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Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने बताया कब खत्म होगा किसान आंदोलन

Kisan Andolan संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि पहले दिन से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून भी उनकी प्रमुख मांगों में शामिल है और एमएसपी पर निर्णय होने के बाद ही वे आंदोलन समाप्त करेंगे।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 21 Nov 2021 01:54 PM (IST)
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कुंडली बार्डर पर धरना दे रहे आंदोलनकारीः फाइल फोटो
सोनीपत [संजय निधि]। कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने की पीएम मोदी की घोषणा के दूसरे दिन शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि पहले दिन से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून भी उनकी प्रमुख मांगों में शामिल है और इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ नहीं बोला है। एमएसपी पर निर्णय होने के बाद ही वे अपना आंदोलन समाप्त करेंगे।

वहीं, समन्वय समिति के ही सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि जिस संयुक्त किसान मोर्चा से सरकार 11 दौर की बातचीत कर सकती है, उस संगठन से कानून निरस्त करने की बात नहीं करना चौंकाता है। यदि इस सरकार को संवैधानिक चिंता होती तो डेढ़ साल पहले बिल लाती ही नहीं। दरअसल, अब उन्हें चुनाव में हार का डर सता रहा है, लेकिन लोकतंत्र में यह डर बुरी बात नहीं है।

राजधानियों में होगी ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कहा कि 26 नवंबर को आंदोलन की वर्षगांठ पर विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ दिल्ली को छोड़कर देश के अन्य राज्यों की राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड निकाली जाएगी। 29 नवंबर से प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारियों का ट्रैक्टर-ट्रालियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च योजनानुसार होगा।

(संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़)

मोदी ने स्वयं की थी कानून वापस लेने की घोषणा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के पावन अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, ‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य खुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए।’ 

बता दें कि नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के लोग दिल्ली बार्डर पर करीब एक साल से धरना दे रहे हैं। रोड पर बैठने की वजह से लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पीएम मोदी के एलान के बाद लोगों को उम्मीद जगी कि रास्ता खुल जाएगा लेकिन किसान संगठन अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। 

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