यूपीएससी में फिर बजा जिले के होनहारों का डंका
जागरण संवाददाता सोनीपत यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में इस बार भी जिले के परीक्षार्थियों का डंका बजा है। जिलेभर से कई परीक्षार्थियों ने कठिन परिस्थितियां होते हुए भी इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता अर्जित की है। इस सफलता के पीछे हर किसी की अपनी कहानी है। परीक्षा पास कर चुके भावी अफसर जिले के अन्य ऐसे युवा जोकि यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं उन्हें विशेषतौर पर टिस्ट दिए हैं।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 09 Apr 2019 06:43 AM (IST)
जागरण टीम, सोनीपत:
यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में इस बार भी जिले के परीक्षार्थियों का डंका बजा है। जिलेभर से कई परीक्षार्थियों ने कठिन परिस्थितियां होते हुए भी इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता अर्जित की है। इस सफलता के पीछे हर किसी की अपनी कहानी है। परीक्षा पास कर चुके भावी अफसर जिले के अन्य ऐसे युवा जोकि यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें विशेषतौर पर टिप्स दिए हैं। निजी कंपनी का मोटा पैकेज छोड़कर जनसेवा को बनाया उद्देश्य देशभर में 211वीं रैंक हासिल करने वाले कुणाल अग्रवाल की स्कूली शिक्षा शिवा सदन स्कूल में हुई। कुणाल का चयन हैदराबाद आइआइटी में हुआ, जहां से पास आउट होने के बाद उन्हें बैंगलुरू स्थित एक निजी कंपनी में लाखों का पैकेज मिल गया। कुणाल ने यहां तीन साल नौकरी तो कर ली मगर उनका मन यूपीएससी के लिए भी धड़क रहा था। इसलिए वह 2016 में नौकरी छोड़कर घर आ गए और तैयारियों में जुट गए। उन्होंने तीसरी बार परीक्षा देकर सफलता अर्जित की। तीन साल नौकरी छोड़कर घर बैठने के बावजूद पेशे से अकाउंटेंट उनके पिता सतीश अग्रवाल व गृहणी मां मंजू ने हमेशा हौसला ही बढ़ाया। यही वजह है कि कुणाल अपनी पढ़ाई में मन लगा सके और आखिरकार उन्होंने सफलता अर्जित कर ही ली। दफ्तर में लंच ब्रेक के दौरान भी करते थे पढ़ाई, अब रंग लाई मेहनत
हाल में पटेल नगर रहने वाले और मूलरूप से गांव तेवड़ी निवासी प्रदीप मलिक ने 260वीं रैंक हासिल की। उनके पिता सुखबीर मलिक किसान हैं। प्रदीप ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही ग्रहण की जिसके बाद उन्होंने डीसीआरयूएसटी से बीटेक किया। इसके बाद प्रदीप ने दिल्ली में आयकर विभाग में निरीक्षक के तौर पर ज्वाइन किया। उन्हें इस नौकरी से संतुष्टि नहीं हुई और उन्होंने इसी दौरान यूपीएसपी परीक्षा पास कर बड़ा अफसर बनने का मन बना लिया। प्रदीप के लिए नौकरी करते हुए यूपीएससी जैसी परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं था। इसके लिए वह दिल्ली में किराए पर कमरा ले लिया। प्रदीप सुबह नौ बजे दफ्तर के लिए निकलते और शाम छह बजे के बाद कमरे पर पहुंचते। इसलिए उन्होंने दफ्तर में होने वाले लंच ब्रेक में भी पढ़ाई की। अब यही मेहनत रंग लाई है। आइएएस के लिए फिर से तैयारी में जुटेंगे अंशुल गन्नौर के अंशुल जैन ने यूपीएससी परीक्षा में 285वीं रैंक हासिल की है। बीएचयू बनारस से सिविल इंजीनियरिग करने वाले अंशुल ने पिछली बार भी लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी थी, लेकिन सफल नहीं हो सके। अंशुल फिलहाल अपनी इस उपलब्धि से खुश तो हैं पर संतुष्ट नहीं है। अंशुल की पहली पसंद आइएएस है। अंशुल के पिता नरेंद्र जैन दिल्ली में व्यापारी हैं, जबकि उनकी माता राजबाला गृहणी हैं। अंशुल ने दिल्ली स्थित संस्थान से पढ़ाई की इसके बाद उन्होंने और अधिक मेहनत की जिसके फलस्वरूप उन्होंने इस परीक्षा में 285वां रैंक पाने में सफलता हासिल की। अंशुल जैन का कहना है कि वे खुश तो हैं, लेकिन उनका सपना आइएएस बनने का है और इसके लिए वे दोबारा परीक्षा की तैयारियों में जुटेंगे। बार-बार असफल होने पर भी नहीं मानी हार
