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Sonipat Vidhan Sabha Seat Result: इस तरह भाजपा ने सोनीपत की खोई सीट वापस छीनी, जानिए जीत के अहम फैक्टर

Sonipat Assembly Seat Result 2024 पंजाबी बहुल सीट की हलचल भांप भाजपा ने निखिल के जरिए सुरेंद्र पंवार को घेरा था। 2019 के चुनाव में जितने वोट से भाजपा हारी थी अब उससे ज्यादा से जीती है। निखिल मदान हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इस जीत के साथ ही भाजपा ने हरियाणा में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।

By Deepak Gijwal Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 08 Oct 2024 07:20 PM (IST)
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जीत के बाद शहर में विजयी जुलूस निकालते भाजपा विधायक निखिल मदान।

दीपक गिजवाल, जागरण, सोनीपत। भाजपा ने सोनीपत में नए चेहरे पर दांव लगाकर खोई सीट वापस छीन ली। भाजपा पंजाबी बहुल सीट पर हो रही हलचल को पहले ही समझ चुकी थी। ऐसे में भाजपा ने 20 साल बाद पंजाबी कार्ड खेला। भाजपा ने सोनीपत विधानसभा सीट से पंजाबी दांव खेलते हुए नगर निगम मेयर निखिल मदान को मैदान में उतारा।

निखिल मदान हाल ही में कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हुए थे। ऐसे में भाजपा को कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। पार्टी के कई पदाधिकारियों ने इस्तीफे भी दे, लेकिन चुनाव आते-आते भाजपा सबकी नाराजगी दूर करने में सफल रही, जिसका भाजपा को सुखद परिणाम मिला।

कांग्रेस विधायक की हुई थी गिरफ्तारी

सोनीपत से कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार विधायक थे। ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वे जेल में थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद सुरेंद्र पंवार की पुत्रवधू समीक्षा ने मोर्चा संभाला। पंवार की छोटी बहू समीक्षा पंजाबी समाज से ही हैं। वे लगातार लोगों के बीच रह कर जनसंपर्क में जुटी।

माना जा रहा था कि भाजपा सुरेंद्र पंवार के जेल में रहते हुए समीक्षा को भी टिकट देने पर चर्चा कर रही है। सोनीपत में सुरेंद्र पंवार के अलावा कांग्रेस के पास कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं था। ऐसे में वर्ष 2005 के बाद अब भाजपा को 20 साल बाद फिर से जीत के लिए पंजाबी कार्ड खेलना पड़ा।

सोनीपत से निखिल मदान को मैदान में उतारकर सुरेंद्र पंवार व कांग्रेस को घेरने का काम किया। भाजपा के नेताओं का मानना था कि समीक्षा की बजाय पंजाबी समाज निखिल मदान की तरफ झुकेगा। भाजपा का ये आकलन सटीक साबित हुआ।

भाजपा के लिए आसान नहीं थी राह

वर्ष 2019 में कविता जैन के हारने के बाद अब खोई सीट को वापस हासिल करना भाजपा के लिए आसान नहीं था। सीट हासिल करने के लिए भाजपा ने दो बार विधायक रही पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन का टिकट काट दिया। पार्टी को पदाधिकारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। पार्टी के कई पदाधिकारियों ने इस्तीफे तक दे दिए। बावजूद निखिल सब को मना कर एक मंच में लाने में कामयाब रहे और इस सीट को भाजपा की झोली में डाला।

ये रही है सोनीपत सीट की स्थिति

सोनीपत विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 49 हजार 625 ढ़ाई लाख है। इसमें सबसे ज्यादा करीब 72 हजार मतदाता पंजाबी समाज के बताए जा रहे हैं। शेष वोटर 35 बिरादरी से हैंं। इससे पहले सोनीपत सीट पर वर्ष 1967 से 2019 तक 13 चुनाव हुए थे। इनमें में से आठ बार यहां पंजाबी समाज का विधायक चुनाव गया है। अब नौंवी बार निखिल मदान पंजाबी चेहरे के तौर पर यहां उतारे गए।

ये रहा है निखिल मदान का राजनीतिक सफर

वर्ष 2020 में निखिल मदान ने कांग्रेस की ओर से सोनीपत नगर निगम का पहला चुनाव लड़ते हुए भाजपा प्रत्याशी ललित बतरा को करीब 13 हजार वोटों से हराया था। निखिल मदान सोनीपत में युवा पंजाबी नेता के तौर पर उभरे हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व सांसद दीपेंद्र हुड्डा का बेहद करीबी माना जाने लगा था। हाल ही में वह कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

जीत में अहम रहे ये फैक्टर

  • भाजपा बागी को मनाने में कामयाब रही। टिकट न मिलने पर पूर्व कैबिनेट के पति राजीव जैन ने नामांकन दाखिल कर दिया था। नामांकन वापस लेने की तारीख तक आखिरकार भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव जैन को मना लिया।
  • निखिल मदान ने कांग्रेस के कंधे पर चढ़कर राजनीतिक पारी शुरू की थी। वे दीपेंद्र हुड्डा के खास रहे हैं। कांग्रेस समर्थकों के जुड़ाव भी उनको फायदा मिला।
  • नया चेहरा उतार एंटी इनकंबेसी के खतरे को टालने में कामयाब रही भाजपा। नगर निगम मेयर रहते निखिल मदान का लोगों से जुड़ाव और सक्रियता यहां काम आई।
  • पंजाबी नेता अनिल ठक्कर 2005 में कांग्रेस की टिकट पर सोनीपत से विधायक बने थे। उनके पिता मोहन लाल भी मंत्री रहे हैं। अब अनिल ठक्कर भी भाजपा में हैं। वो भी अपने वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में लाने में कामयाब रहे।
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