Haryana News: गांबिया में 66 बच्चों की मौत, समय रहते लिया जाता संज्ञान तो बच जाती मासूमों की जान
Haryana News निर्यात होने वाली दवाओं का परीक्षण नियमानुसार किया जाता तो बच्चों की जान बच सकती थी। ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने निर्यात होने वाली दवाओं के सैंपल की भी जांच नहीं कराई। इससे अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई।
By Dharampal AryaEdited By: Updated: Thu, 06 Oct 2022 07:49 PM (IST)
सोनीपत, डीपी आर्य: निर्यात होने वाली दवाओं का परीक्षण नियमानुसार किया जाता तो बच्चों की जान बच सकती थी। ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने निर्यात होने वाली दवाओं के सैंपल की भी जांच नहीं कराई। इससे अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई। कंपनी के कफ सिरप की सप्लाई स्थानीय स्तर पर नहीं की गई है। उसके बावजूद ड्रग एसोसिएशन ने मेडिकल कंपनी की सभी दवाओं की जांच रिपोर्ट आने तक बिक्री नहीं करने का फैसला किया है। अफसरों ने प्रतिबंधित दवाओं को विदेशी बाजार से वापस मंगवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह है मामलाविश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की चार दवाओं को जानलेवा घोषित किया है। यह चारों दवाएं बच्चों की खांसी से संबंधित हैं। इन चारों का निर्यात किया जाता है। पिछले दिनों गांबिया में कफ सिरप के सेवन के बाद बच्चों की हालत बिगड़ने लगी थी। गांबिया में ही 66 बच्चों की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में भारत के चार कफ सिरप चार कफ सिरप प्रोमेथाजोन ओरल सोल्यूशन, कोफिक्समेलिन बेबी कफ सिरप, मैकोफ बेबी कफ सिरप और मैगरिप कोल्ड सिरप की पहचान की गई थी। इसकी शिकायत डब्लूयूएचओ के माध्यम से भारत सरकार से की गई थी।
कंपनी के डायरेक्टर भूमिगतकंपनी पर बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे छापामारी शुरू की गई। देर शाम तक छापामारी की जाती रही। कंपनी के दोनों डायरेक्टर नरेश गोयल और विवेक गोयल दिल्ली के रहने वाले हैं। वह दोनों फिलहाल भूमिगत हो गए हैं। कंपनी से मैनेजर और फार्मासिस्ट भी गायब हैं। ऐसे में जांच टीम को कागजात जुटाने में परेशानी हो रही है। कंपनी ने इन दवाओं के निर्माण के लिए साल्ट कहां से लिया था और इनकी लैब टेस्ट रिपोर्ट, बैच नंबर की टेस्ट रिपोर्ट और निर्यात से पहले अंतिम जांच रिपोर्ट की कापी अधिकारी जुटा रहे हैं।
पांच सैंपल लेकर भेजेड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने कंपनी से कुल पांच सैंपल लेकर कोलकाता की सेंट्रल लैब में भेज दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि बच्चों की मौत दवा में गलत मानक में साल्ट मिलाने के कारण हुई है या किसी गलत प्रक्रिया में दवा प्रयोग करने के कारण। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने दवा में गलत मानक में साल्ट मिलाने को ही बच्चों की मौत का कारण माना है। इसके बावजूद अधिकारी अपनी लैब की रिपोर्ट प्राप्त होने तक कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
कंपनी पर तैनात की गई पुलिसछापामारी शुरू होने के बाद दिनभर दवा कंपनी के दरवाजे अंदर से बंद रहे। आसपास की कंपनी वालों को भी दिनभर कार्रवाई की भनक नहीं लगी। मीडियाकर्मियों को फैक्ट्री के पास तक नहीं जाने दिया गया। कंपनी की कुंडली में स्थापना 1995 में हुई थी। इसमें 50 से ज्यादा प्रकार की दवाएं बनाई जाती हैं। कंपनी ने इन दवाओं के निर्यात का लाइसेंस लिया हुआ है। कुछ दवाओं की बिक्री स्थानीय बाजार में होने की बात कही जा रही है। अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं। शाम को अफसरों ने कुंडली थाने से पुलिस बल की मांग की। उसके बाद कंपनी पर पुलिस तैनात कर दी गई है। अब उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के बाजारों में इन दवाओं की खोजबीन शुरू कर दी गई है।
हमारी जानकारी के अनुसार मेडिन फार्मास्यूटिकल्स के कफ सिरप की सप्लाई हमारे यहां पर नहीं है। इनकी कुछ अन्य दवाएं हमारे यहां बाजार में प्रयोग की जाती रही हैं। फिलहाल उन सभी दवाओं को बाजार से बाहर कर दिया गया है। जब तक ड्रग डिपार्टमेंट की जांच रिपोर्ट में कंपनी की दवाएं मानक के अनुरूप नहीं पाई जाती हैं, उनकी बिक्री नहीं की जाएगी। -सतीश विज, अध्यक्ष, हरियाणा मेडिकल स्टोर एसोसएिशन
कफ सिरप पीने से विदेश में बच्चों को नुकसान की जानकारी मिली थी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के साथ ही शासन से इस संबंध में निर्देश मिले थे। हमने संबंधित दवाओं के सैंपल लेकर जांच को भेज दिए हैं। वहीं कंपनियों के कच्चे माल, तैयार माल व निर्माण प्रक्रिया में उपलब्ध सामग्री को यथावत रोक दिया गया है। सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि निर्माण में कुछ गड़बड़ी रही है या बच्चों की मौत के पीछे कोई और कारण है। -मनमोहन तनेजा, ड्रग कंट्रोलर, हरियाणा
सूखी और गीली खांसी के लिए अलग-अलग कफ सिरप होते हैं। डायथाइलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल का उपयोग कफ सिरप में नहीं होता है। देश में उपयोग होने वाले कफ सिरप में यह दोनों ही नहीं होते हैं। शायद दवा के इस बैच में ही कोई गडबड़ी हो सकती है। बच्चों की मौत का सही कारण जांच के बाद ही पता चलेगा। -डा. सुमित अग्रवाल, इंटरनल मेडिसिन, सर्वोदय अस्पतालडायथइलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 66 बच्चों की मौत भी इनकी वजह से हुई है। बच्चों की मौत का सही कारण पता लगाने के लिए रिसर्च चल रही है। डायथइलीन ग्लाइकाल व एथिलीन ग्लाइकाल का औद्योगिक उपयोग जैसे ब्रेक आयल और पेंट में होता है। इसका कफ सिरप में उपयोग नहीं होता। -डा. सुशील सिंगला, बाल रोग विशेषज्ञ, सर्वोदय अस्पताल
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