Guru Nanak Gurpurab 2022: गुरु गोबिंद सिंह के आदेश पर कपालमोचन से शुरू हुआ था गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव
Haryana News 8 नवंबर को गुरु नानक देव जी महाराज का प्रकाशोत्सव है। यमुनानगर में कपालमोचन मेले से गुरु गोबिंद सिंह महाराज के आदेश पर प्रकाशोत्सव शुरू हुआ था। कर्तिक पूर्णिमा पर दीप दान व स्नान का धार्मिक महत्व है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 11:24 AM (IST)
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। ऐतिहासिक तीर्थराज कपालमोचन ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है। यहां पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण भगवान, आदिगुरु शंकराचार्य, गुरु नानक देव महाराज व गुरु गोबिंद सिंह महाराज भी आ चुके हैं। इसी धरा पर गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने सिख संगत को हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक देव महाराज का प्रकाशोत्सव मनाने का हुकम जारी किया, ताकि इस स्थान पर गुरु नानक देव के आने की याद को ताजा रखा जा सके।
यहां पर पहली व दसवीं पातशही गुरुद्वारा साहिब है। यहीं से गुरु गोबिंद महाराज ने भंगानी युद्ध जीतने के बाद केसरी रंग का सिरोपा देने की प्रथा शुरू की थी। इससे पहले सफेद रंग का सिरोपा चलन में था। आठ नवंबर तक पांच दिवसीय कपालमोचन मेले में सबसे ज्यादा श्रद्धालु पंजाब से आते हैं।हरिद्वार से आते हुए रुके थे महाराज
सिख मान्यता के अनुसार संवत 1584 में गुरु नानक देव महाराज हरिद्वार से आते हुए कुछ दिनों के लिए रुके थे। यहां पर पूजा अर्चना की। दसवें गुरु गोबिंद सिंह महाराज पहली बार इस स्थान पर विक्रमी संवत 1742 में आए थे। उसके बाद संवत 1746 में भंगानी का युद्ध जीतकर वापसी में यहां 52 दिनों तक रुके। जगाधरी से बर्तनों की खरीदारी की थी। गुरुद्वारा मैनेजर नरेंद्र सिंह व पूर्व मैनेजर सुरेंद्र सिंह के अनुसार उन्होंने पवित्र सरोवरों की बेअदबी करने वालों पर पाबंदी लगाई। शौर्य के प्रतीक केसरी रंग के सिरोपे की प्रथा गुरु महाराजा ने शुरू की। युद्ध जीतने के बाद सिरोपा देकर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया था। गुरु गोबिंद सिंह ने सरोवर के पास मता चंडी के मंदिर की स्थापना की। पूजा अर्चना के बाद कपालमोचन के पुजारी को हस्तलिखित पट्टी और ताम्रपत्र दिया। यह आज पंडित सुभाष शर्मा के पास सुरक्षित है।
पांच दिन तक श्रद्धालु करते हैं स्नान
श्रद्धालु यहां के पवित्र सरोवर कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड में पांच दिन तक स्नान कर दीपदान करते हैं। मान्यता है कि सारे तीर्थ बार-बार कपालमोचन एक बार। सरोवरों में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। कार्तिक मास में स्नान व दान का विशेष महत्व है। पांच दिन चलने वाले पंचभीखी स्नान से मेला शुरू होता है।
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