दिल्ली से चंडीगढ़ जाना है तो घर से ही चार्ज कर निकलें अपना ईवी, हाईवे पर चार्जिंग में आ रही दिक्कतें
शहर से बाहर जाने में कार की चार्जिंग की हमेशा चिंता लगी रहती है। अजीत सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा ईवी को प्रमोट करने की नहीं लग रही क्योंकि सरकार को डीजल-पेट्रोल से अधिक रेवेन्यू मिलता है। अगर सरकार चाहे तो एक आदेश जारी करे कि सभी पेट्रोल पंपों पर चार्जिंग प्वाइंट लगाने अनिवार्य हैं तो तुरंत लग जाएंगे।
नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। अगर आपको दिल्ली से पानीपत या आगे जाना है तो अपने ईवी को घर से ही फुल चार्ज कर निकलने में ही समझदारी है, क्योंकि हाईवे पर चार्जिंग प्वाइंट तो काफी संख्या में लगाए जा चुके हैं, लेकिन इनसे अभी चार्जिंग में दिक्कतें आ रही हैं।
कहीं कनेक्टिविटी तो कहीं नेटवर्क नहीं
कहीं एप डाउनलोड करने के उसे कनेक्ट करने में परेशानी है तो कहीं पर मोबाइल में नेटवर्क की दिक्कत होने से चार्जिंग शुरू नहीं हो पाती। बैटरी कम होने से दिल्ली से चंडीगढ़ की ओर जाने वाले लोग चार्जिंग की चिंता को लेकर एक से दूसरे चार्जिंग प्वाइंट पर भटकते रहते हैं। हाईवे पर अभी कई ढाबों पर चार्जिंग प्वाइंट इंस्टाल किए जा रहे हैं तो कहीं इंस्टाल होने के बाद इन्हें अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है।
प्रदूषण कम करने और डीजल-पेट्रोल के भारी खर्च से बचने के लिए अभी लोग ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) तो खरीद रहे हैं लेकिन इसके बाद अभी उनकी दुश्वारियां अभी कम नहीं हो रही हैं। सबसे पहले तो ईवी सामान्य कार से छह से आठ लाख रुपये महंगी है।
दूसरी सबसे बड़ी समस्या है चार्जिंग को लेकर हाईवे पर सभी सुविधाएं नहीं होना। लोग ईवी को लोकल के लिए तो उपयुक्त मान रहे हैं क्योंकि अपने घर से फुल चार्ज करने के बाद इन्हें लोकल शहर में कहीं भी आया-जाया जा सकता है, लेकिन अभी हाईवे पर चार्जिंग सुविधाएं सभी जगह पर्याप्त नहीं हैं।
दिल्ली से पानीपत या चंडीगढ़ जाने के दौरान अपने ईवी को घर से फुल चार्ज कर निकलना ही समझदारी है क्योंकि सोनीपत की सीमा में जीटी रोड पर 50 से अधिक चार्जिंग प्वाइंट इंस्टाल कर दिए गए हैं लेकिन अभी ये सभी शुरू नहीं हुए हैं। इनमें से आधे से अधिक बंद हैं। जो प्वाइंट शुरु हो चुके हैं उनमें भी तत्काल चार्जिंग नहीं हो पाती।
नंबर गेम
- 50 से अधिक चार्जिंग प्वाइंट हाईवे किनारे ढाबों पर इंस्टाल किए गए हैं
- 20 के करीब प्वाइंट एक्टिव हैं
- 06 प्वाइंटों पर चार्जिंग की सुविधा है
- 20 रुपये व जीएसटी प्रति यूनिट लेती है सेटिक्यू कंपनी
- 24 रुपये व जीएसटी प्रति यूनिट लेती है टाटा कंपनी
ये है चार्जिंग का तरीका
जिस कंपनी का चार्जिंग प्वाइंट है, सबसे पहले उसका एप डाउनलोड करना पड़ता है। इसके बाद उसमें अपना लागिन करें। वालेट से पेमेंट करने पर चार्जिंग शुरू होती है।
यह हैं दिक्कतें
- हाईवे पर दर्जनभर अलग-अलग कंपनियों के चार्जिंग प्वाइंट इंस्टाल हो चुके हैं।अब सबसे पहले तो इन कंपनियों के एप डाउनलोड करने पड़ते हैं। इसके बाद एप को कनेक्ट करने में वाहन मालिक के पसीने छूट जाते हैं। बार-बार रिफ्रेश करने पर एप कई बार कनेक्ट नहीं हो पाता।
- इसके बाद जहां पर एप कनेक्ट हो जाता है वहां पर मोबाइल से पेमेंट नहीं हो पाती क्योंकि कई जगह मोबाइल नेटवर्क कमजोर हाेने से परेशानी हो ती है। इस कारण वाहन चालक चार्जिंग करने के लिए एक से दूसरे प्वाइंट पर भटकते रहते हैं। उनके कई घंटे चार्जिंग शुरू करने में ही लग जाते हैं।
