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Haryana News: यमुना में लगातार घट रहा जलस्तर, फिर भी दिल्ली की मांग पूरी कर रहा हरियाणा

हरियाणा और दिल्ली में यमुना नदी के पानी को लेकर विवाद जारी है। वहीं हथिनीकुंड पर 2202 क्यूसेक जल बहाव रह गया है। इसको लेकर सिंचाई विभाग के एसई रवि मित्तल ने कहा कि दिल्ली से जो पानी की मांग आती है उसके अनुसार पानी की सप्लाई दी जा रही है। प्रवाह को निरंतर बनाए रखने के लिए 352 क्यूसेक पानी छोड़ना जरूरी है।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Sun, 02 Jun 2024 11:30 AM (IST)
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यमुना में लगातार घट रहा जलस्तर, फिर भी दिल्ली की मांग पूरी कर रहा हरियाणा (फाइल फोटो)।
पोपीन पंवार, यमुनानगर। बढ़ती गर्मी में पानी की मांग बढ़ गई, लेकिन यमुना नदी में लगातार पानी की कमी हो रही है। शनिवार को 11 बजे हथनीकुंड पर 2202 क्यूसेक का जल बहाव रह गया। इसके बावजूद दिल्ली को पर्याप्त पानी दिया जा रहा है।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मांग के हिसाब से एक हजार से 1100 क्यूसेक पानी की सप्लाई हो रही है। हालांकि, हथनीकुंड बैराज जल समझौते के हिसाब से 730 क्यूसेक पानी बनता है। दक्षिण हरियाणा में जाने वाली पश्चिमी यमुना नहर में 1500 क्यूसेक और यूपी की जाने वाली पूर्वी नहर में 200 क्यूसेक पानी जा रहा है। यमुना नदी में केवल 352 क्यूसेक बह रहा है।

सिंचाई विभाग के एसई रवि मित्तल का कहना है कि दिल्ली से जो पानी की मांग आती है। उसके अनुसार पानी की सप्लाई दी जा रही है। सप्लाई में कोई कटौती नहीं है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) व दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी भी हथनीकुंड बैराज का दौरा कर गए हैं। वह भी सप्लाई से संतुष्ट थे। बैराज पर पानी की सप्लाई में कोई बदलाव नहीं होता है। यहां से पानी डायवर्ट होता है न की स्टोर। हर घंटे की अपडेट राज्य सरकार के साथ दिल्ली भी जाती है। पेयजल की पूर्ति के बाद ही पानी सिंचाई के काम आता है।

प्रवाह को निरंतर बनाए रखने के लिए 352 क्यूसेक पानी छोड़ना जरूरी

जल समझौते की सबसे पहले शर्त कॉमनपुल शेयररिंग ( कुल यमुना के बहाव से) से यमुना नदी के प्रवाह को निरंतर बनाए रखने के लिए 352 क्यूसेक पानी छोड़ना जरूरी है। फिर जो पानी बचता है, उसे मांग के मुताबिक दिल्ली में पेयजल के लिए भेजा जाता है। उसके बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश जल समझौते के अनुसार बांटा जाता है। दिल्ली को पीने योग्य पानी करनाल के मुनक हैड ( दिल्ली ब्रांच भी कहते हैं ) से जा रहा है।

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हथनीकुंड बैराज से हरियाणा व दिल्ली के हिस्से का पानी पश्चिमी यमुना नहर से करनाल के मुनक हैड से अलग किया जाता है। पहले दिल्ली को समझौते के आधार पर सप्लाई होती थी, लेकिन दिल्ली में आबादी बढ़ने पर कोर्ट ने मांग के हिसाब से पानी उपलब्ध करवाने के आदेश दिए थे। एसई रवि मित्तल का कहना है पांच साल से कोर्ट के आदेश के हिसाब से ही दिल्ली को पानी की सप्लाई दी जा रही है।

70 हजार क्यूसेक पानी होने पर सप्लाई बंद

बैराज पर यमुना का बहाव 70 हजार क्यूसेक होने पर पश्चिमी व पूर्वी नहर की सप्लाई बंद की जाती है। बैराज के गेट यमुना नदी में खोल दिए जाते हैं। इस पानी को रोका जाए तो बैराज को खतरा है। बाढ़ का यह पानी प्रदेश व यूपी में तबाही मचाते हुए दिल्ली पहुंचता है। तबाही रोकने के लिए प्रदेश सरकार हथनीकुंड बैराज के अप स्ट्रीम पर बांध बनाने की तैयारी में है।

पावर प्रोजेक्ट का बिजली उत्पादन बंद

पानी कम होने से चार हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का बिजली उत्पादन भी ठप हो गया। इनसे 62.4 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। बिजली उत्पादन के लिए 5400 क्यूसेक पानी की जरूरत होती है। यमुना नदी के जल से एक तिहाई उत्तर प्रदेश और तीन हिस्से हरियाणा दिल्ली को दिया जाता है।

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