सरस्वती को धरा पर लाने के नायक दर्शन लाल जैन पद्म भूषण से अलंकृत
समाजसेवा में किए उत्कृष्ट कार्य कई खुलवाए स्कूल युवाओं को सही दिशा दिखाने में निभाई अहम
By JagranEdited By: Updated: Sun, 17 Mar 2019 12:21 AM (IST)
पोपीन पंवार, यमुनानगर : समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर जैन नगर निवासी 91 वर्षीय दर्शन लाल जैन शनिवार को दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने पद्म भूषण से अंलकृत किया। उन्होंने सरस्वती को धरा पर लाने में नायक की भूमिका निभाई। अब सरकार इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। ध्यान रहे कि सरकार की ओर से 26 जनवरी को इनके नाम की पद्म भूषण अवार्ड के लिए घोषणा की थी। इनको प्रदेश के कई मंत्री सम्मानित कर चुके हैं। सरस्वती को धरा पर लाने का श्रेय
सरस्वती की पवित्र धारा को धरा पर लाने का श्रेय इनको प्राप्त है। सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष भी हैं। इसके लिए हर संभव प्रयास किए। तब धरा पर पवित्र नदी की जलधारा फूटी। सरकार भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से काम कर रही है। इसके साथ सरस्वती शोध संस्थान की स्थापना की। इसका व्यापक प्रचार किया। परिणाम आज सब के सामने है। पानीपत में शहीद स्मारक बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। इनके प्रयास से ये कार्य सफल हो पाया। ये उनकी जीत थी। शिक्षा और इतिहास क्षेत्र में किए महत्वपूर्ण काम जैन ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। कई स्कूल खुलाए। इतिहास के प्रति युवाओं में रुचि बढ़े इसके लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार कराई। स्कूल खोलने का उद्देश्य था कि बच्चे शिक्षित हो सकें। इस सोच के साथ स्कूल खोलने में भूमिका निभाई। संघ में दी जाती है अनुशासन की शिक्षा संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर वर्ष 1944 में संघ में आए। यहां आज भी देशभक्ति की भावना है। इसमें शामिल होने के लिए किसी पत्र की जरूरत नहीं होती है। वहां जाने की जरूरतभर है। सम्मान के साथ शामिल किया जाता है। यहां अनुशासन की शिक्षा दी जाती है। इनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति के अंदर खुद-ब-खुद देशभक्ति की भावना घर कर जाती है। उन्होने कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभाई है। नहीं भूल सकते ये पल
दर्शन लाल कहते हैं कि 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगी थी। उनको भी जेल यात्रा करनी पड़ी। हालांकि उसमें उनका कोई दोष नहीं था। उनको कोर्ट में बताया गया कि साइकिल से चलते वक्त राहगीर को टक्कर मार दी। जब उसने विरोध किया तो उनके साथ अभद्रता की। इस आरोप में उनको एक साल जेल में रहना पड़ा। इससे अगले वर्ष फरवरी माह में उनकी बेटी की शादी थी। तब एक सप्ताह की पैरोल पर घर आए थे। इमरजेंसी लगी होने के कारण संघ के सदस्य जेल में थे। जो बाहर थे, वे डर के कारण घर नहीं आए थे। इस पर बरात का स्वागत भी शुगल मिल के मालिक डीडी पुरी ने अपने साथियों के साथ किया था। वो दिन वे कभी भुला नहीं सकते।
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