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आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी पैरोल लेकर फरार, साली के चक्कर में पत्नी को उतारा था मौत के घाट

यमुनानगर के सारन गांव का निवासी अरूण पैरोल लेकर फरार हो गया है। अरूण ने साली से एक तरफा प्यार के चक्कर में अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई थी। हालांकि 54 दिन की पैरोल लेकर बाहर आया अरूण फरार हो गया है। फिलहाल पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

By Avneesh kumar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Sun, 01 Sep 2024 03:05 PM (IST)
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पत्नी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी फरार। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, यमुनानगर। आजीवन कारावास की सजा प्राप्त कैदी गांव सारन निवासी अरूण पैरोल पर आकर वापस नहीं लौटा। उसे 21 अगस्त को जेल में आत्मसमर्पण करना था लेकिन वह तय समय पर नहीं गया। दोषी अपने घर पर भी नहीं मिला। अब जेल एसपी भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर दोषी के विरुद्ध थाना छप्पर में पैरोल एक्ट के उल्लंघन का केस दर्ज हुआ है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

साली के चक्कर में पत्नी की कर दी थी हत्या

बता दें कि अपनी साली से एक तरफा प्यार के चक्कर में अरूण ने अपनी पत्नी पिंकी की चुन्नी से गला दबाकर हत्या कर दी थी। चार मई 2020 को उस पर केस दर्ज हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 16 सितंबर 2022 को अरूण को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेहा नौहरिया की कोर्ट ने आजीवन कारावास व 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद से वह जेल में था।

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27 जून 2023 को दोषी को 54 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया। उसे 21 अगस्त को आत्मसमर्पण करना था लेकिन वह जेल नहीं पहुंचा। कई दिन तक उसका इंतजार किया गया। उसके घर सूचना भिजवाई गई लेकिन उसका कोई पता नहीं लगा। थाना छप्पर प्रभारी रामपाल ने बताया कि दोषी अरूण दस दिन से अपने घर से लापता है। रात में भी पुलिस टीम उसके घर पर गई थी लेकिन कोई पता नहीं लगा। उसके परिवार वाले भी कुछ नहीं बता सके। फिलहाल उसकी तलाश की जा रही है।

रेलू राम हत्याकांड का दोषी भी हो गया था फरार

यह कोई नया मामला नहीं है जिसमें पैरोल पर बाहर आया कोई अपराधी फरार हो गया हो, इससे पहले मई 2018 में पूर्व विधायक रेलू राम व उसके परिवार का हत्यारा संजीव भी 28 दिन की पैरोल पर बाहर आने के बाद फरार हो गया था। उसने पैरोल पर आने के लिए बिलासपुर के चांगनौली का पता दिया।

यहां पर उसने मकान की मरम्मत कराने के नाम पर पैरोल ली थी। 31 मई को उसे वापस लौटना था लेकिन वह वापस नहीं गया। इसके बाद उसकी तलाश चलती रही। कई वर्ष बाद उसे एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश के मेरठ से दबोचा। वह साधु बनकर रह रहा था।

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