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देश के पहले संविधान संग्रहालय का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने किया उद्घाटन, जानें क्या हैं इसकी खासियत

देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन सोनीपत की ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और सांसद नवीन जिंदल इस दौरान मौजूद रहे। संग्रहालय में 75 वर्षों की संवैधानिक यात्रा को प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय में 75 वर्षों की संवैधानिक यात्रा को प्रदर्शित करने वाली आकर्षक और इंटरेक्टिव प्रदर्शनियां हैं।

By Niranjan Kumar Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 23 Nov 2024 12:36 PM (IST)
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ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन किया।
जागरण संवाददाता, सोनीपत। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शनिवार को ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री (कानून और न्याय) अर्जुनराम मेघवाल, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के चांसलर एवं कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल भी मौजूद रहे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और संसद नवीन जिंदल देश के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन करने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी पहुंचे।

संग्रहालय में 75 वर्षों की संवैधानिक यात्रा को प्रदर्शित किया जाएगा

संस्थापक कुलपति प्रो. सी राजकुमार ने बताया कि यह संविधान संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित है, ताकि भारत के युवाओं को संविधान को ज्ञान के प्रकाश स्तंभ के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके, जो हमारे देश के भविष्य को दिशा देता है। इस संग्रहालय में 75 वर्षों की संवैधानिक यात्रा को प्रदर्शित करने वाली आकर्षक और इंटरेक्टिव प्रदर्शनियां हैं।

एआई आधारित इंटरेक्टिव, थ्रीडी इंस्टालेशन्स से सुसज्जित

उन्होंने बताया कि यह संग्रहालय संविधान के हर भाग और उसकी प्रासंगिकता को समझाने का प्रमुख केंद्र होगा। यह संग्रहालय टेक्स्ट, आडियो-विज़ुअल, अनुभवात्मक प्रारूप, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, एआई आधारित इंटरेक्टिव, थ्रीडी इंस्टालेशन्स और प्रगतिशील प्रदर्शनों से सुसज्जित होगा। साथ ही इसमें प्रदर्शित कला, संविधान के मूल हस्तलिखित दस्तावेज़ और उससे प्रेरित कलाकृतियों को शामिल किया गया है। प्रमुख आकर्षणों में व्ही, द पीपल ऑफ इंडिया, इंसाफ की देवी, और त्रायड ऑफ यूनिटी जैसी मूर्तियां हैं, जो भारतीय संविधान के मूल्यों को दर्शाती हैं। इस संस्थान के निर्माण में करीब 600 लोग जुड़े हैं, जिनमें क्यूरेटर, कलाकार और मूर्तिकार शामिल हैं।

आमजन के लिए नि:शुल्क

संविधान संग्रहालय और अधिकार एवं स्वतंत्रता अकादमी का समर्पण समारोह 26 नवंबर को होगा। इसी दिन संविधान दिवस व्याख्यान प्रोफेसर गोपालकृष्ण गांधी, पूर्व राजदूत और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल द्वारा दिया जाएगा। दिसंबर में यह संग्रहालय आम लोगों के लिए नि:शुल्क खोला जाएगा। इसे अमेरिका में बने संविधान संग्रहालय की तर्ज पर बनाया गया और टूरिज्म मंत्रालय के माध्यम से देश में घूमने आने वाले विदेश के लोगों को इसका अवलोकन करवाने की प्लानिंग है।

संग्रहालय बनाने का उद्देश्य

वीसी ने बताया कि संविधान और उसके महत्व को समझाने के लिए पहले स्कूलों में नागरिक शास्त्र पढ़ाया जाता था, जो अब नहीं है। संविधान केवल वकीलों और न्यायाधीशों के लिए नहीं, बल्कि यह हर आम नागरिक के लिए है। हर व्यक्ति को हमारे इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और संविधान की रचना की प्रक्रिया को जानना चाहिए। तीसरा उद्देश्य संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि देना और उन्हें याद करना है।

विभिन्न स्टेच्यू के बारे में विस्तार से दी गई जानकारी

उन्होंने कहा कि हम बीआर अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद जैसे कुछ नामों को जानते हैं, लेकिन संविधान सभा में 300 और अद्वितीय व्यक्ति थे। इन सभी के स्टेच्यू और इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे महत्वपूर्ण संस्थागत विचारों को समझना और उन पर चर्चा करना और पांचवां उद्देश्य पिछले 75 वर्षों में अधिकारों और स्वतंत्रता के विकास को समझना है। इसलिए इसका नाम संविधान संग्रहालय और अधिकार एवं स्वतंत्रता अकादमी रखा गया है।

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