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Kapal Mochan Mela 2022: कपालमोचन मेला शुरू, पवित्र सरोवरों में साधु-संतों ने किया शाही स्‍नान, देखें तस्‍वीरें

Kapal Mochan Mela 2022 हरियाणा (Haryana) के यमुनानगर में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अवसर पर कपालमोचन मेला शुरू हो गया है। शुक्रवार को अंबाला कमिश्नर ने फीता काटकर मेले की शुरुआत की। वहीं साधु संतों ने शाही स्‍नान किया।

By Jagran NewsEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Fri, 04 Nov 2022 06:12 PM (IST)
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कपालमोचन सरोवर में शाही स्नान करते साधु। जागरण
कपालमोचन गुरुद्वारा साहिब के बाहर दीपदान करते श्रद्धालु। जागरण।कपालमोचन गुरुद्वारा साहिब के बाहर दीपदान करते श्रद्धालु। जागरण।stify;">यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कपालमोचन में लगने वाले धार्मिक मेले में पवित्र सरोवरों में श्रद्धालु स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। अंबाला कमिश्नर ने मेले का शुभारंभ किया। वहीं साधु प्रवेश एवं शाही स्नान के बाद मेला विधिवत रूप से शुरू हुआ। मेला आठ नवंबर तक चलेगा।

भंडारे के लिए जमीन व अन्य कार्यों की पर्ची काटने का साधुओं ने कड़ा विरोध जताया है। उनकी मांग है कि कुंभ की तर्ज पर उनको सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। गत वर्ष सीएम ने उनको आश्वासन भी दिया था। भारत रक्षा संत समिति द्वारा षट साधु समाज एकता मंडल के तत्वाधान में साधुओं ने कपालमोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान किया। उसके बाद सरोवरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

कपालमोचन गुरुद्वारा साहिब के बाहर दीपदान करते श्रद्धालु। जागरण।

भारतीय रक्षा संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामस्वरूप ब्रहमचारी की अध्यक्षता में सबसे पहले श्री खेड़ा मंदिर प्रांगण में आयोजित रामायण पाठ का समापन हुआ। तब हवन यज्ञ किया गया। सरपंच कीर्ति रानी द्वारा ज्योति प्रज्ज्वलित की गई। खेड़ा मंदिर समिति के सदस्यों ने संतों का फूलमाला पहनाई। इसके बाद बैंड बाजों के साथ शिव चौक, अगसैन चौक, मुख्य बाजार, छोटा बस स्टैंड, से होते हुए पालकी को उठाए साधु संत कपालमोचन के कपालमोचन सरोवर में पहुंचे।

कपालमोचन मेले का शुभारंभ करती अंबाला कमिश्नर रेणु फूलिया। साथ में डीसी राहुल हुड्डा व अन्य अधिकारी। जागरण।

सबसे पहले कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवर पर स्नान किया। लंबे समय से साधु संतों शाही स्नान के साथ मेले की शुरुआत होती है।

महंत अमर दास तपस्वी ने बताया कि जिस तरह से कुंभ मेले की शुरुआत साधुओं के स्नान के बाद होती है। उसी तरह यहां पर भी मेले का शुभारंभ शाही स्नान से किया जाता है।

संत एकादशी पर पहला स्नान इसलिए करते हैं क्योंकि साधु अपनी जिंदगी में जो तप करते हैं। स्नान करने से उस तप की शक्तियां सरोवरों के पानी में मिल जाती हैं। इन सरोवरों में स्नान करने का महत्व ज्यादा बढ़ जाता है। कपालमोचन ऋषिमुनि व तपस्वियों की धरती रही हैं। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्रीराम, पांडवों व गुरु गोबिंद सिंह के अलावा गुरु नानक देव जी यहां आ चुके हैं।

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