Gambia Cough Syrup Children Death गांबिया में 66 बच्चों की मौत का जिम्मेदार माने जा रहे कफ सिरप को बनाने में ड्रग रूल्स-रेग्युलेसंस का पालन नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार दवा के बैच नंबर और एक्सपायर डेट में भी गड़बड़ी मिलीं हैं।
By Dharampal AryaEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 10 Oct 2022 09:07 PM (IST)
सोनीपत, जागरण संवाददाता। गांबिया में 66 बच्चों की मौत का जिम्मेदार माने जा रहे कफ सिरप को बनाने में ड्रग रूल्स-रेग्युलेसंस का पालन नहीं किया गया। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार दवा के बैच नंबर और एक्सपायर डेट में भी गड़बड़ी मिलीं हैं। वहीं दवा में प्रयोग किए जए रहे साल्ट के परीक्षण की व्यवस्था कंपनी में नहीं थी।
इसके आधार पर स्थानीय अधिकारियों ने कंपनी का निर्माण लाइसेंस तत्काल रद्द करने की सिफारिश की है। वहीं लिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट आने पर लीगल एक्शन लिया जाएगा।
यह था मामला
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने भारत की चार दवाओं को जानलेवा घोषित किया है। यह चारों दवाएं बच्चों की खांसी से संबंधित हैं। इनका निर्यात किया जाता है। पिछले दिनों कई देशों में कफ सिरप पीने के बाद बच्चों की हालत बिगड़ने लगी थी। अफ्रीकी देश गांबिया में ही 66 बच्चों की मौत की मौत हो गई थी। उसके चलते डब्लूयूएचओ ने इन सिरप को जानलेवा घोषित कर दिया था।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद केंद्र और प्रदेश सरकार की टीमों ने कंपनी पर छह अक्टूबर को छापामारी की गई थी। कंपनी से पांच सैंपल लेकर जांच को भेजे गए थे। उसके साथ ही कंपनी के कागजात-रिकार्ड की जांच अफसरों ने तीन दिन तक की थी।
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यह गड़बड़ी आई सामने
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो गांबिया में कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत के मामले में जांच पूरी हो गई है। हरियाणा और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन गाजियाबाद की टीम को कई खामिया मिली हैं। मेडेन फार्मास्यूटिकल्स ने सिरप पर सही बैच नंबर तक अंकित नहीं किया था। इसके साथ ही दवाओं में निर्माता का नाम, निर्माण और अवसान की तिथियों में भी मानकों का पालन नहीं किया गया।
अधिकारियों ने पाया कि प्रोपलीन ग्लाइकोल की गुणवत्ता परीक्षण तक की व्यवस्था कंपनी में नहीं थी।अधिकारियों ने पाया कि कंपनी ने डायथिलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल के लिए प्रोपलीन ग्लाइकोल की क्वालिटी टेस्टिंग नहीं की थी। इनके अधोमानक होने से कफ सिरप पीने वाले की मौत हो सकती है।
एक्सपायरी डेट में गड़बड़ी
हरियाणा व गाजियाबाद के अफसरों की संयुक्त जांच में पाया गया कि सिरप की एक्सपायरी डेट में गड़बड़ी है। जांच में सामने आया है कि प्रोपलीन ग्लाइकोल सितंबर 2021 की निर्माण और सितंबर 2023 की अवसान तिथि के साथ इस्तेमाल किया गया था, जबकि इनकी अवसान तिथि नवंबर 2024 बताई गई। यह गंभीर मामला है।
कंपनी को नोटिस जारी
आन रिकार्ड स्थानीय स्तर पर अधिकारी बोलने से बच रहे हैं। हालांकि अधिकारिक सूत्रों का दावा है कि कंपनी को एक सप्ताह का नोटिस दिया गया है। इस वैधानिक प्रक्रिया के पूर्ण होते ही कंपनी का निर्माण लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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अफसरों पर भी लटकी तलवार
देश में प्रयोग के साथ ही निर्यात होने वाली समस्त दवाओं में गुणवत्ता पालन कराने की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर की होती है। वह स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर व क्षेत्रीय ड्रग इंस्पेक्टर की मदद से विधिवत जांच कराते हैं। इस कंपनी के मामले में इन नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे बच्चों की मौत होने के साथ ही वैश्विक स्तर पर बदनामी हुई है। ऐसे में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
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