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गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हटाया जाना तानाशाही वाला रवैया, मेरे काम करने से चिढ़ गया है संगठन

चढ़ूनी ने कहा कि 25 नवंबर 2020 जत्था लेकर दिल्ली चलने के दौरान हमने बैरियर तोड़ना शुरू किया। पंजाब के युवा बागी हो गए और वे आगे आ गए। चढ़ूनी ने कहा गुरु गोविंद ने भी कहा है कि राज बिना धर्म नहीं चलता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Sun, 18 Jul 2021 02:16 PM (IST)
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मोर्चा से निलंबित करने पर गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पंजाब के किसान संगठनों को आड़ हाथों लिया है।
सोनीपत, [संजय निधि]। संयुक्त किसान मोर्चा से सात दिन के लिए निलंबित करने पर भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पंजाब के किसान संगठनों को आड़ हाथों लिया है। एक इंटरव्यू में पंजाब के संगठनों पर निशाना साधते हुए उन्होंने मोर्चा की कार्रवाई को तानाशाही करार दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन में सबसे ज्यादा काम उन्होंने किया है और ज्यादा काम करने वालों से एक चिढ़ पैदा हो जाती है, जो पंजाब के नेताओं में पैदा हो गई है। एक निजी समाचार चैनल से बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए चढ़ूनी ने कहा कि 25 नवंबर, 2020 जत्था लेकर दिल्ली चलने के दौरान हमने बैरियर तोड़ना शुरू किया। वीडियो वायरल हुआ तो पंजाब के युवा बागी हो गए और वे आगे आ गए।

मजबूरी में पंजाब के नेताओं को भी उनके पीछे आना पड़ा। इस वजह से इन्होंने खुद को छोटा महसूस कर लिया, हमने तो छोटा नहीं दिखाया। राजनीति और चुनाव लड़ने की बात पर चढ़ूनी ने कहा कि गुरु गोविंद ने भी कहा है कि राज बिना धर्म नहीं चलता है। चाणक्य ने भी कहा कि अच्छे आदमी राजनीति से दूर रहेंगे, तो बुरे लोग हमारे ऊपर राज करेंगे। आंदोलन में कामरेड भी हैं, योगेंद्र यादव भी हैं और उनकी विचारधारा है, चुनाव भी लड़ो आंदोलन भी लड़ो और वे कर रहे हैं, लेकिन हमने तो केवल एक विचार रखा है। इस पर तो किसी तरह की कार्रवाई बनती ही नहीं है।

हमने आंदोलन बंद करने को थोड़े ही कहा। आंदोलन में सबसे ज्यादा मुकदमे हमारे ऊपर हैं। भाजपा का सबसे ज्यादा विरोध हमारा ग्रुप कर रहा है। इन्हें (पंजाब के किसान नेता) लगता है कि मैंने ज्यादा काम किया है तो इनसे आगे न निकल जाऊं। हर जगह मेरी काट करते हैं। मोर्चा में तानाशाही के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले दिनों डेरा बाबा नानक से जत्था लेकर आए थे। रास्ते में एक जत्थेबंदी के प्रधान ने हमारा स्वागत किया। इन्होंने उस प्रधान को भी सस्पेंड कर दिया। यह तानाशाही ही है। जो इनकी बात से सहमत नहीं है, उसे बाहर करो। यह ठीक नहीं है। पंजाब में चुनाव लड़ने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अभी विचार नहीं किया है। अभी पंजाब की जनता के बीच विचार रखा है। हो सकता है पंजाब के लोगों को मुझसे से अच्छा नेता मिल जाए।

आगामी रणनीति और 22 जुलाई को संसद भवन पर प्रदर्शन में भाग लेने के बाबत पूछने पर चढ़ूनी ने कहा कि इन सबके बावजूद वे मोर्चा के साथ हैं और मोर्चा जो भी आर्डर करेगा, वह किया जाएगा। जाने कहेगा तो जाएंगे। हमारे बंदे तैयार हैं। दो दिन पहले गठवाला खाप के राष्ट्रीय महासचिव अशोक मलिक व न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रदीप धनखड़ ने चढ़ूनी का समर्थन किया है। माना जा रहा है इससे चढ़ूनी और ज्यादा मुखर हो गए हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने स्टैंड पर आज भी कायम हैं। मोर्चा उन्हें सात दिन के लिए निकाले या सात साल के लिए निकाले, ये उनकी मर्जी है। इसके बावजूद वे इस आंदोलन से जुड़े रहेंगे और पहले से भी ज्यादा काम करेंगे। इसलिए कोई गलतफहमी में न रहें।

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