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Sonipat: रिटायर्ड अधिकारी को कई दिन रखा डिजिटल, छह दिन में ट्रांसफर कराए 1.78 करोड़; पत्नी के साथ होटल में ठहराया

सोनीपत में एक रिटायर्ड अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट करके ठगों ने 1.78 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। साइबर ठगों ने पीड़ित को वॉट्सऐप पर नकली अरेस्ट वारंट भेजे और सुरक्षा का हवाला देकर पत्नी के साथ दो दिन तक होटल में रखा। जांच के नाम पर सरकारी खाते बता कर होटल से ही रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवाएं। जानिए कैसे बचें इस तरह की ठगी से।

By Deepak Gijwal Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 25 Nov 2024 07:41 PM (IST)
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सोनीपत में डिजिटल अरेस्ट कर सेवानिवृत्त अधिकारी से 1.78 करोड़ ठगे।
जागरण संवाददाता, सोनीपत। मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर सेवानिृवत्त अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट करके ठगों ने 1.78 रुपये की ठगी कर ली। साइबर ठगों ने पीड़ित को वॉट्सऐप पर नकली अरेस्ट वारंट भी भेजे, जिसके चलते वह झांसे में आ गए।

साइबर ठगों ने सुरक्षा का हवाला देकर पत्नी के साथ दो दिन तक होटल में भी रखा। जांच के नाम पर साइरब ठगों ने सरकारी खाते बता कर होटल से ही रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवाएं। ठगी का पता चलने पर मामले की सूचना पीड़ित ने पुलिस को दी।

इसके बाद साइबर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। स्वजन मामले में बात करने से बच रहे है। बता जा रहा है कि घटना के बाद से पीड़ित सदमे में है। उनका इलाज कराया जा रहा है। 

कॉल करके कहा- आपके खिलाफ है अरेस्ट वारंट

मॉडल टाउन में रहने वाले विनोद चौधरी ने पुलिस को बताया कि छह नवंबर को उसके मोबाइल पर एक नंबर से कॉल आया। फिर कुछ देर बाद दोबारा से कॉल आई। दूसरी तरफ से उसे कहा गया कि उनका नाम अशोक गुप्ता मनी लॉन्ड्रिंग केस में दर्ज है। उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट हैं। फिर उसके पास वॉट्सऐप पर एफआइआर की डिटेल्स और अरेस्ट वारंट की कापी भी भेजी गई।

फोन पर धमकाकर मांगी बैंक डिटेल्स

विनोद के अनुसार, उस समय वह किसी रिश्तेदार की मौत के कारण फरीदाबाद में थे। तब उसने कहा कि वह 11 नवंबर को सोनीपत आएंगे। इसके बाद 12 नवंबर को दोबारा मोबाइल पर कॉल आई और उसे अरेस्ट वारंट भेजा गया। फोन करने वाले ने धमका कर उनकी और स्वजन की बैंक डिटेल्स मांगी।

जांच के नाम पर मांगे पासे

इसके बाद 13 नवंबर को उससे उसकी पूरे दिन की पूरी दिनचर्या का विवरण मांगा गया। उसने ये जानकारी उसे लिखित में भेज दी। इसके बाद जांच के नाम पर सरकारी खाते बता विभिन्न खातों में रुपये ट्रांसफर करवाए गए। इसके बाद भी आरोपी लगातार रुपये ही ट्रांसफर कराने को कहते रहे तो उसे ठगी का एहसास हुआ।

साइबर सेल को दी जानकारी

उसे पता चला कि फर्जी पुलिस कर्मचारी बनकर और फर्जी कागजातों के आधार पर खुलवाए गए खातों में धोखाधड़ी के तहत उससे ठगी की गई। उन्होंने साइबर सेल को इसकी जानकारी दी। साइबर थाना सोनीपत के एएसआई कुमार का कहना है कि विनोद चौधरी की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है। 

