Kapal Mochan Mela 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर देर रात कपालमोचन में दिखा भव्य नजारा, देखें तस्वीरें
कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक प्रकाश पर्व के अवसर पर कपालमोचन मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। 12 बजते ही श्रद्धालुओं ने लगाई कपालमोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान किया। रात 12 बजते ही कपालमोचन में आतिशबाजी हुई।
By rajinder singhEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Tue, 08 Nov 2022 11:13 AM (IST)
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। सारे तीर्थ बार बार कपालमोचन एक बार। कार्तिक पूर्णिमा व गुरु नानक देव महाराज के प्रकाश पर्व पर तीर्थ राज कपालमोचन धाम पर लाखों श्रद्धालु पहुंचे। कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवरों में मोक्ष की डुबकी लगाई।
मेले का आज आखिरी दिनरात के 12 बजते ही आतिशबाजी शुरू हो गई। श्रद्धालु तंबुओं व धर्मशालाओं से बाहर निकल आए। सबसे पहले पवित्र कपालमोचन सरोवर पर पहुंचे। न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस तापमान में सरोवरों के ठंडे जल में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद श्रद्धालु ऋणमोचन सरोवर व सूरजकुंड सरोवर पर गए। प्रशासन का दावा है कि लाखों श्रद्धालुओं ने सरोवरों में स्नान किया। श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को गुरु नानक देव जी प्रकाशोत्सव की बधाई दी। ऐतिहासिक मेला चार से आठ नवंबर तक चलेगा।
भगवान शिव ने स्नान कर ब्रह्म हत्या के दोष से पाई थी मुक्ति
पंडित सुभाष शर्मा के मुताबिक कपालमोचन सरोवर में भगवान शिव ने स्नान कर ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाई थी। श्रीराम ने पुष्पक विमान में लक्ष्मण व सीता माता के संग आकर ऋणमोचन में स्नान कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाई। वहीं श्रीकृष्ण व पांडवों ने यहां स्नान कर पितृ ऋण से मुक्ति पाई थी। सोमसर सरोवर में स्नान कर भगवान शिव ने कपाली दूर कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाई थी।
मिलती है ऋणों से मुक्तिऋणमोचन सरोवर में स्नान करने से ऋणों से मुक्ति मिलती है। भगवान श्रीराम ने रावण का वध यहां स्नान ध्यान पर मोक्ष की कामना की। श्रीकृष्ण व पांडवों ने द्वापर में कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद यहां अस्त्र-शस्त्र धोए। उसके बाद पितृ ऋण से मुक्ति पाई। कलयुग में जब पूर्णाहुति पर श्रेष्ठता को लेकर देवताओं में विवाद हो गया, तब भगवान शिव को ब्रह्म हत्या की कपाली लग गई। जिसे दूर करने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए लेकिन उन्हें मुक्ति पवित्र कपालमोचन सरोवर में डुबकी लगाने पर ही मिली।
सूरजकुंड सरोवरसूरजकुंड पर स्नान कर कदंब के पेड़ की पूजा की जाती है। सबसे पहले ऋणमोचन, फिर कपालमोचन व अंत में सूरजकुंड में स्नान करते हैं। इस कुंड में स्नान करने से आत्मिक शांति मिलती है। क्लेशों से मुक्ति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
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