Yamuna के बहाव में उतार-चढ़ाव से बढ़ा कटाव, सर्वाधिक दो लाख 17 हजार क्यूसेक पानी बहा; किसान परेशान
Yamuna River Flow हरियाणा के यमुनानगर से गुजरने वाली यमुना नदी के बहाव में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सर्वाधिक दो लाख 17 हजार क्यूसेक पानी नदी से बहा है। वहीं बहाव की वजह से कटाव भी हो रहा है। कटाव के चलते किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि इस बार उन्हें सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ेगा।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुना में पानी का बहाव कम होने लगा है। बुधवार को अधिकतम बहाव दो लाख 17 हजार क्यूसेक रहा। पानी का बहाव कम होने से क्षेत्र के लोगों को राहत मिली है, लेकिन यमुना में कटाव जारी है। किसानों के खेत यमुना में गिरने से चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि इस बार उनको भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। क्योंकि धान व सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
यमुनानगर जिले में 36 एमएम बारिश हुई है। सर्वाधिक बारिश बिलासपुर में छछरौली में 82 एमएम हुई है। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक वीरवार को भी वर्षा की संभावना है।
यमुना में समाया सरकारी जंगल
यमुना किनारे बसे गांव कमालपुर टापू में एक घंटे के अंदर देखते ही देखते करीब दो एकड़ सरकारी जंगल यमुना में समा गया। यमुना का रुख गांव की ओर बढ़ रहा है। हालांकि सिंचाई विभाग के एसडीओ जहां लगातार डेरा डाले हुए हैं, लेकिन पानी के तेज बहाव के आगे सभी मजबूर हैं। पेड़ों को काटकर लोहे की तार बांधकर उसे पानी में डालने का काम किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, जंगल के अंदर जो बड़े पेड़ खड़े हैं उनको लोहे की तारों में बांधा हुआ है ताकि कुछ रोक लगाई जा सके पर पानी के तेज बहाव के आगे किसी की एक नहीं चल रही। ग्रामीणों ने मांग की है कि अभी तक यहां कोई बड़ा अधिकारी बाढ़ से हो रहे नुकसान का जायजा लेने नहीं पहुंचा। कटाव रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध करने चाहिए।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने किया दौरा, बोले- सरकार गंभीर नहीं
कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष उदय भान कांग्रेसी नेताओं के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर गांव कमालपुर टापू पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से वार्तालाप की और उनकी समस्याओं को सुना। उनके सामने ही देखते देखते काफी जमीन और बेशकीमती वृक्ष यमुना में समा गए। उन्होंने कहा कि बाढ़ से बचाव के कार्य समय पर न होने के कारण कटाव हो रहा है। सरकार ने इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई। यदि बाढ़ से बचाव के कार्य हुए होते तो शायद यह नुकसान न होता।