छह दिन तक खातों में रुपये भेजते रहे पीड़ित

विनोद ने पुलिस को बताया कि 14 से 20 नवंबर तक उसने उनके कहे अनुसार कई बैंक खातों में एक करोड़ 78 लाख 55 हजार रुपये आरटीजीएस के द्वारा ट्रांसफर किए। ठग यह रकम वेरिफाई करने के लिए सरकारी खाते में जमा कराने के लिए कहते रहे। उसने बताया कि इसके अलावा दूसरा नंबर जो कि उसकी पत्नी के पास था, उस पर 16 नवंबर के बाद वॉट्सऐप कॉल आने शुरू हो गए। उससे आरटीजीएस ट्रांसफर की डिटेल्स मांगी गई।

सुरक्षा का हवाला दे पत्नी के साथ होटल में भेजा

फिर 17 नवंबर को सिक्योरिटी कारणों के लिए अपना घर छोड़ कर किसी होटल में रहने के लिए कहा गया। इसके बाद वह 17 नवंबर को पत्नी के साथ मामा भांजा चौक सोनीपत के पास एक होटल में रुके। वह 18 नवंबर की रात तक उस होटल में ही रहने को कहा गया। उसी दौरान आरटीजीएस ट्रांसफर की डिटेल मंगाई गई। इसके बाद भी उनके पास लगातार कॉल आती रही। उनको लाइव कैमरे पर रहने को कहा जा रहा है। पहले भी उनको ऑनलाइन रखा गया।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट

पुलिस उपायुक्त प्रबीना पी. ने बताया कि ये साइबर ठगी का नया तरीका है। आरोपित वॉट्सऐप या अन्य किसी माध्यम से वीडियो कॉल करते हैं। ये पुलिस की वर्दी में होते हैं या खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हैं। बैकग्राउंड में थाने का पूरा सेटअप दिखाई देता है, जिससे पीड़ित सच समझ लेते है।

झूठे सबूतों के जरिए डराते हैं कि आपके अकाउंट से आतंकवादियों को पैसे दिए गए हैं। एयरपोर्ट पर आपके नाम का जो पार्सल मिला है उसमें ड्रग है। मनी लॉन्ड्रिंग के नाम भी डराते हैं। वीडियो कॉल के जरिए पीड़ित की मानिटरिंग करते हैं और उसे कमरे में ही कैद रखते है। केस में फंसाने की धमकी देकर केस निपटाने के नाम पर रुपये ट्रांसफर करवाते है।

डिजिटल अरेस्ट के जाल से कैसे बचे?

  • यदि कोई पुलिस अधिकारी बन बात कर रहा है तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। पुलिस या कोई भी सुरक्षा एजेंसी की इंवेस्टिगेशन आइनलाइन या वीडियो के माध्यम से नहीं होती है।
  • यदि कोई पैसों से जुड़ा मामला है तो पुलिस आपके खातों को फ्रीज करवाएगी ना ही आपके खातों से किसी दूसरे खातों में पैसे को ट्रांसफर करवाएगी।
  • किसी भी व्यक्ति या अधिकारी के कहने पर अपने खातों की जुड़ी जानकारी या ओटीपी शेयर नहीं करने चाहिए।
  • यदि सिम बंद होने या पार्सल जैसे कॉल आएं तो समझ जाएं कि ये फ्राड है। कोई भी टेलीकाम कंपनी या एजेंसी फोन पर इंक्वायरी नहीं करती।
  • यदि किसी को डिजिटल अरेस्ट कर ठग लिया गया है तो तुरंत इसकी जानकारी नजदीक पुलिस थाने में देनी चाहिए। 

पुलिस जांच करती है तो उसकी ये है प्रक्रिया

पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं करती। पुलिस के सामने कोई भी मामला आने पर पहले एफआईआर दर्ज की जाती है। पूछताछ के लिए भी पहले आरोपित को नोटिस भेजा जाता है और उसे थाने में बयान के लिए एक तारीख दी जाती है। कोई भी बयान ऑनलाइन नहीं होता। यदि गिरफ्तारी करनी है तो उसे पुलिस सीधे पहले गिरफ्तार नहीं करती।

गिरफ्तार होने के बाद इसकी सूचना परिवार को दी जाती है। बताया जाता है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 24 घंटे के अंदर उसे कोर्ट में पेश किया जाता है।

ऑनलाइन ऐसे दे ठगी की शिकायत

इसके अलावा अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आता है, जिसमें डरा-धमकाकर पैसे की मांग की जाती है तो इसकी नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत जरूर करें। http://www.cybercrime.gov.in पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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