CBSE Result: 12वीं में कम नंबर आने पर परेशान हुई सोनीपत की छात्रा, फांसी लगाकर दी जान
हरियाणा के सोनीपत जिले में 12वीं में कम नबंर आने पर एक छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी। मामला राई थाना क्षेत्र के रसोई गांव का है। परिजनों का कहना है कि छात्रा के 40 प्रतिशत से कम नंबर आए थे। इस कारण वह काफी परेशान थी।
सोनीपत, जागरण संवाददाता। 12वीं कक्षा में कम नंबर आने से परेशान छात्रा ने अपने घर में कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके फंदा लगा लिया। स्वजन ने कमरे में देखा तो घटना की सूचना कुंडली थाना पुलिस को दी। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।
छात्रा के स्वजन का कहना है कि बेटी एक सप्ताह से परीक्षा के परिणाम को लेकर चिंता में थी। अकाउंट्स में उसकी कंपार्टमेंट आई थी। उसने आत्महत्या कर ली।
गांव रसोई के रहने वाले मोहम्मद मोमीन ने बताया कि उनकी बेटी सानिया(18) बीसवां मील स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 12वीं कक्षा की कामर्स की छात्रा थी। शुक्रवार को उनकी बेटी का परीक्षा परिणाम जारी हुआ था, जिसमें उसके कम अंक आए है। उसके करीब 45 फीसदी अंक आए हैं।
इससे उनकी बेटी ने मानसिक तनाव के चलते घर में कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर फंदा लगा लिया। वह घटना के समय बाहर गए हुए थे। परिवार के सदस्य घर आए तो बेटी के फंदा लगाने की जानकारी हुई। उनकी बेटी ने अपनी मां को कम अंक आने की जानकारी भी दी थी। उन्होंने बेटी को फंदे पर लटका देख मामले से पुलिस को अवगत कराया।
जिसके साथ ही कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे उतारा गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। सूचना के बाद पहुंची कुंडली थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। पुलिस ने फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की टीम को मौके पर बुलाकर सुबूत जुटाए। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
स्वजन घर पर होती तो बच सकती थी सानिया
स्वजन के अनुसार छात्रा परीक्षा परिणाम को लेकर एक सप्ताह से तनाव में थी। परिवार के लोगों ने उसको समझाया था, लेकिन वह परेशान रह रही थी। शुक्रवार को परीक्षा परिणाम वाले दिन परिवार के लोग घर से बाहर थे। ऐसे में अकेली छात्रा ने तनाव के चलते फंदा लगा लिया।
स्वजन घर पर होते तो छात्रा को अकेले में कमरे में बंद होने से बचाया जा सकता था। छात्रा के पिता का कहना है कि वह होते तो बेटी को समझाकर सामान्य कर लेते।
मनोचिकित्सक डॉ. संदीप आंतिल के सुझाव
- माता-पिता व स्वजन को बच्चों के मानसिक मित्र बनना चाहिए, जिनसे छात्र मित्रवत व्यवहार कर सकें।
- परीक्षा परिणाम का दबाव बनाने से बचें और छात्रों को समझाएं, परीक्षा एक पड़ाव है, इससे आगे जीवन है।
- छात्रों को बड़े सपने दिखाएं, लेकिन हताश न होने दें, उनको अंधाधुंध दौड़ में शामिल ना करें और विजेता बनाएं।
- छात्रों की नियमित दिनचर्या बिगड़ने पर उनको झिड़कने की बजाय, सहयोगी बनकर परेशानी कम करें।
- कक्षा 12 तक छात्रों को ज्यादा सानिध्य की जरूरत होती है, उनका ध्यान रखें, फिर वह परिपक्व हो जाते हैं।