गोहाना के विकास नगर निवासी अनिल गोयल 2013 से ही यूपीएसीप परीक्षा पास करने का प्रयास कर रहे थे मगर हर बार वह असफल हो जाते थे। अबकी बार उन्होंने 305वीं रैंक हासिल कर सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बीटेक करने के बाद यूपीएससी के साथ इंजीनियरिग की आइइएस की परीक्षा भी दी। वह आइएएस की परीक्षा क्वालीफाई नहीं कर सके जबकि आइईएस में 18वीं रैंक ले आए। उन्हें उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र अलॉट हुआ। मगर आइएएस बनने का जुनून उन पर सवार रहा। नौकरी करते हुए 2015, 2016 और 2017 में भी यूपीएससी की परीक्षा दी, पर भाग्य ने साथ नहीं दिया। उन्होंने हार नहीं मानी और अब सफलता उनके कदम चूम रही है। पहले ही प्रयास में पाई सफलता
इस प्रतिष्ठित परीक्षा में गांव गोरड़ निवासी तरुण तोमर ने 374वीं रैंक हासिल की है। तरुण के परीक्षा पास करने से न केवल उनके परिवार में खुशी का माहौल है बल्कि गांव वासी भी इस उपलब्धि से फूले नहीं समा रहे हैं। तरुण ने बताया कि उन्होंने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को पास किया है। तरुण तोमर की यह उपलब्धि इस बात पर और बढ़ जाती है कि इस परीक्षा के लिए उन्होंने किसी प्रकार की कोचिग का सहारा नहीं लिया। तरुण ने हेड मास्टर रहे अपने पिता कृष्ण तोमर को वर्ष 2011 में खो दिया था। उनका कहना है कि लक्ष्य कोई भी मुश्किल नहीं होता। हमारा विश्वास और कड़ी मेहनत हमें कामयाब बनाती है। सिसाना की गरिमा ने यूपीएससी की परीक्षा में पाया 394वां रैंक ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी गांव सिसाना निवासी गरिमा ने अपने सपने को साकार कर लिया है। उन्होंने यूपीएसपी में 394वीं रैंक प्राप्त कर बता दिया कि सपनों को उड़ान दी जा सकती है। गरिमा के पिता कृष्ण दहिया दिल्ली पुलिस में बतौर एएसआइ कार्यरत हैं। गरिमा की परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोचिग कि जरूरत महसूस हुई तो बेटी की खातिर पूरा परिवार ही दिल्ली जाकर रहने लगा। जब दो बार सफलता नहीं मिली तब भी परिवार गरिमा के साथ खड़ा रहा जिसकी बदौलत अब तीसरी बार में गरिमा ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। मजदूर पिता को आंखों से नहीं थम रहे खुशी के आंसू खादर का वह क्षेत्र जहां पर शिक्षा की अलख कम जलती है, लेकिन इसी तरह के गांव पबनेरा में आज जश्न का माहौल है। गांव के कुलदीप सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा दोबारा पास की है। वर्ष 2017 में उन्हें 1021वीं रैंक मिली थी, जिसके बाद वह रेलवे में असिसटेंट सिक्योरिटी कमिश्नर के पद पर नौकरी मिली। मगर उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी जारी रखी, जिसके फलस्वरूप उन्हें इस बार दोबारा सफलता मिली। इस बार उन्हें परीक्षा में 598वां रैंक मिला है। कुलदीप सिंह की सफलता पर पबनेरा की ग्राम पंचायत व ग्रामीणों ने उनका शानदार स्वागत किया। कुलदीप के पिता देवी सिंह मजदूरी करते हैं। बेटे को सफलता प्राप्त करने पर पिता की आंखों से खुशी के आंसू नहीं थम रहे हैं।
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