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हरियाणा में पराली जलने की घटनाओं पर कड़ा एक्शन, 24 अधिकारी और कर्मचारी सस्पेंड

हरियाणा में सरकार बदलते ही कृषि विभाग में बड़ा एक्शन हुआ है। प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर हरियाणा सरकार ने 24 अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड किए गए कर्मचारियों में कई स्तर के कर्मचारी हैं। इसमें एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर से लेकर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर तक शामिल हैं। इस कार्रवाई से कृषि विभाग में खलबली मच गई है।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Tue, 22 Oct 2024 02:22 PM (IST)
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हरियाणा में एक साथ 24 अधिकारी और कर्मचारी किए गए सस्पेंड।
जागरण संवाददाता, सोनीपत। हरियाणा में सरकार बदलते ही कृषि विभाग के 24 अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है। दरअसल, सरकार ने मंगलवार को 24 कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है। इसमें एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर से लेकर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर तक कर्मचारी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर हरियाणा सरकार ने यह कार्रवाई की है।

सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सस्पेंड किए गए कर्मचारियों में सोनीपत के दो, पानीपत के दो, हिसार के दो, जींद के दो, कैथल के तीन, करनाल के तीन, फतेहाबाद के तीन, कुरुक्षेत्र के चार और अंबाला के तीन कर्मचारी शामिल हैं। इन सभी अधिकारियों की ड्यूटी पराली जलाने से रोकने के लिए लगाई गई थी, लेकिन ये सभी इन गतिविधियों को रोकने में विफल रहे।

पंजाब-हरियाणा के मुख्य सचिव को 23 अक्टूबर को किया गया तलब

बता दें, पराली जलाने से रोकने में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ-साथ पैनल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को भी फटकार लगाई थी। इसके साथ ही दोनों राज्यों के मुख्य सचिव को 23 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने को कहा था। इससे पहले ही हरियाणा सरकार ने अपने यहां बड़ी कार्रवाई की है। 

दोनों राज्यों को लापरवाह अधिकारियों पर एक्शन लेने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा था कि पंजाब और हरियाणा सरकार ने पराली जलानेवालों के खिलाफ किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया है। वहीं सीएक्यूएम को भी फटकार लगाते हुए लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था। जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस अहसानउद्दीन अमनुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज की बेंच ने कहा था कि दोनों सरकारों को पहले भी इस बारे में कहा गया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पंजाब सरकार ने तो पिछले तीन साल में एक भी केस नहीं चलाया।

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