शरीर में फोलिक एसिड की कमी से होता है एनीमिया, आयरन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना होगा
शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कण बनाने के लिए फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। फोलिक एसिड की कमी से एनीमिया की बीमारी होती है। शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है।
By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalUpdated: Wed, 09 Nov 2022 03:12 PM (IST)
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। एनीमिया यानि शरीर में खून की कमी होने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। यदि समय रहते इस ओर ध्यान दिया जाए, तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है। विशेषकर महिलाओं व किशोरियों इस बीमारी की अधिक चपेट में आती है। बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनीमिया मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें विभाग की टीमें खून की जांच करती है। यदि किसी में खून की कमी है, तो उसका उपचार कराया जाता है।
दरअसल, शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कण बनाने के लिए फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। फोलिक एसिड की कमी से एनीमिया की बीमारी होती है। शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है, जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत व महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए। डिप्टी सिविल सर्जन डा. विजय परमार ने बताया कि एनीमिया तब होता है, जब शरीर के रक्त में लाल कणों या कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक हो जाती है।
किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होता है। गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त निर्माण करना पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना अधिक रहती है। एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण महिलाओं के अन्य बीमारियों की चपेट में आने का भी खतरा रहता है। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत होने की भी आशंका रहती है।
यह हैं एनीमिया के लक्षणत्वचा का सफेद दिखाना, जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, चक्कर आना-विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में, बेहोश होना, सांस फूलना, हृदयगति का तेज होना, चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना एनीमिया के लक्षण है। इस तरह की दिक्कत होने पर चिकित्सक को दिखाना चाहिए। लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना, मलेरिया के बाद जिससे लाल रक्त करण नष्ट हो जाते हैं।
किसी भी कारण रक्त में कमी, जैसे- शरीर से खून निकलना (दुर्घटना, चोट, घाव आदि में अधिक खून बहना), शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना, माहवारी में अधिक मात्रा में खून जाना, पेट के कीड़ों व परजीवियों के कारण खूनी दस्त लगना, पेट के अल्सर से खून जाना, बार-बार गर्भ धारण करने की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है। यह है बचावयदि एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण है, तो पहले उनका इलाज करें। लौह तत्वयुक्त चीजों का सेवन करना चाहिए। विटामिन ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं। गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फालिक एसिड की एक गोली रोज रात को खाना खाने के बाद लेनी चाहिए। भोजन के बाद चाय के सेवन से बचे, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है। काली चाय एवं काफी पीने से बचना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल ही इस्तेमाल करे। खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं।
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