Haryana News: सल्फर फ्री चीनी तैयार करेगा सरस्वती शुगर मिल, विदेश में बढ़ेगी डिमांड; किसानों की भी होगी चांदी
हरियाणा में अब सल्फर फ्री चीनी तैयार की जाएगी। यमुनानगर स्थित सरस्वती शुगर मिल में इसका उत्पादन होगा। उत्पादन इसी सीजन से शुरू हो जाएगा। सरस्वती शुगर मिल में अब तक सामान्य चीनी का ही उत्पादन होता रहा है। इस चीनी में सफर की मात्रा आठ से 10 पीपीएम रहती है। 70 करोड़ की लागत से मशीनरी का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
By Popin kumarEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 23 Sep 2023 04:27 PM (IST)
यमुनानगर, संजीव कांबोज। Sulfur Free Sugar सरस्वती शुगर मिल अब सल्फर फ्री रिफाइंड चीनी तैयार करेगी। इसके लिए करीब 70 करोड़ रुपये की लागत से मशीनरी का आधुनिकीकरण किया गया है। यह प्रदेश का पहला निजी मिल है जिसमें सल्फर फ्री रिफाइंड चीनी तैयार की जाएगी। उत्पादन इसी सीजन से शुरू हो जाएगा।
मशीनरी को अपडेट किए जाने का कार्य पूरा हो चुका है। अब से पहले केवल करनाल का कोऑपरेटिव शुगर मिल इस टेक्नोलाजी पर आधारित है। बता दें कि प्रदेश में 11 कोआपरेटिव व तीन निजी मिल हैं।
यह होगा फायदा
सामान्य चीनी की बजाय बाजार में सल्फर फ्री रिफाइंड चीनी की डिमांड ज्यादा है। उत्तर प्रदेश सहित अन्य कहीं प्रदेशों के शुगर मिल इस चीनी का उत्पादन भी कर रहे हैं। सरस्वती शुगर मिल में अब तक सामान्य चीनी का ही उत्पादन होता रहा है। इस चीनी में सफर की मात्रा आठ से 10 पीपीएम रहती है। दूसरा बड़ा फायदा यहां होगा कि विदेश में इसकी डिमांड बढ़ जाएगी। मिल की वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा। जिससे किसानों को गन्ने के भुगतान में भी मदद मिलेगी।ये भी पढ़ें- रसोई में लगा महंगाई का तड़का! त्योहारी सीजन से पहले किराने के सामान में जबरदस्त उछाल, 20 प्रतिशत तक बढ़े दाम
यह एक्सपोर्ट क्वालिटी की चीनी होगी। एक्सपोर्ट की जब बात आती है तो सल्फर फ्री रिफाइंड चीनी की डिमांड अधिक रहती है। सीजन 2022-23 में चीनी के उत्पादन की बात की जाए तो 16 लाख 24 हजार रहा। इस सीजन में उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।
1933 में लगी थी गंगा मिल
वर्ष 1933 में यमुनानगर में स्वर्गीय डीडी पुरी ने गंगा मिल स्थापना की थी। उस दौरान इसकी क्षमता चार हजार क्विंटल प्रतिदिन गन्ना की पेराई की थी। उसके बाद 1954 में यमुना व 1996 में सरस्वती शुगर मिल स्थापित की गई। हालांकि यमुना मिल को 2011-12 सीजन में बंद कर दिया गया, लेकिन अन्य दोनों मिल की क्षमता लगातार बढ़ती चली गई। बीते सीजन में 166 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी।
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