊं तो इसमें कोई बुराई नहीं
- मैंने अपनी इच्छाओं को खुलकर व्यक्त किया, इसका मुझे खमियाजा भुगतान पड़ा
- चुनाव में टिकट नहीं मिला तो यह मतलब नहीं कि मेरा वजूद खत्म हो गया
- वंचित और महिला के नाते मुख्यमंत्री पद पर हमारी दावेदारी बरकरार है