Kisan Andolan: पंजाब-हरियाणा के किसान आज दिखाएंगे ताकत, पढ़िये- किसानों और केंद्र सरकार के बीच क्या है नया टकराव
Kisan Andolan Update संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दिल्ली-हरियाणा के टीकरी और सिंघु बार्डर पिछले एक महीने के दौरान पूर्व के मुकाबले किसानों की संख्या दोगुना का इजाफा हुआ है। वहीं दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर उतना उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 26 Nov 2021 08:15 AM (IST)
नई दिल्ली/सोनीपत [संजय निधि]। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद भी दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। 26 नवंबर (शुक्रवार) को किसानों के आंदोलन को एक साल हो रहे हैं। ऐसे में अपनी 6 अन्य मांगों को लेकर अड़े प्रदर्शनकारियों ने किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को बड़ी तैयारी की है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दिल्ली-हरियाणा के टीकरी और सिंघु बार्डर पिछले एक महीने के दौरान पूर्व के मुकाबले किसानों की संख्या दोगुना का इजाफा हुआ है। सिंघु बार्डर की बात करें तो यहां पर एक महीने पहले जहां 1000-1500 किसान प्रदर्शनकारी थे, अब यहां पर 4000 के करीब किसान पहुंचे हैं। शुक्रवार को इस संख्या में और इजाफा होने की बात कही जा रही है।
टीकरी बार्डर पर इकट्ठा किसानों का कहना है कि हमारा आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। अब हम एमएसपी पर कानून बनवाएंगे, इसलिए 26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर टीकरी बार्डर पर इकट्ठे होंगे और 29 नंबर को 500 किसान दिल्ली जाएंगे। बताया जा रहा है कि टीकरी बार्डर पर पंजाब और हरियाणा से आए किसानों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। एक महीने की तुलना में टीकरी बार्डर किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या दोगुनी पहुंचकर हजारों में हो चुकी है।
टेंटों में किसान, बाहर अलाव भी शुरू
सिंघु और टीकरी बार्डर पर अब टेंटों में एक बार फिर से किसानों की भीड़ बढ़ने लगी है। ठंड के चलते किसान टेंटों में रहने के लिए मजबूर हैं। 29 नवंबर को संसद मार्च के मद्देनजर किसानों के जत्थे पंजाब व हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों से टीकरी बार्डर और सिंघु बार्डर पर पहुंच रहे हैं। किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने पर लंगर शुरू हो गया है, तो ठंड से बचन के लिए अलाव का इंतजाम है।
ये हैं किसानों की बड़ी मांगें
- न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बने।
- किसानों पर किए गए मुकदमें खारिज हों।
- लखीमपुर हिंसा में शहीद किसानों को न्याय मिले।
- लखीमपुर हिंसा के मद्देनजर केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी हटाए जाएं।
- 26 नवंबर, 2020 को तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था।
- संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर धरना दे रहे 700 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।
- 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किला पर उग्र-हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान दिल्ली के लाल किला की प्राचीर पर लहरा रहे तिरंगे के बगल में एक अन्य झंडा लहराया गया था।
- 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने पर किसान संगठनों ने पंजाब हरियाणा के गांवों में दिल्ली बार्डर पर पहुंचने की काल दी, इसके बाद बार्डर पर भीड़ बढ़ी है।
- किसान नेताओं और सरकार के बीच 12 दौर की बैठक में कोई हल नहीं निकला
- 19 नवंबर गुरु पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री ने तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने का ऐलान किया।
- 24 नवंबर को कैबिनेट की बैठक में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने पर मुहर लगी।
- कैबिनेट की बैठक में कानून निरस्त करने के फैसले के बाद भी आंदोलन खत्म नहीं हुआ और किसान एमएसपी गारंटी कानून बनाने सहित अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं और फिलहाल आंदोलन जारी है।
- 29 नवंबर से हर दिन 500 किसानों के साथ संसद तक ट्रैक्टर मार्च करने का कार्यक्रम तय किया है।