किसान आंदोलन से आई बड़ी खबर, गुरनाम चढ़ूनी ने संयुक्त मोर्चा से इतर बनाया किसान-मजदूर फेडरेशन
चढ़ूनी ने बताया कि फेडरेशन के जरिए देशभर के सभी किसानों व संगठनों को आंदोलन से जोड़ने की कवायद की जाएगी। इसके संचालन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी को बनाया जाएगा जिससे इसका संचालन सही तरीके से हो।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 27 May 2021 07:28 PM (IST)
सोनीपत, संजय निधि। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोल के बीच एक नया संगठन खड़ा करने की कवायद तेज हो गई है। मोर्चा में शामिल भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन का गठन कर इसके संकेत दिए हैं। बृहस्पतिवार को जीटी रोड स्थित गोल्डन हट ढाबे में संयुक्त मोर्चा में शामिल संगठनों से इतर करीब 10 किसान संगठन के नेताओं के साथ बैठक कर इस फेडरेशन का गठन किया। चढ़ूनी ने कहा कि फेडरेशन का उद्देश्य संयुक्त मोर्चा का सहयोग करना है। फेडरेशन के जरिए देशभर के सभी किसान संगठनों को एक मंच प्रदान करने और उन्हें आंदोलन से जोड़ने की कवायद है।
इन-इन राज्यों में होगा कामगुरनाम चढ़ूनी ने दावा किया कि फेडरेशन में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरिय़ाणा, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थन आदि के 38 संगठन फिलहाल शामिल हुए हैं। अन्य संगठनों से भी बातचीत चल रही है। यह फेडरेशन देश के सुदूरवर्ती प्रांतों के किसान संगठन, जो इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं, से संपर्क करके उन्हें भी आंदोलन से जोड़ेगा। आंदोलन को लेकर संयुक्त मोर्चा के निर्णय को उन तक पहुंचाकर वहां भी आंदोलन खड़ा किया जाएगा, ताकि इस आंदोलन को देशभर में पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि फेडरेशन का काम स्थायी होगा। इस आंदोलन के अलावा भी यदि देश के किसी हिस्से में स्थानीय स्तर पर किसानों की कोई समस्या है तो उसे भी दूर करने के लिए फेडरेशन आंदोलन चलाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल इसका अध्यक्ष तय नहीं हुआ है। इसका संचालन पांच स्दस्यीय कमेटी करेगी। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी, पंजाब) के प्रदेशाध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल, सुखविंदर सिंह कौर, सेवा सिंह आर्य, कुलदीप त्यागी आदि मौजूद रहे।
फेडरेशन पर उठ रहे सवाल भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन को लेकर चढ़ूनी कुछ भी दावा करें, लेकिन इसके गठन से आंदोलन और संयुक्त किसान मोर्चा में अलगाव की बात उठने लगी है। क्योंकि दो दिन पहले ही चढ़ूनी ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश में आंदोलन नहीं चलने की बात कही थी। उन्होंने परोक्ष रूप से वहां के नेताओं और उनके संगठन पर सवाल भी उठाए थे कि हरियाणा की तरह वहां की सरकार का विरोध, मुख्यमंत्री व नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध क्यों नहीं करते हैं। उनका इशारा कहीं न कहीं भाकियू नेता राकेश टिकैत की ओर ही था। आंदोलन में शामिल मोर्चा के नेता फिलहाल इस पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं, लेकिन आंदोलनकारियों में फेडरेशन के औचित्य पर चर्चा जरूर शुरू हो गई है कि देश के दूसरे हिस्सों के किसान संगठनों को भी मोर्चा के बैनर तले ही आंदोलन से जोड़ा जा सकता था। इसके लिए फेडरेशन की क्या जरूरत है।
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