ये हैं किडनी डोनर देवियां: पति पर आई मुसीबत तो पत्नी ने दिया जीवनदान, त्याग और समर्पण की भावना कर देगी हैरान
नारी क्रोधित होने पर मां काली का रूप धारण कर लेती है तो समर्पण और त्याग की भावना में महिलाओं की तुलना करना भी मुश्किल है। त्याग और समर्पण की भावना के चलते उन्हें देवी कहा जाता है। यह महज औपचारिकता नहीं होती बल्कि सत्य घटनाओं पर आधारित है। यहां ऐसी ही दो महिलाएं की हैं जिन्होंने अपने त्याग और समर्पण की भावना से सबको हैरान कर दिया है।
संवाद सहयोगी, डबवाली। गांव सावंतखेड़ा की सितंबर-अक्तूबर 2021 में यह कहानी खूब चर्चा में आई थी कि गांव सावंतखेड़ा में एक महिला ने किडनी देकर पति को जिदंगी दी थी। हम बात कर रहे है कुलदीप सिंह और उनकी पत्नी अमृतपाल की।
करीब 39 वर्षीय कुलदीप सिंह पोलियोग्रस्त हैं। वह ट्रांसपोर्ट चलाते हैं। साल 2011 में एक किडनी खराब हो गई थी। करीब 10 साल बाद दूसरी किडनी खराब हो गई। किडनी खराब होने की वजह पथरी बताई गई। मेदांता अस्पताल गुरुग्राम के चिकित्सक ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी। अब सवाल था कि किडनी कौन देगा? वृद्ध माता-पिता, ससुर तक किडनी देने को तैयार हो गए। लेकिन चिकित्सक ने बीमारी या अन्य कारणों की वजह से किडनी लेने से इंकार कर दिया।
पति की हालत देख पत्नी आई आगे
परिवार दुविधा में फंसा था तो दो बेटियों के पिता कुलदीप को जिंदगी के लिए अमृत की जरूरत थी। ऐसे में उनकी पत्नी अमृतपाल आगे आई। परिवार ने काफी रोका टोका लेकिन पति की हालत देखकर वो खुद को रोक नहीं पाई। चेकअप के बाद डॉक्टरों ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फिट बताया। इसके बाद पति को बचाने के लिए उन्होंने अपनी एक किडनी डोनेट कर दी। दोनों आज भी स्वस्थ हैं।जब 61 वर्षीय पत्नी ने डोनेट की किडनी
दूसरी कहानी भी गांव सावंतखेड़ा की है। कहानी बड़ी रोचक हैं। साल 2021 में जब चिकित्सकों ने करीब 61 वर्षीय सावित्री देवी से सवाल पूछा कि आप किडनी क्यों डोनेट करना चाहती हैं? वृद्धा ने कहा कि मेरे पति रामचंद्र, मेरे लिए सबकुछ है। मैं उन्हें खुद से दूर नहीं देख सकती। मेरी किडनी ही उनकी जिंदगी है। यह किसी हिंदी फीचर फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है। बल्कि असल जिंदगी की बेमिसाल कहानी है। कहानी का गवाह बना मोहाली का निजी अस्पताल। यहां सावित्री ने किडनी डोनेट करके पति को जीवनदान दिया।
तीनों बेटों के एप्लीकेशन को चिकित्सकों ने कर दिया रिजेक्ट
दरअसल, गांव सावंतखेड़ा निवासी 63 वर्षीय रामचंद्र लोक निर्माण विभाग (भवन एवं पथ) में मैट के पद पर तैनात थे। करीब दो साल पूर्व ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण किडनी पर असर हुआ था। बीकानेर (राजस्थान) में उपचार शुरू हुआ। दवाइयों से जैसे-तैसे कुछ समय बीत गया। कुछ माह बाद उन्हें दोबारा परेशानी आने लगी। स्वजन उपचार के लिए उसे मोहाली के निजी अस्पताल ले गए। चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।तीन बेटे सुभाष, दलीप, हरि राम आगे आए। चिकित्सकों ने रिजेक्ट कर दिया। जिंदगी के आखिरी पड़ाव में कदम रख चुकी वृद्ध दंपती के सामने किडनी ट्रांसप्लांट चुनौती था। चुनौती को सावित्री ने स्वीकार किया। पूरे हौसले के साथ आवेदन किया। चिकित्सकों ने टेस्ट किए तो किडनी उपयुक्त बताई। उससे पहले डॉक्टरों के पैनल ने उनका इम्तिहान लिया। मसलन पूछा कि किसे किडनी डोनेट कर रही हैं। यहां तक पूछ लिया कि किडनी क्यों डोनेट करना चाहती हैं।
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