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खुशखबरी! हरियाणा में पराली प्रबंधन में सहयोग करने वालों को मिलेगा पैसा, बस करना होगा ये काम

पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार गौशालाओं को प्रोत्साहित कर रही है। गौशालाओं को धान की पराली उठाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी। किसानों को भी फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को विभागीय पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा।

By Sanjeev kumar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 17 Sep 2024 04:18 PM (IST)
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हरियाणा में पराली प्रबंधन में सहयोग करने वाली गौशालाओं को मिलेगा पैसा।

जागरण संवाददाता, यमुनानगर। पराली के प्रबंधन में सहयोग करने वाली गौशालाओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहित किया जा रहा है। गौशालाओं को धान की पराली उठाने के लिए यातायात खर्च की एवज में 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि भी प्रदान की जाएगी।

एक गोशाला के लिए अधिकतम सहायता राशि 15 हजार रुपये होगी। गोशाला का गो सेवा आयोग के साथ पंजीकृत होना अनिवार्य है।

किसान को 100 रुपये प्रति एकड़

किसानों को कृषि यंत्रों की मदद से धान की फसल अवशेषों का प्रबंधन करने पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी।

उप-कृषि निदेशक आदित्य प्रताप ने बताया कि गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी स्ट्रा बेलर द्वारा फसल अवशेषों की गांठ बनवाने पर या फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र जैसे कि सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल एमबी प्लो, जिरो टिल सीड डील मशीन की मदद से फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाए जाने पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि विभाग द्वारा दी जाएगी।

प्रबंधन का यह फायदा

सहायक कृषि अभियंता डॉ. विनीत कुमार जैन ने किसानों से आह्वान किया कि किसान इन कृषि यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेषों का प्रबंधन करें। इससे न केवल धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है बल्कि मित्र कीट व पोषक तत्वों को भी कोई नुकसान नहीं होता है व रासायनिक खादों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है। उन्होंने यह भी बताया कि किसान बेलर द्वारा पराली की गांठ बनाकर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।

इच्छुक किसान जो स्ट्रा बेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल एमबी प्लो, जिरो टिल सीड डील, रोटावेटर व हैरो के माध्यम से फसल के अवशेषों का प्रबंधन करने पर सहायता राशि का लाभ लेना चाहते हैं, ऐसे किसान विभागीय पोर्टल पर अपना आनलाईन पंजीकरण करवा सकते हैं। किसान का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी पंजीकरण करवाना आवश्यक है।

जिले में छह सरकारी गोशालाएं

जिले की छह सरकारी गौशालाओं में करीब 3300 गोवंशी है। यह वह हैं जो पशु पालन विभाग के रिकॉर्ड में हैं। इनके अलावा कुछ ऐसी गोशालाएं भी चल रही हैं जो विभाग के रिकार्ड में नहीं हैं। इनकी संख्या भी आठ-10 है।

हालांकि, इनमें पशुओं की संख्या कम है। गौशालाओं में हर माह 200-250 गोवंशी पहुंच रहे हैं। अधिकांश को पशु पालक छोड़कर आते हैं। कुछ गौशालाओं पशुओं को हरा चारा नसीब नहीं हो रहा है। घास समय पर नहीं मिलती।

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