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ओम नम: शिवाय..

गांव धनाना स्थित प्राचीन शिव सिद्ध पीठ क्षेत्र के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। यहां सावन माह में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। सच्ची श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 05:45 PM (IST)
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ओम नम: शिवाय..

गांव धनाना स्थित प्राचीन शिव सिद्ध पीठ क्षेत्र के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। यहां सावन माह में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। सच्ची श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इतिहास  

बताया जाता है कि गांव धनाना लगभग ढाई सौ वर्ष पहले सूखे की चपेट में आ गया था। गांव के तालाब व कुएं सूख गए थे। ग्रामीणों को पीने के पानी के लाले पड़ हुए थे। उस समय एक दिन ग्रामीणों ने भूरे रंग का भैंसा देखा, जिसके शरीर पर गिली मिट्टी लगी थी। ग्रामीण गांव के निकट सूखे तालाब पर पहुंचे तो वहां गिली मिट्टी मिली। ग्रामीणों ने पानी की तलाश में उस जगह खोदाई करवानी शुरू की तो शिव¨लग निकला। अधिक खोदाई करने पर जमीन से पानी भी निकल आया। ग्रामीणों ने तालाब के किनारे पर मंदिर का निर्माण करवा कर उस शिव¨लग को प्रतिष्ठित करवाया। ग्रामीण बताते हैं कि स्वर्गीय गाला राम तायल ने मंदिर निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई, जिसमें गांवों के लोगों ने पूरा सहयोग गया। ग्रामीण समय-समय पर मंदिर का जीर्णाेद्धार करवाते रहते हैं। मंदिर को भव्य रूप दिया जा चुका है। मंदिर के उत्थान में जो भी काम होता है उसमें तायल परिवार के वंशज घनश्याल तायल पूरा सहयोग देते हैं। विशेषता   मंदिर में शिवरात्रि व महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। शिव भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, नीलकंड व गोमुख से कांवड़ लाकर यहां चढ़ाते हैं। दोनों अवसरों पर ग्रामीणों द्वारा इनामी कुश्ती दंगल भी आयोजित कराए जाते हैं। मंदिर में धर्मशाला बनवाई गई है, जहां बाहर से आने वाले श्रद्धालु ठहरते हैं। मंदिर में भंडारा भी लगाया गया है।

सावन माह में मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पूजा-अर्चना का विशेष प्रबंध किया गया है। मंदिर में सुबह और शाम पूजा होती है। शिवरात्रि पर शिव भक्त कांवड़ लेकर पहुंचते हैं, जिनके ठहरने व खाने का प्रबंध किया जाता है।

 राजेश शास्त्री, पुजारी।

सावन माह में शिवरात्रि पर मंदिर में मेला लगता है। शाम के समय इनामी कुश्ती दंगल भी करवाया जाता है। शिवरात्रि पर कांवडियों की सुविधाओं के लिए उचित प्रबंध किया गया है। मंदिर की धर्मशाला में बिजली व पानी का उचित प्रबंध है। कांवडियों की सेवा के लिए ग्रामीणों की ड्यूटी लगाई गई है।

- पं. रमेश शर्मा, मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष

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