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Haryana News: आखिर क्यों प्लाईवुड कारखाने में पहुंच रही कृषि योग्य यूरिया, अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा धंधा

यमुनानगर में प्लाईवुड का बड़ा कारोबार है। वहीं प्लाई को चिपकाने के लिए जो ग्लू का उपयोग किया जाता है इसमें फैक्ट्री संचालक कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग करते हैं। जिस कारण अधिकारियों की मिलीभगत के चलते किसानों के लिए आने वाली सब्सिडी वाली यूरिया को फैक्ट्री संचालकों को भेज दिया जाता है। इससे सीजन के समय किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

By Avneesh kumar Edited By: Deepak Saxena Updated: Sun, 21 Jul 2024 03:55 PM (IST)
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आखिर क्यों प्लाईवुड कारखाने में पहुंच रही कृषि योग्य यूरिया।

जागरण संवाददाता.यमुनानगर। प्लाईवुड फैक्ट्रियों में कृषि योग्य यूरिया की तस्करी का लंबे समय से खेल चल रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से यह पूरा धंधा चलता है। डीलरों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। सैंपलों के नाम पर भी खानापूर्ति होती है। इसका खुलासा हाल ही में सीएम फ्लाइंग टीम की छापेमारी में हुआ था। जब पता लगा कि टेक्निकल ग्रेड यूरिया के जो सैंपल लिए गए। वह सही लैब में नहीं भिजवाए गए।

फरीदाबाद केंद्रीय लैब से सैंपल वापस आने के बाद निदेशालय कार्यालय में पड़े हुए हैं। तत्कालीन डीडीए डॉ. आत्माराम गोदारा ने चहेते डीलर तिरुपति ट्रेडर्स फर्म के संचालक विशाल ग्रेवाल को बचाने के लिए सैंपल लेने के नाम पर खानापूर्ति की। यह डीलर टेक्निकल ग्रेड यूरिया की आड़ में व्यापारियों को कृषि योग्य यूरिया सप्लाई कर रहा है। अधिकारियों की इस मिलीभगत का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। सीजन में उन्हें यूरिया नहीं मिल पाता।

काफी समय से नहीं हुई सैंपलिंग

जिले में प्लाईवुड का बड़ा कारोबार है। प्लाई को चिपकाने के लिए तैयार किए जाने वाले ग्लू को यूरिया से तैयार किया जाता है। इसमें फैक्ट्री संचालक कृषि योग्य यूरिया का प्रयोग करते हैं। किसानों को सब्सिडी पर मिलने वाला यूरिया फैक्ट्रियों में जाता है। जिससे सीजन में किसानों को यूरिया नहीं मिल पाता। सरकार की ओर से फैक्ट्रियों में प्रयोग के लिए टेक्निकल ग्रेड यूरिया का नियम बनाया गया। यह सब्सिडी पर मिलने वाले कृषि योग्य यूरिया से महंगा पड़ता है। कई बार फैक्ट्रियों में सप्लाई के दौरान कृषि योग्य यूरिया पकड़ा गया। जिसे देखते हुए डीलरों ने अब तरीका बदल दिया।

टेक्निकल ग्रेड यूरिया के बैग में भरकर बेची जा रही किसानों की यूरिया

टेक्निकल ग्रेड यूरिया के बैग में कृषि योग्य यूरिया भरकर बेचा जा रहा है। ऐसे में कोई टीम छापेमारी भी करती है तो बाहर से देखने में पहचान में नहीं आ पाता कि यह टेक्निकल ग्रेड यूरिया है या फिर कृषि योग्य यूरिया। यदि सैंपल लिए जाते हैं तो सैंपलों के नाम पर कृषि विभाग के अधिकारी खेल कर देते हैं। जिससे सीधा लाभ डीलरों, प्लाईवुड फैक्ट्री संचालकों व कृषि विभाग के अधिकारियों को मिलता है। कृषि योग्य यूरिया की तस्करी का यह बड़ा नेटवर्क है।

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यूरिया तस्करी में पहले भी फंस चुके अधिकारी

मानकपुर औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री में यूरिया खाद की तस्करी के मामले तत्कालीन गुण नियंत्रण निरीक्षक बलबीर भान की मिलीभगत सामने आई थी। पुलिस ने उन पर केस दर्ज किया था। आरोप था कि बलबीर भान ने फैक्ट्री मालिक व खाद डीलर सुमित के साथ मिलकर फर्जी बिल व रिपोर्ट बनाई थी। बलबीर भान को निलंबित भी किया गया। दो वर्ष पहले टेक्निकल ग्रेड यूरिया के सैंपल लगातार फेल आने व जीएसटी चोरी होने पर यमुनानगर के तत्कालीन उपनिदेशक डा. जसविंद्र सैनी, एसडीओ सतबीर लोहिया व गुणवत्ता नियंत्रक बालमुकंद का तबादला एक साथ हुआ था।

तब यूरिया की बिक्री के मुकाबले जीएसटी की वसूली कम हो रही थी। जिसकी जांच के लिए सेंट्रल जीएसटी की टीम शादीपुर की तरफ फैक्ट्रियों में जांच करने गई थी। तब जीएसटी टीम पर पथराव तक किया गया था। अभी पिछले दिनों प्लाईवुड फैक्ट्रियों में यूरिया खाद की तस्करी को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई थी।

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