Kanvar Yatra 2024 कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए शिव भजन पर जमकर झूम रहे हैं। जगह-जगह सड़कों पर कांवड़ियों की झांकी निकल रही हैं। शिव भक्त उनके ऊपर फूलों की वर्षा कर रहें हैं। झांकी लेकर आने वाले श्रद्धालुओं ने पूछने पर बताया कि उनके यहां पर सावन मास में भगवान शिव की झांकी कई पीढ़ियों से निकाली जा रही है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर। कांवड़ यात्रा में बम-बम भोले के जयकारों से शहर के मार्गों में वातावरण भक्तिमय नजर आ रह है। जिधर से देखो कांवड़िए भक्तिमय गीतों पर झूमते हुए आगे बढ़ रहे हैं। कई कांवड़िये भोलेनाथ की प्रतिमा को कंधे पर लेकर यात्रा कर रहे हैं तो कई कांवड़िए झांकी वाली कांवड़ों को लेकर गुजर रहे हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान भगवान शिव समेत अन्य देवी देवताओं की एक से बढ़कर एक मनमोहक झांकियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। शहर से कांवड़ लेकर निकलने वाले कावड़ियों के जत्थे शंख, ढोल और बांसुरी बजा रहे हैं। कांवड़ियों के जत्थों में कई पेशेवर नर्तक भी शामिल हैं। जो अपने आराध्य को खुश करने के लिए भगवान के रौद्र रूप का प्रतीक तांडव नृत्य कर रहें हैं।
मनमोहक झांकियां
इन्हें देखने और इनका भजन सुनने के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर जगाधरी, मटका चौक, कन्हैया साहिब चौक, हमीदा के साथ ही अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। कांवड़ियों के कई जत्थे भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की प्रतिमा को कंधे पर लादकर चल रहे हैं। कुछ जत्थों में शिवलिंग रूपी कांवड़, तांडव करते भगवान शिव, विष का प्याला पीते हुए, गौरी पार्वती संग शिव आदि-आदि स्वरूपों में भगवान शिव की झांकियां सजी हैं।
पुष्प वर्षा कर रहे शिव भक्त
इनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ की प्रतिकृति की झांकी भी देखने को मिली। जगह-जगह सड़कों पर कांवड़ियों की झांकी देखकर शिव भक्त उनके ऊपर फूलों की वर्षा कर रहें हैं। झांकी लेकर आने वाले श्रद्धालुओं ने पूछने पर बताया कि उनके यहां पर सावन मास में भगवान शिव की झांकी कई पीढ़ियों से निकाली जा रही है। यह उनके परिवार के द्वारा मिली परंपरा और भगवान भोले की सेवा और भक्ति है। इसे वह लोग भी आगे संजोते हुए लेकर जा रहे हैं। रविवार की रात को जिले से कई झांकी वाली मनमोहक व आकर्षण कांवड़ होकर गुजरी। जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।
वेशभूषा धारण कर नृत्य कर रहे कलाकार
कांवड़ सेवा शिविरों में कलाकार देवताओं के रूप वाली पोशाक धारण कर नृत्य कर रहे हैं। इसको देखने के लिए कांवड़ियों के साथ ही आमजन की भीड़ उमड़ रही है। कांवड़ यात्रा को लेकर तैयार किए गए विशेष गानों का क्रेज ज्यादा ही नजर आ रहा है। आइए जानते हैं कितनी तरह की होती हैं कांवड़...
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बोल बम कांवड़
यह सबसे ज्यादा प्रचलित कांवड़ यात्रा है। इसमें यात्री बगैर जूते चप्पल की यात्रा करते हैं और थकान होने पर बैठकर आराम कर सकते हैं। कांवड़ को जमीन पर रखने की मनाही होती है इसलिए कांवड़ खास तरह के स्टैंड पर रखा जाता है।
खड़ी कांवड़
खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़ को स्थिर रखने की मनाही होती है। इसमें यात्री का एक सहयोगी भी होता है। यात्रा के दौरान यात्री के आराम करते समय सहयोगी कांवड़ ले लेता है। सहयोगी यात्री कांवड़ को लेकर हिलता डुलता रहता है ताकि कांवड़ स्थिर न रहे।
झूला कांवड़
यह बांस से बनाई हुई खास तरह की कांवड़ होती है जिसमें दोनों छोर पर कलश या गंगाजली रखने की व्यवस्था होती है। यात्री इन कलश व गंगाजली में गंगाजल भर लेते हैं। आराम करते समय झूला कांवड़ का नीचे रखना वर्जित होता है।
डाक कांवड़
कांवड़ यात्रा में सबसे कठिन यात्रा डाक कावड़ यात्रा होती है। इस यात्रा में कांवड़िए गंगा जल लेने के बाद कहीं नहीं रुकते हैं और निर्धारित समय के अंदर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।डाक कांवडिए एक तरह के कपड़े पहनेते हैं जो इनकी पहचान होती है और इनका मार्ग कोई नहीं रोकता है। शिव मंदिरों में भी इनके लिए विशेष मार्ग बनाए जाते हैं।
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