- इसके बाद फुल चार्ज करने में ढाई घंटे से अधिक का समय लगता है। इसके बाद जब बिल आता है तो कंपनियां वाहन मालिक को मोटा फटका लगाती हैं। इसमें चार्जिंग प्वाइंट की कैपिसिटी के हिसाब से प्रति यूनिट बिजली खर्च होने पर जीएसटी जोड़कर बिल लिया जाता है। यह घर पर चार्ज करने से दोगुना तक होता है।
एक घंटा लग गया, लेकिन चार्जिंग शुरू तक नहीं हुई
गुरुग्राम से समालखा जा रहे शिक्षक अजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने फरवरी में टाटा की ईवी ली थी। गुरुग्राम में घर से स्कूल जाने या लोकल शहर में आने-जाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हाईवे पर अभी सुविधाएं नहीं है।
उन्होंने झिलमिल ढाबे पर लगे चार्जिंग प्वाइंट पर कार को चार्ज करना चाहा। सटेटिक्यू कंपनी का एप पहले से ही फोन में डाउनलोड हैं लेकिन बार-बार रिफ्रेश करने के बाद भी यह कनेक्ट नहीं हो पाया।
थक-हारकर 51 माइलस्टोन होटल पर लगे टाटा कंपनी के चार्जिंग प्वाइंट पर पहुंचा तो वहां पर नेटवर्क नहीं होने की वजह से पेमेंट नहीं हो पाई। वहां पर भी कई प्रयास किए लेकिन चार्जिंग शुरू नहीं हो पाई। थक-हारकर वापसी में ही कार को चार्ज करने की योजना बनाई।एक घंटा लगाने के बाद कार चार्ज नहीं हो पाई।
शहर से बाहर जाने में कार की चार्जिंग की हमेशा चिंता लगी रहती है। अजीत सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा ईवी को प्रमोट करने की नहीं लग रही, क्योंकि सरकार को डीजल-पेट्रोल से अधिक रेवेन्यू मिलता है।
अगर सरकार चाहे तो एक आदेश जारी करे कि सभी पेट्रोल पंपों पर चार्जिंग प्वाइंट लगाने अनिवार्य हैं तो तुरंत लग जाएंगे। सरकार को चाहिए कि पहले आधारभूत ढांचा बनाए और फिर ईवी को लांच करें लेकिन यहां उलटा हो रहा है। सीएनजी आने के बाद भी महीनों तक लाइन लगी रहती थी।
लोगों पर पड़ रही महंगाई की मार : मंजीत सिंह
मुरथल ढाबा एसाेसिएशन के प्रधान व झिलमिल ढाबे के मालिक मनजीत सिंह ने बताया कि रोजाना यहां पर अपनी कार को चार्ज करने के लिए परेशान होते हैं। प्रतिदिन कई लोग आते हैं और पूछते हैं कि यह प्वाइंट चालू है या नहीं, उनकी कार चार्ज नहीं हो रही। हम भी लोगों की मदद करने में असमर्थ हैं क्योंकि यह हमारे वश में भी नहीं है। हमारे लिए तो यह प्वाइंट आफत बन गया।
पहले हमने इसे बिजली कनेक्शन दे रहा था, लेकिन यह बिजली फूंकता था 20 हजार की और देता था 10 हजार रुपये। हमने इसका कनेक्शन काट दिया। अब इसने सीधे बिजली निगम से कनेक्शन लेकर अलग मीटर लगवा लिया है। सरकार से इसे चार रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है और आगे लोगों से 20 रुपये प्रति यूनिट से अधिक वसूल करता है।
ढाई घंटे का इंतजार और आठ सौ रुपये का बिल
250 किलोमीटर की रेंज देने वाली ईवी को फास्ट चार्जर से फुल चार्ज होने में ढाई घंटे से अधिक का समय लगता है और चार्जिंग का बिल करीब आठ सौ रुपये आता है। अगर आपके ईवी में बैटरी कम है तो आपके लिए कई घंटे परेशानियों से भरे हो सकते हैं।
आपको पहले रास्ते में ढाई घंटे रुककर गाड़ी में चार्जिंग करनी पड़ेगी फिर आगे जाया जा सकेगा।कार को 95 प्रतिशत तक चार्ज होने में ढाई घंटे का समय लगता है और इसके बाद आठ सौ रुपये के करीब चार्जिंग का बिल आता है क्योंकि कंपनियां चार्जिंग के 20 रुपये लेकर 24 रुपये प्रति यूनिट वसूलती हैं इसके अलावा जीएसटी अलग से।