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'किसी का दिल नहीं करता अपने बच्चे को धुएं में रखें', लखविंदर औलख बोले- मजबूरी में पराली जला रहे किसान

हरियाणा के सिरसा में पराली जलाने की घटना सामने आई है। किसान नेता लखविंदर औलख ने कहा कि पराली जलाना किसान की मजबूरी है। छोटे किसानों के पास आवश्यक मशीनें नहीं हैं। सरकार को किसानों को अच्छी सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराने की जरूरत है। इसके बाद ही पराली जलाने की घटनाएं पर रोक लग सकती हैं। किसान के पास मजबूरी है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 01 Nov 2024 09:55 AM (IST)
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लखविंदर औलख बोले- मजबूरी में पराली जला रहे किसान।
डिजिटल डेस्क, सिरसा। हरियाणा के सिरसा में फरवाई कलां गांव के एक खेत में पराली जलाने की घटना सामने आई है। यहां बहुत बड़े स्तर पर पराली जलाई जा रही है। इस घटना पर किसान नेता लखविंदर औलख ने कहा कि पराली जलाना किसान की मजबूरी है। छोटे किसानों के पास आवश्यक मशीनें नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों को मंडियों में धान बेचने के लिए 5-7 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। डीएपी लेने के लिए लाइन लगानी पड़ती है। सरकार को किसानों को अच्छी सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराने की जरूरत है।

'छोटे किसान के पास छोटा संसाधन'

औलख ने कहा कि जो छोटा किसान है, उनके पास साधन भी छोटा है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें एनजीटी ने स्पष्ट कर दिया है कि पराली की धुएं की केवल दो प्रतिशत हिस्सा है, बाकी 98 प्रतिशत इंडस्ट्री का है।

उन्होंने कहा कि अगर पराली को जलाने से रोकना है तो 1000 रुपये का लॉलीपॉप को छोड़कर सरकार को उचित व्यवस्था करनी चाहिए। किसी का मन नहीं करता है कि वह पराली जलाएं। कोई अपने बच्चे को धुएं में नहीं रखना चाहता है। लेकिन मजबूरी में यह करना पड़ता है।

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