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प्रॉपर्टी टैक्स न भरने पर एटलस फैक्ट्री सील, 2021 से लेकर अब तक तीन बार बंद हो चुका है साइकिल का कारखाना

प्रॉपर्टी टैक्स जमा न कराने पर एटलस फैक्ट्री को फिर से सील किया गया है। जुलाई 2021 से अब तक ये तीसरी बार है जब फैक्ट्री को सील किया गया है। इस दौरान एक बार फैक्ट्री प्रबंधन जरूरी काम का हवाला देकर हाईकोर्ट के जरिए सीलिंग खुलवा चुका है।

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 06 May 2023 10:23 PM (IST)
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प्रॉपर्टी टैक्स जमा न कराने पर एटलस फैक्ट्री को फिर से सील किया गया है।

सोनीपत, जागरण संवाददाता। प्रॉपर्टी टैक्स जमा न कराने पर एटलस फैक्ट्री को फिर से सील किया गया है। जुलाई, 2021 से अब तक ये तीसरी बार है जब फैक्ट्री को सील किया गया है। इस दौरान एक बार फैक्ट्री प्रबंधन जरूरी काम का हवाला देकर हाईकोर्ट के जरिए सीलिंग खुलवा चुका है। उस समय 15 दिन की समय अवधि पूरी होने के बाद फिर से सील कर दिया गया था।

इसके बाद एक बार निगम प्रशासन को जरूरी काम होने और टैक्स भरने का आश्वासन देकर सील खुलवाई गई, लेकिन टैक्स न भरने पर अब दोबारा से फैक्ट्री को सील किया गया है। हालांकि फैक्ट्री में उत्पादन कई साल पहले से ही बंद है।

शहर के रोहतक फ्लाईओवर के पास करीब 25 एकड़ में फैली एटलस फैक्ट्री 2017 से बंद है। फैक्ट्री का प्रापर्टी टैक्स भी नहीं भरा जा रहा। फैक्ट्री पर करीब 90 लाख रुपये का प्रापर्टी टैक्स बकाया है। कई बार नोटिस देने के बाद भी प्रापर्टी टैक्स जमा नहीं करवाया गया। इसके बाद निगम ने फैक्ट्री को सील कर दिया था।

इसके बाद प्रबंधन ने कुछ जरूरी काम का हवाला देकर हाइकोर्ट में अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने 15 दिन के लिए सील हटाने का समय दिया था। उसके बाद निगम ने फैक्ट्री सील कर दी थी। अब कई महीने पहले निगम में जरूरी काम का हवाला देकर और टैक्स भरने का आश्वासन देकर सील खुलवाई गई थी। टैक्स न भरने अब अब शनिवार को फैक्ट्री को फिर से सील कर दिया गया है। नगर निगम के जोनल टैक्स आफिसर राजेंद्र चुघ का कहना है कि टैक्स न भरने वालों से निगम सख्ती से निपटा जा रहा है।

टैक्स डिफाल्टरों से सख्ती से निपटेगा निगम

विश्राम मीणा नगर निगम आयुक्त विश्राम कुमार मीणा का कहना है कि प्रापर्टी टैक्स भरने में आनाकानी करने वालों से निपटने के लिए निगम ने डिफाल्टरों को चिह्नित किया है। जरूरत पड़ने पर बकायेदारों पर एफआइआर दर्ज होगी।

उनका वाहन व प्रापर्टी नीलाम भी हो सकते हैं। निगम प्रशासन की ओर से आवश्यकता पड़ने पर मालिकों का बैंक खाता भी अटैच करवाया जा सकता है। बड़े डिफाल्टरों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत कर दी गई है।

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