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सोनीपत भाजपा में बगावत, कार्यकर्ताओं के सामने फूट-फूट कर रोईं कविता जैन; चुनाव लड़ने पर फैसला दो दिन और टाला

भाजापा से टिकट न मिलने से नाराज कविता और राजीव जैन ने चुनाव लड़ने पर फैसला दो दिन के लिए टाल दिया है। उन्होंने पार्टी आलाकमान को 10 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। भाजपा ने मेयर निखिल मदान को मैदान में उतारा है। सोनीपत विधानसभा सीट पर सीधा मुकाबला या त्रिकोणीय मुकालबा होगा यह कविता जैन के फैसले पर निर्भर करेगा।

By Nand kishor Bhardwaj Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 08 Sep 2024 01:13 PM (IST)
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पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन को नहीं मिला भाजपा का टिकट। फोटो- जागरण

जागरण संवाददाता, सोनीपत। मेयर निखिल मदान को टिकट दिए जाने पर सोनीपत भाजपा में खुलकर बगावत का दौर शुरू हो गया है। बुधवार की रात से ही पदाधिकारियों के इस्तीफों का दौर शुरू हो गया था। वहीं, टिकट न मिलने से नाराज पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता और राजीव जैन ने भाजपा आलाकमान को 10 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है।

आज रविवार को कार्यकर्ताओं के सामने कविता-राजीव जैन फूट-फूट कर रोए। उन्होंने फिलहाल चुनाव लड़ने पर फैसला दो दिन और टाल दिया है। चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर वह 21 सदस्यों की कमेटी बनाकर रायशुमारी करेंगे।

कार्यककर्ताओं के साथ बैठक में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मेयर निखिल मदान पर जमकर निशाना साधा और भाजपा हाईकमान को भी कोसा। उन्होंने कहा, "38 साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं, बदले में धोखा मिला।"

सोनीपत में सीधा मुकाबला या त्रिकोणीय मुकाबला?

अगर कविता जैन चुनाव लड़ेंगी तो सोनीपत सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। वहीं, अगर वे चुनाव नहीं लड़ेंगी तो भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। भाजपा ने मेयर निखिल मदान और कांग्रेस ने जेल में बंद विधायक सुरेंद्र पंवार को टिकट दिया है।

इसके साथ ही सोनीपत सीट पर भाजपा को भितरघात का जबरदस्त खतरा है। अगर कविता जैन चुनाव नहीं लड़ती हैं तो वे प्रत्याशी मेयर निखिल मदान का साथ नहीं देंगी।

हलके में अब चढ़ेगा सियासी पारा

आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्य राजनीतिक पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, जिससे राजनीतिक सरगर्मियों में और उबाल आना स्वाभाविक है। इसके साथ ही दो बड़ी पार्टियों के टिकट बंटवारे के बाद अब अन्य विभिन्न दलों के उम्मीदवारों पर भी लोगों की नजर है।

बात अगर बीते दो चुनाव की करें तो दो प्रत्याशी ही आमने-सामने रहे हैं, जिसमें विधायक जयवीर सिंह और पवन खरखौदा हैं। बीते 2014 के चुनाव में पवन खरखौदा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जयवीर सिंह कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार थे मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनां के बीच था, वर्ष 2019 में पवन खरखौदा जजपा से चुनाव मैदान में आए जयवीर सिंह ने फिर से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा।

दोनों के बीच आमने सामने की टक्कर रही और जयवीर सिंह तीसरे बार विधायक बने। अबकी बार पवन खरखौदा ने फिर से पाला बदलकर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने का काम किया है, जबकि चौथी बार कांग्रेस से टिकट लेकर विधायक जयवीर सिंह चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में दोनों तीसरी बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला करेंगे।

इससे पहले अब तक हलके में केवल चर्चाओं का दौर जारी था, पर अब पार्टियों के प्रत्याशी घोषित हो जाने के बाद राजनीतिक घटनाक्रम खुलकर सामने आ गया है। अब हर प्रत्याशी अपनी ताकत और जनसमर्थन को जुटाने में पूरी तरह से जुट गया है। आगामी चुनावी दिनों में हलके में सियासी पारा और चढ़ेगा और मतदाताओं का रुझान किस ओर जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।